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सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

Question
CBSEENHN12026290

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
घन, भेरी-गर्जन मे सजग, सुप्त अकुंर
उर में पृथ्वी के, आशाओं से
नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
ताक रहे हैं ई विप्लव के बादल?

1.  कवि बादलों को क्या मानता है?
2.  इस काव्याशं में प्रयुक्त अलंकार सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
3.  इसका भाषागत सौदंर्य बताइए।


Solution

1. कवि बादलों को क्रांति का प्रतीक और शोषित वर्ग की आशा का केंद्र मानता है। बादलों की रणभेरी सुनते ही पृथ्वी के गर्भ में छिपे बीज अंकुरित होकर नवजीवन की आशा में बादल की ओर निहारते हैं। शोषित वर्ग भी क्रांति की प्रतीक्षा कर रहा है।
2. बादल की गर्जना में ‘रणभेरी’ के आरोपण में रूपक अलंकार है।
   से सजग सुप्त’ में अनुप्रास अलंकार है।
   बादल का मानवीकरण किया गया है।
3. सिर ऊँचा करना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग है।
   मुक्त छंद होते हुए भी लयात्मकता है।
   ऐ’ में संबोधन शैली का प्रयोग है।

 

Some More Questions From सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुःख की छाया-

जग के दग्ध हृदय पर

निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

यह तेरी रण-तरी,

भरी आकांक्षाओं से,

धन, भेरी-गर्जन से सजग, सुप्त अंकुर

उर में पृथ्वी के, आशाओं से,

नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,

ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!

फिर फिर!

इस कविता में किसे संबोधित किया गया है?

कवि ने दुख की छाया की तुलना किससे की है और क्यों?

कवि ने बादल का ही आह्वान क्यों किया है?

क्रांति की गर्जना का क्या प्रभाव पड़ता है।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें
बार-बार गर्जन,

वर्षण है मूसलाधार

हृदय थाम लेता संसार

सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।

अशनि-पात से शायित उन्नत शत-शत-वीर,

क्षत-विक्षत-हत अचल-शरीर,

गगन-स्पर्शी स्पर्धा-धीर।

कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?

बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?