गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए। इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए - इस कथन का आशय यह है कि गरीबों के रहने का आसरा नहीं छिनना चाहिए। माटीवाली जब एक दिन मजदूरी करके घर पहुँचती है तो उसके पति की मृत्यु हो चुकी होती है। अब उसके सामने विस्थापन से ज्यादा पति के अंतिम संस्कार की चिंता होती है, बाँध के कारण सारे श्मशान पानी में डूब चूके होते हैं। उसके लिए घर और श्मशान में कोई अंतर नहीं रह जाता है। इसी दुःख के आवेश में वह यह वाक्य कहती है।