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सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

Question
CBSEENHN12026288

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
रुद्ध कोष है, क्षुब्ध तोष
अंगना-अंग से लिपटे भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं
धनी, वज्र-गर्जन से बादल!
त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर,
तुझे बुलाता कृषक अधीर,
ऐ विप्लव के वीर!
चूस लिया है उसका सार,
हाड़-मात्र ही है आधार,
ऐ जीवन के पारावार!

1. क्रांति की संभावना पर शोषक-वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? काव्याशं के आधार पर लिखिए।
2. थका-हारा किसान बादल का आह्वान क्यों कर रहा है?
3. बादल के लिए ‘विप्लव के वीर’ और ‘जीवन के पारावार’ संबोधनों का प्रयोग क्यों किया गया है?




Solution

1. क्रांति की सभावना से शोषक वर्ग पर यह प्रभाव पड़ रहा है कि क्रांति के भावी परिणाम से त्रस्त होकर यह वर्ग काँप रहा है। इसने डर के मारे अपना मुँह ढाँप लिया है।
2. थका-हारा किसान बादल का आह्वान इसलिए कर रहा है ताकि क्रांति के परिणामस्वरूप उसके साथ होने वाले शोषण की समाप्ति हो सके। वह बादल को क्रांति-दूत के रूप में देख रहा है।
3. बादल ‘विप्लव का वीर’ अर्थात् क्रांति लाने में तेज है। वह ‘जीवन का पारावार’ इसलिए है क्योंकि वही शोषितों की जीवन-नैया को पार लगाएगा।

Some More Questions From सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter

बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?

‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

हँसते हैं छोटे पौधे लधु भार-

शस्य अपार,

हिल-हिल,

खिल-खिल

हाथ हिलाते,

तुझे बुलाते,

तुझे बुलाते,

विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.




 

क्रांति की गर्जना पर कौन हंसते हैं?

छोटे पौधे किनके प्रतीक हैं?

वे किस, किस प्रकार बुलाते हैं?

‘विप्लव रव’ किससे शोभा पाते है और क्यों?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

अट्टालिका का नहीं है रे
आतंक-भवन

सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव-प्लावन,

क्षुद्र फुल्ल जलज से सदा छलकता नीर,

रोग-शोक में भी हँसता है

शैशव का सुकुमार शरीर।

कवि किन्हें आतंक भवन कहता है और क्यों?