निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
घन, भेरी-गर्जन मे सजग, सुप्त अकुंर
उर में पृथ्वी के, आशाओं से
नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
ताक रहे हैं ई विप्लव के बादल?
1. कवि बादलों को क्या मानता है?
2. इस काव्याशं में प्रयुक्त अलंकार सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
3. इसका भाषागत सौदंर्य बताइए।
1. कवि बादलों को क्रांति का प्रतीक और शोषित वर्ग की आशा का केंद्र मानता है। बादलों की रणभेरी सुनते ही पृथ्वी के गर्भ में छिपे बीज अंकुरित होकर नवजीवन की आशा में बादल की ओर निहारते हैं। शोषित वर्ग भी क्रांति की प्रतीक्षा कर रहा है।
2. बादल की गर्जना में ‘रणभेरी’ के आरोपण में रूपक अलंकार है।
से सजग सुप्त’ में अनुप्रास अलंकार है।
बादल का मानवीकरण किया गया है।
3. सिर ऊँचा करना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग है।
मुक्त छंद होते हुए भी लयात्मकता है।
ऐ’ में संबोधन शैली का प्रयोग है।