‘सुप्त अंकुर उर में पृथ्वी के’ से क्या तात्पर्य है?
धरती में बीजों के अंकुर सुप्तावस्था में पड़े रहते हैं। वर्षा-जल से वे धरती को फोड़कर बाहर निकल आते हैं। इसी प्रकार क्रांतिदूत मेघ के बरसने से लोगों के हृदयों में सोई आकांक्षाएँ जागृत हो जाती हैं-
- ‘सुप्त अंकुर’ आकांक्षाओं के प्रतीक हैं।
- पृथ्वी उर (मन) की प्रतीक है।
क्रांति होने की स्थिति में ही लोगों के मन में छिपी आकांक्षाएँ पूरी हो सकती हैं।