Sponsor Area

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह

Question
CBSEENHN10001711

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।

कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल,
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।

कवि ने अपनी कविता में किसे अपनी बात कहनी चाही है?


Solution
कवि ने कविता में रहस्यवादी भाव प्रकट करते हुए अपने प्रियतम से अपनी बात कहनी चाही है।

Some More Questions From सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह Chapter

कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?

कविता में बादल किन-किन अर्थो की ओर संकेत करता है?

शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता में किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।

जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही कभी किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देख कर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।

छायावाद की एक खास विशेषता है- अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।

कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?

प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?

फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?

इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य -शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।

होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।