Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ?
क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ?
सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा?
अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।
‘मौन व्यथा’ में निहित गूढ़ार्थ को स्पष्ट कीजिए।
Solution
‘मौन-व्यथा’ में गूढ़ार्थ विद्यमान है। कोई भी व्यक्ति जब अपने दुःख-दर्द को सबके सामने बार-बार कहता है तो कोई भी उसे बांटना तो नहीं चाहता बल्कि बाद में उस पर कटाक्ष करता है, व्यंग्य करता है। दुःख-सुख सभी के जीवन के आवश्यक हिस्से हैं। ये तो जीवन का यथार्थ है। कवि इसीलिए उन्हें दूसरों के सामने व्यक्त नहीं करना चाहता। वह उसे अपने भीतर ही छिपा कर रखना चाहता है। कई बार पूछे जाने पर व्यथित व्यक्ति अपने दुःख को प्रकट कर देता है पर कवि ऐसा न कर अपनी पीड़ा को ‘मौन-व्यथा’ कह कर चुप हो जाता है।