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तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
अनुप्रास-
• मुनीसु महाभट मानी।
• कछु कहा; कछु कहहु, कोटि कुलिस।
• सुर, महिसुर; सुनि सरोष।
• धरहु धनु।
• गिरा गंभीर।
पुनरुक्ति प्रकाश-
• ‘पुनि-पुनि’।
उपमा-
• कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।
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