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दुष्यंत कुमार

Question
CBSEENHN11012319

न हो कमीज तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए।
खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,
कोई हसीन नजारा तो है नजर के लिए।

Solution

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ दुष्यंतकुमारी गजल ‘साये में धूप’ से अवतरित हैं।

व्याख्या-कवि अभावों के मध्य जी लेने की बात कहता है। यदि हमारे पास पहनने के लिए कमीज नहीं होगी तो हम पाँवों को मोड़कर अपने पेट को ढक लेंगे। ऐसे लोग जीवन के सफर के लिए बहुत सही होते हैं।

हमें बेशक ईश्वर न मिल पाए तो न मिले। आदमी को उसका सपना ही काफी है। उसे सपने में कोई खूबसूरत दृश्य तो दिखाई देगा। यही उसके लिए काफी है।

विशेष- 1. कवि हसीन ख्वाब देखने का पक्षपाती है।

2. ‘पाँवों से पेट ढक लेना’ विशिष्ट प्रयोग है।

3. उर्दू शब्दों की भरभार है।