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विप्लव – गायन

Question
CBSEENHN7000440

कविता में (, − । आदि) जैसे विराम चिह्नों का उपयोग रुकने, आगे-बढ़ने अथवा किसी खास भाव को अभिव्यक्त करने के लिए किया जाता है। कविता पढ़ने में इन विराम चिह्नों का प्रभावी प्रयोग करते हुए काव्य पाठ कीजिए। गद्य में आमतौर पर है शब्द का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है, जैसे – देशराज जाता है। अब कविता की निम्न पंक्तियों को देखिए-

‘कण-कण में है व्याप्त……वही तान गाती रहती है,’

इन पंक्तियों में है शब्द का प्रयोग अलग-अलग जगहों पर किया गया है। कविता में अगर आपको ऐसे अन्य प्रयोग मिलें तो उन्हें छाँटकर लिखिए।

Solution

है का उदाहरण इस प्रकार है –

कंठ रूका है महानाश का

कारक गीत रूद्ध होता है

आग लगेगी क्षण में, हृत्तल में

अब क्षुब्ध-युद्ध होता है

Some More Questions From विप्लव – गायन Chapter

कण-कण में है व्याप्त वही स्वर……………कालकूट फणि की चिंतामणि’

(क) ‘वही स्वर’,’वह ध्वनि’ एवं ‘वही तान’ आदि वाक्यांश किसके लिए/ किस भाव के लिए प्रयुक्त हुए हैं?

(ख) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का ‘रूद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/ निकली मेरी अंतरतर से’ – पंक्तियों से क्या कोई संबंध बनता है?

नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-

‘सावधान! मेरी वीणा में……दोनों मेरी ऐंठी हैं।’

कविता में दो शब्दों के मध्य (−) का प्रयोग किया गया है, जैसे− ‘जिससे उथल-पुथल मच जाए’ एवं ‘कण-कण में है व्याप्त वही स्वर’। इन पंक्तियों को पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कवि ऐसा प्रयोग क्यों करते हैं ?

कविता में (, − । आदि) जैसे विराम चिह्नों का उपयोग रुकने, आगे-बढ़ने अथवा किसी खास भाव को अभिव्यक्त करने के लिए किया जाता है। कविता पढ़ने में इन विराम चिह्नों का प्रभावी प्रयोग करते हुए काव्य पाठ कीजिए। गद्य में आमतौर पर है शब्द का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है, जैसे – देशराज जाता है। अब कविता की निम्न पंक्तियों को देखिए-

‘कण-कण में है व्याप्त……वही तान गाती रहती है,’

इन पंक्तियों में है शब्द का प्रयोग अलग-अलग जगहों पर किया गया है। कविता में अगर आपको ऐसे अन्य प्रयोग मिलें तो उन्हें छाँटकर लिखिए।