कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांशों को छाँटकर लिखिए।
रूपक अलंकार का प्रयोग
- तिरती है समीर-सागर पर (समीर रूपी सागर)
- आतंक-भवन ( आतंक रूपी भवन)
- रण-तरी (रण रूपी तरी (नाव))।
कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांशों को छाँटकर लिखिए।
रूपक अलंकार का प्रयोग
- तिरती है समीर-सागर पर (समीर रूपी सागर)
- आतंक-भवन ( आतंक रूपी भवन)
- रण-तरी (रण रूपी तरी (नाव))।
कवि ने दुख की छाया की तुलना किससे की है और क्यों?
कवि ने बादल का ही आह्वान क्यों किया है?
क्रांति की गर्जना का क्या प्रभाव पड़ता है।
वर्षण है मूसलाधार
हृदय थाम लेता संसार
सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।
अशनि-पात से शायित उन्नत शत-शत-वीर,
क्षत-विक्षत-हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्धा-धीर।
कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?
बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?
‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।
शस्य अपार,
हिल-हिल,
खिल-खिल
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.
क्रांति की गर्जना पर कौन हंसते हैं?
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