नीचे लिखे काव्याशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत-
अभी न होगा मेरा अंत ।
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्युष मनोहर।
कवि प्रकृति के माध्यम से क्या कहना चाहता है?
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प्रकृति खिली रहे।
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उसके जीवन का आलस्य, निराशा व प्रमाद सब दूर हो जाए और वह नवीन कार्यो की और अग्रसर हो सके।
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वह निरंंतर आगे बढ़ता रहे।
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वह हर दिन एक नया कार्य करे।
B.
उसके जीवन का आलस्य, निराशा व प्रमाद सब दूर हो जाए और वह नवीन कार्यो की और अग्रसर हो सके।