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गजानन माधव मुक्तिबोध

Question
CBSEENHN12026212

‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता का प्रतिपाद्य अथवा मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए।

Solution

‘सहर्ष स्वीकारा है’ शीर्षक कविता मुक्तिबोध की एक सशक्त रचना है। इसमें कवि ने अपने जीवन के समस्त खट्टे-मीठे अनुभवों, कोमल-तीखी अनुभूतियों तथा सुख-दु:ख की स्थितियों को इसलिए सहर्ष स्वीकार कर लिया है क्योंकि वह इन सबके साथ अपने प्रिय को जुड़ा पाता है। यहाँ तक कि वह अपने जीवन के प्रत्येक पक्ष पर प्रिय का प्रभाव और उसकी देन मानता है। कवि का समस्त जीवन प्रेयसी की संवेदनाओं से जुड़ा हुआ है। कवि के हृदय में बहने वाला भावनाओं का प्रवाह भी प्रेयसी की ही देन है। कवि को अपनी गरीबी पर गर्व है क्योंकि वह अपने आत्मसम्मान को बनाए रखने में सफल रहा है। उसकी वैचारिक शक्ति व्यक्तित्व की दृढ़ता आदि में मौलिकता है। कवि को अपना भविष्य अंधकारमय प्रतीत होता है, भविष्य उसे डराता है। कवि प्रेयसी के प्रेम को भविष्य में निभा पाने में स्वयं को असमर्थ पाता है। उसे आत्मग्लानि का अनुभव होता है अत: वह पाताली अँधेरी गुफाओं में जाने का दंड भुगतना चाहता है। उसे विश्वास है कि वहाँ भी उसे प्रेयसी की यादों का सहारा मिलेगा।

Some More Questions From गजानन माधव मुक्तिबोध Chapter

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

कवि ने सहर्ष क्या स्वीकार किया है?

कवि ने इसे क्यों स्वीकार कर लिया है?

यह कविता क्या प्रेरणा देती है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब

यह विचार-वैभव सब

दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनय सब

मौलिक है, मौलिक है,

इसलिए कि पल-पल में

जो कुछ भी जागृत है, अपलक है-

संवेदन तुम्हारा है!!

कवि किस-किसको मौलिक मानता है और क्यों?

इन पर किसकी संवेदना का प्रभाव है?

इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है

जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है

दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों?