Question
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये-
गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।
Solution
इसका भाव है कि वृक्ष भी पर्वत के हृदय से उठ-उठकर ऊँची आकांक्षाओं के समान शांत आकाश की ओर देख रहे हैं। वे आकाश की ओर स्थिर दृष्टि से देखते हुए यह प्रतिबिंबित करते हैं कि वे आकाश कि ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं। इसमें उनकी मानवीय भावनाओं को स्पष्ट किया गया है कि उद्धेश्य को पाने के लिए अपनी दृष्टि स्थिर करनी चाहिए और बिना किसी संदेह के चुपचाप मौन रहकर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना चाहिए। आकांक्षाओं को पाने के लिए शांत मन तथा एकाग्रता आवश्यक है। वे कुछ चिंतित भी दिखाई पड़ते हैं।