जब सिनेमा ने बोलना सीखा

Question
CBSEENHN8000806

दर्शकों हेतु यह फिल्म अनोखा अनुभव कैसे थी?

Solution
अभी तक तो दर्शक मूक फिल्में ही देखते थे जो ज्यादा आकर्षित नहीं करती थी। कई बार कई दृश्य पूर्णतया समझ में भी न आते थे। यह फिल्म एक अनोखा अनुभव रही क्योंकि इसमें सभी संवाद बोलकर प्रस्तुत किए गए थे. लोगों को तो केवल आनंद उठाना था. अनुमान नहीं लगाना था।

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किसी मूक सिनेमा में बिना आवाज़ के ठहाकेदार हँसी कैसी दिखेगी? अभिनय करके अनुभव कीजिए।

मूक फिल्म देखने का एक उपाय यह है कि आप टेलीविजन की आवाज़ बंद करके फिल्म देखें। उसकी कहानी को समझने का प्रयास करें और अनुमान लगाएँ कि फिल्म में संवाद और दृश्य की हिस्सेदारी कितनी है?

सवाक् शब्द वाक् के पहले ‘स’ लगाने से बना है। स उपसर्ग से कई शब्द बनते हैं। निम्नलिखित शब्दों के साथ ‘स’ का उपसर्ग की भाँति प्रयोग करके शब्द बनाएँ और शब्दार्थ में होनेवाले परिवर्तन को बताएँ। हित. परिवार. विनय, चित्र. बल, सम्मान।

उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दांश होते हैं। वाक्य में इनका अकेला प्रयोग नहीं होता। इन दोनों में अंतर केवल इतना होता है कि उपसर्ग किसी भी शब्द में पहले लगता है और प्रत्यय बाद में। हिंदी के सामान्य उपसर्ग इस प्रकार हैं-अ/अन, नि, दु, क/कु, स/सु, अध, बिन, औ आदि।
पाठ में आए उपसर्ग और प्रत्यय युक्त शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं-
मूल शब्द      उपसर्ग       प्रत्यय        शब्द
वाक्            स            -             सवाक्
लोचन          सु            आ            सुलोचना
फिल्म          -             कार          फिल्मकार
कामयाब        -             ई             कामयाबी
इस प्रकार के 15-15 उदाहरण खोजकर लिखिए और अपने सहपाठियों को दिखाइए।

सवाक् फिल्म से आप क्या समझते हैं?

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दर्शकों हेतु यह फिल्म अनोखा अनुभव कैसे थी?

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