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नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान

Question
CBSEENHN10001787

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता देख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
उंगलियां माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
और होतीं जब कि आँखें चार
तब तुम्हारी तुरित मुसकान
मुझे लगती बड़ी ही छविमान!

कवि ने किसे-किसे धन्य माना है और क्यों?

Solution
कवि ने अपने बच्चे और अपनी पत्नी को धन्य माना है क्योंकि उनके कारण उसे अपार प्रसन्नता की प्राप्ति हुई थी। वह स्वयं को धन्य मानते के योग्य हुआ था।

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आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।

कवि के अनुसार फसल क्या है?

कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। बे आवश्यक तत्त्व कौन-कौन से हैं?

फसल को ‘हाथों से स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर क्या व्यक्त करना चाहता है?

भाव स्पष्ट कीजिए-
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!

कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्‌टी का गुण-धर्म कहा है-
मिट्‌टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?

कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्‌टी का गुण-धर्म कहा है-
वर्तमान जीवन शैली मिट्‌टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?

मिट्‌टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?

मिट्‌टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है? 

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