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सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

Question
CBSEENHN12026289

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव प्लावन
क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से सदा छलकता नीर।

1. अट्टालिकाओं शब्द का प्रयोग किस सदंर्भ में हुआ है?इन पंक्तियों में पूँजीपतियों की हृदय-हीनता का मार्मिक चित्रण है। भाषा में सजीवता है।
2. ‘जल-प्लावन’ का प्रभाव किस पर पड़ता है?
3. ‘क्षुद्र प्रफुल्ल जलज’ की प्रतीकात्मकता स्पष्ट करेें।


Solution

1. ‘कदल राग’ कविता की इन पंक्तियों में कवि निराला ने शोषित वर्ग की दुर्दशा का मार्मिक चित्रण किया है। किसान-मजदूरों की अशक्त दशा को उभारा गया है। पूँजीपतियों ने उनके जीवन का समस्त रस चूस कर अपने खजाने भर लिए हैं। वह शोषण का शिकार है। अब तो वह कंकाल-मात्र ही रह गया है।
2. क्रांति के बादल अपने जल-वर्षण से ही उसे जीवन-दान दे सकते हैं अत: वह तुम्हें ही बुला रहा है।
3. इन पंक्तियों में पूँजीपतियों की हृदय-हीनता का मार्मिक चित्रण है। भाषा में सजीवता है।

Some More Questions From सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter

कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?

‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

हँसते हैं छोटे पौधे लधु भार-

शस्य अपार,

हिल-हिल,

खिल-खिल

हाथ हिलाते,

तुझे बुलाते,

तुझे बुलाते,

विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.




 

क्रांति की गर्जना पर कौन हंसते हैं?

छोटे पौधे किनके प्रतीक हैं?

वे किस, किस प्रकार बुलाते हैं?

‘विप्लव रव’ किससे शोभा पाते है और क्यों?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

अट्टालिका का नहीं है रे
आतंक-भवन

सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव-प्लावन,

क्षुद्र फुल्ल जलज से सदा छलकता नीर,

रोग-शोक में भी हँसता है

शैशव का सुकुमार शरीर।

कवि किन्हें आतंक भवन कहता है और क्यों?

‘जल विप्लव प्लावन’ से कवि का क्या निहितार्थ है?