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नीलकंठ

Question
CBSEENHN7000401

‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?

Solution

लेखिका के द्वारा कुब्जा मोरनी को लाना, इस घटना की ओर संकेत करता है। नीलकंठ, राधा व अन्य सभी पशु-पक्षी साथ मिलकर बड़े ही आनन्द से उस बाड़े में रहते थे। परन्तु कुब्जा मोरनी ने उन सब के इस आनन्द में भंग कर दिया था। उसको किसी भी पशु-पक्षी का नीलकंठ के साथ रहना पसंद न था। जो भी कोई उसके पास आना चाहता, वह उसे अपनी चोंच से घायल करके भगा देती थी। यहाँ तक कि उसने ईर्ष्या वश राधा के अंडों को तोड़-फोड़ दिया था। उसके इस स्वभाव के कारण नीलकंठ अकेला व खिन्न रहने लगा। जैसे बाड़े की तो शोभा ही चली गई। तभी लेखिका कहती है, इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा।

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जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?

लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?

‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?

वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?

जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?

‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-

गंध      रंग      फल        ज्ञान

विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के  के साथ अभिभूत के  के मिलने से या हो गया है।  आदि वर्ण हैं। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्णों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है,  जैसे- क्‌+अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न  (ा)  से  आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे- मंडल + आकार= मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर(जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए-

संधिविग्रह

नील + आभ = …………………. सिंहासन = …………………………

नव + आगंतुक = ………………. मेघाच्छन्न = …………………………

निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’-इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।

नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।