Question
निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए ।
बहुत रोकता था सुखिया को,
‘न जा खेलने को बाहर’,
नहीं खेलना रुकता उसका
नहीं ठहरती वह पल-भर।
मेरा हृदय काँप उठता था
बाहर गई निहार उसे;
यही मनाता था कि बचा लूँ
किसी भाँति इस बार उसे।
Solution
शिल्प सौन्दर्य-
1. इस पद्यांश में भयभीत पिता की भावनाओं का मार्मिक चित्रण हुआ है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भावों को कथात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
5. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग दृष्टव्य है।
6. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
7. भाषा शैली- भावात्मक, कथात्मक, संवादात्मक व उदाहरणात्मक है।
8. मनाना, हृदय काँपना आदि मुहावरों का प्रयोग कुशलतापूर्वक हुआ है।