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जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य

Question
CBSEENHN10001634

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
अलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की
सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की?

कवि के प्रिय का रूप कैसा था?

Solution
कवि का प्रिय अपार सुंदर था। उसके मतवाले लाल गाल तो ऐसे थे जैसे प्रात: के समय पूर्व दिशा की लाली भी उसी से प्राप्त की गई हो।

Some More Questions From जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य Chapter

‘उज्जल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’ - कथन के माध्यम से कवि क्या कहना कहता है?

‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।

कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस भावों में अभिव्यक्त किया है?

इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जे झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?

कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गांव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।

श्री जयशंकर प्रसाद ने ‘आत्मकथ्य’ नामक कविता की रचना क्यों की थी?

कवि अपने जीवन के किस प्रसंग को जग जाहिर नहीं करना चाहता था और क्यों?

कवि ने अपनी कथा को भोली क्यों कहा है?

आप अपना आत्मकथ्य पद्‌य या गद्‌य में लिखिए।