Sponsor Area

दुष्यंत कुमार

Question
CBSEENHN11012335

‘साये में धूप’ गजल का प्रतिपाद्य लिखिए।

Solution

यह दुष्यंत कुमार की प्रसिद्ध गजल है। यह पूरी गजल एक खास मन:स्थिति में लिखी गई है। राजनीति और समाज में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। कवि उसे खारिज करता है और अन्य विकल्प की तलाश करता है। यह भाव इस गजल का केन्द्रीय सूत्र बन गया है। कवि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नहीं खोना चाहता। वह ख्वाब की दुनिया में कुछ क्षण के लिए सुख भोग लेना चाहता है। वह बर्फ को पिघलाने में विश्वास प्रकट करता है। उसे गुलमोहर के वृक्ष के नीचे शांति एवं सुख का अहसास होता है।

Some More Questions From दुष्यंत कुमार Chapter

पहले शेर में ‘चिराग’ शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में। अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्त्व है?

गज़ल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?

आशय स्पष्ट करें:

तेरा निजाम है सिल दे जुबान शायर की,
ये एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए।

दुष्यंत की इस गज़ल का मिज़ाज बदलाव के पक्ष में है। इस कथन पर विचार करें।

हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन’ दिल के खुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है। दुष्यंत की गज़ल का चौथा शेर पढ़ें और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है?

‘यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है’, यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है मसलन, यह ऐसी अदालतों पर लागू होता है, जहाँ इंसाफ नहीं मिल पाता। कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक्यों को पूरा करें:

‘साये में धूप’ गजल का प्रतिपाद्य लिखिए।