-->

विप्लव – गायन

Question
CBSEENHN7000438

नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-

‘सावधान! मेरी वीणा में……दोनों मेरी ऐंठी हैं।’

Solution

इस पंक्ति में कवि सभी कवियों को सम्बोधित करते हुए ऐसे गीत को सुनाने के लिए कहते हैं जिससे इस संसार के प्रत्येक मनुष्य के हृदय में हाहाकार मच जाए अर्थात्‌ चारों तरफ़ क्रांति की लहर उत्पन्न हो जाए, समस्त प्राणी उस हिलोर में सराबोर हो जाए। आगे कवि, उन व्यक्तियों को सम्बोधित करते हैं जो अपने दमन चक्र से हाहाकार मचाए हुए है। वो सब सावधान हो जाएँ क्योंकि अब मैंने समस्त संसार को झकझोर देने वाले गीत को आरम्भ कर दिया है। अब तो मेरी वीणा का स्वर भी मधुरता की अपेक्षा क्रांति की आग ही उगलेगा। भाव यह है कि अभी तक मैं केवल मधुरता लिए हुए गीतों की रंचना करता था व गाता था। अब मेरे गीत केवल राष्ट्रहित के लिए ही होगें। वो रसिको के मन को बहलाने के लिए नहीं अपितु जनता को गुलामी के बन्धन से जागृत करने के लिए होंगे। वह कहता है आज चाहे मिज़राब टूटे या मेरी अंगुलियाँ ऐंठ जाए पर मैं शान्त नहीं होऊँगा ना ही किसी को होने दूँगा अर्थात्‌ इस गीत को गाते हुए मैं अपनी किसी परेशानी की तरफ़ तनिक ध्यान नहीं दूँगा फिर चाहे कष्ट किसी भी रूप में सामने आए।

Some More Questions From विप्लव – गायन Chapter