तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवि अंधकार-अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पा लूँ मैं
झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित
रहने का रमणीय उजेला अब
सहा नहीं जाता है
A.
यहाँ अधंकार-अमावस्या के लिए क्या विशेषण इस्तेमाल किया गया है और उससे विशेष्य में क्या अर्थ जुड़ता है?
B.
कवि ने व्यक्तिगत सदंर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा?
C.
इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली कौन-सी स्थिति कविता में व्यक्त हुई है ? इस वैपरीत्य को व्यक्त करने वाले शब्द का व्याख्यापूर्वक उल्लेख करें।
D.
कवि अपने संबोध्य (‘जिसे कविता संबोधित है। कविता का ‘तुम’) को पूरी तरह भूल जाना चाहता है इस बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए क्या युक्ति अपनाई है? रेखांकित अंशों को ध्यान में रखकर उत्तर दें।
A. यहाँ अंधकार-अमावस्या के लिए ‘दक्षिण ध्रुवी’ विशेषण का इस्तेमाल किया गया है। इससे विशेष्य (अंधकार-अमावस्या) का कालापन और भी गहरा जाता है। |
B. कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में अंधकार को शरीर पर बाहरी रूप से तथा आंतरिक रूप समा लेना चाहता है। यही स्थिति अमावस्या के समान है। |
C. इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली स्थिति कविता में यह है-वह रमणीय उजेला (उजियाला) को झेले और उसी में नहा ले। |
D. कवि ने अपनी बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए प्रिय को भूल जाने, उसके प्रभाव को शरीर और हृदय में उतार लेने, झेलने और नहा लेने (पूरी तरह डूब जाने) की युक्ति अपनाई है। |