तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

Question
CBSEENHN10002130

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
तुम्ह तौ कालु हॉक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा।
सुनत लखन के बचन कठोरा। परसु सुधारि धरेउ कर घोरा।।
अब जनि देइ दोसु मोहि लोगु। कटुबादी बालकु बधजोगू ।।
बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा। अब येहु मरनिहार भा साँचा।।
कौसिक कहा छमिअ अपराधू। बाल दोष गुन गनहिं न साधू।।
खर कुठार मैं अकरुन कोही। आगे अपराधी गुरुद्रोही।।
उतर देत छोड़ौ बिनु मारे। केवल कौसिक सील तुम्हारे।।
न त येहि काटि कुठार कठोरें। गुरहि उरिन होतेउँ श्रम थोरें।।

गाधिसू कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ।।

नाटकीयता की सृष्टि किस कारण हुई है?

Solution

संवादात्मकता ने कथन को नाटकीयता का गुण प्रदान किया है।

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Some More Questions From तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद Chapter

परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? 

परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएं अपने शब्दों में लिखिए।

लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।

परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्‌यांश के आधार पर लिखिए-
बाल ब्रह्‌मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
      मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
      गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।

लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?

साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखें।

भाव स्पष्ट कीजिये- 
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।

भाव स्पष्ट कीजिये- 
इहाँ कुम्हड़बतिआ कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।

भाव स्पष्ट कीजिये-
गाधिसू नु कह ह्रदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ   
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ ।

पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।