Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल,
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
अलंकारों का उल्लेख कीजिए।
Solution
अनुप्रास-
• ‘नहीं रही है’।
• ‘घर-घर भर’, ‘पर-पर कर’।
• ‘शोभा-श्री’।
विशेषोक्ति- आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पुनरुक्ति प्रकाश - घर-घर, पर-पर, पाट-पाट।
मानवीकरण - कहीं साँस लेते हो
घर-घर भर देते हो
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो।