कवि अपनी आत्मा के बारे में क्या कहता है?
कवि अपनी आत्मा के बारे में यह कहता है कि वह कमजोर और अशक्त हो गई है।
कवि अपनी आत्मा के बारे में क्या कहता है?
कवि अपनी आत्मा के बारे में यह कहता है कि वह कमजोर और अशक्त हो गई है।
प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें
जिंदगी में जो कुछ है, जो भी है
सहर्ष स्वीकारा है,
इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है
वह तुम्हें प्यारा है।
कवि ने सहर्ष क्या स्वीकार किया है?
कवि ने इसे क्यों स्वीकार कर लिया है?
यह कविता क्या प्रेरणा देती है?
प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें
गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब
यह विचार-वैभव सब
दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनय सब
मौलिक है, मौलिक है,
इसलिए कि पल-पल में
जो कुछ भी जागृत है, अपलक है-
संवेदन तुम्हारा है!!
कवि किस-किसको मौलिक मानता है और क्यों?
इन पर किसकी संवेदना का प्रभाव है?
इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?
जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।
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