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नीलकंठ
जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?
कुब्जा स्वभाव से ही ईर्ष्यालु प्रवृत्ति की थी। इसके विपरीत जालीघर के सभी पशु-पक्षी मिलनसार स्वभाव के थे। उनमें आपसी प्रेम था। परन्तु स्वभाव से ईर्ष्यालु कुब्जा को ये पंसद ना था। वह सब को हमेशा प्रताड़ित करती थी। उसका मुख्य उद्देश्य सबको नीलकंठ से दूर रखना था। वह नहीं चाहती थी कि नीलकंठ के पास कोई भी आए। इसके लिए उसने सभी पशु-पक्षियों को अपनी चोंच से घायल किया हुआ था। यहाँ तक की उसने राधा को घायल कर उसके अंडों को नष्ट कर दिया। इसके कारण सब उससे दूर रहते थे यहाँ तक की नीलकंठ भी उससे डर के मारे भागने लगा था।
Some More Questions From नीलकंठ Chapter
‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?
‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-
गंध रंग फल ज्ञान
गंध रंग फल ज्ञान
विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण हैं। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्णों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे- क्+अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (ा) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे- मंडल + आकार= मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर(जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए-
संधिविग्रह
नील + आभ = …………………. सिंहासन = …………………………
नव + आगंतुक = ………………. मेघाच्छन्न = …………………………
संधिविग्रह
नील + आभ = …………………. सिंहासन = …………………………
नव + आगंतुक = ………………. मेघाच्छन्न = …………………………
निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’-इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।
नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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