Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
अलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।
सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की?
कवि अपना रास्ता कैसा मानता है?
Solution
कवि को अपना रास्ता कठिन प्रतीत होता है जिस पर उसके थके हुए कदम आसानी से आगे नहीं बढ़ते।