-->

वाख

Question
CBSEENHN9001350

'ज्ञानी' से कवयित्री का अभिप्राय है?

Solution

यहाँ ज्ञानी से कवयित्री का अभिप्राय है जिसने आत्मा और परमात्मा के सम्बन्ध को जान लिया हो। कवयित्री के अनुसार ईश्वर का निवास तो हर एक कण-कण में है परन्तु मनुष्य इसे धर्म में विभाजित कर मंदिर और मस्जिद में खोजता फिरता है। वास्तव में ज्ञानी तो वह है जो अपने अंतकरण में ईश्वर को पा लेता है। भाव यह है कि ईश्वर को अपने ही हृदय में ढूँढना चाहिए और जो उसे ढूँढ लेते हैं वही सच्चे ज्ञानी हैं।

Some More Questions From वाख Chapter

'रस्सी' यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?  

कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?

कवयित्री का 'घर जाने की चाह' से क्या तात्पर्य है?

भाव स्पष्ट कीजिए -
जेब टटोली कौड़ी न पाई।

भाव स्पष्ट कीजिए-
खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अंहकारी।

बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललदय ने क्या उपाय सुझाया है?

ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?

'ज्ञानी' से कवयित्री का अभिप्राय है?

हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है -
आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?

हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है -
आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।