Question
निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए -
सभी ओर दिखलाई दी बस,
अधंकार की ही छाया
छोटी-सी बच्ची को ग्रसने
कितना बड़ा तिमिर आया!
ऊपर विस्तृत महाकाश में
जलते-से अंगारों से,
झुलसी-सी जाती थी आँखें
जगमग जगते तारों से।
Solution
भाव पक्ष-सुखिया का पिता सुखिया की बीमारी के कारण हुई निराशा का वर्णन करता हुआ कहता है कि सुखिया की बीमारी के कारण मेरे मन में ऐसी घोर निराशा छा गई कि मुझे चारों ओर अंधेरे की ही छाया घिरी दिखाई देने लगी। मुझे लगा कि मेरी नन्हीं-सी बेटी को निगलने के लिए इतना बड़ा अंधेरा चला आ रहा छनिक प्रकार खुले आकाश से जलते हुए अंगारों के समान तारे जगमगाते रहते हैं उसी भाँति सुखिया की आँखे ज्वर के कारण जली जाती थी। वह बेहद बीमार थी।