निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
'मट्टी से मट्टी मिले,
खो के सभी निशान,
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान'
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि सभी प्राणियों का निर्माण मिट्ठी से हुआ है। और अंत में इसी मिट्टी में हमें मिल जाना है अर्थात् सभी मनुष्य समान हैं। उनमें भेदभाव करना उचित नहीं हैं। यह पता नही रहता कि उस मिट्टी में कौन-कौन से मिट्टी मिली हुई है यानी मनुष्य में कितनी मनुष्यता है और कितनी पशुता यह किसी को पता नहीं होता। हमें मिलजुलकर आपसी सौहार्द से रहना चाहिए। पशु-पक्षियों को भी वही ईश्वर बनाता है जो इंसानों को बनाता है। जब सभी मनुष्यों में एक ही तत्त्व समाया हुआ है तो उनको अलग-अलग कर बताना उचित नहीं है। इसे पहचानने की कोशिश भी व्यर्थ है।