Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उस का तू कर पूजन
‘यथार्थ कठिन’ क्या है?
Solution
‘यथार्थ कठिन’ जीवन की वह सच्चाई है जिसे हर व्यक्ति को झेलनी पड़ती है। कठोर परिश्रम करना और जीवन को सुखी बनाने की चेष्टा ही इससे संबंधित है।