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एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त

Question
CBSEENHN9000931

निम्नलिखित काव्याशं को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
माँ के भक्त हुए तुम कैसे,
करके यह विचार खोटा?
माँ के सम्मुख ही माँ का तुम
गौरव करते हो छोटा!
कुद न सुना भक्तों ने, झट से
मुझे घेरकर पकड़ लिया;
मार-मारकर मुक्के-घुसे
धम-से नीचे गिरा दिया!

Solution
भाव पक्षसुखिया का पिता भक्तों को कहता है कि क्या मेरे पाप तुम्हारी देवी की महानता से भी अधिक बढ़कर है? क्या मेरे मैल में तुम्हारी देवी के गौरव को नष्ट करने की शक्ति है? तुम ऐसा तुच्छ विचार करके भी स्वयं को माता का भक्त कैसे कहला सकते हो? ऐसा विचार प्रकट करके तो तुम माता के सामने ही माता का गौरव छोटा कर रहे हो। पर उस समय उन देवी के भक्तों ने मेरी कोई भी बात नहीं सुनी। उन्होंने मुझे पकड़ लिया। मुक्के और घूसे मार-मारकर नीचे गिरा दिया।

Some More Questions From एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त Chapter

बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस कविता का केंद्रीय भाव शब्दों में लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/ बिंबों को. छाँटकर लिखिए-
उदाहरण: अंधकार की छाया
(i) .........................     (ii) ..........................
(iii) ........................      (iv)..........................
(v) .........................

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
अविश्रांत बरसा करके भी
आँखे तनिक नहीं रीती।

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
हाय! वही चुपचाप पड़ी थी
अटल शांति-सी धारण कर

निन्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौन्दर्य बताइए-
पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी