‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे-वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है- “तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।” जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है। एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थो में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है। कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं; जैसे-मन का मनका।
ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निन्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए- बातों-बातों में रह- रहकर, लाल- लाल, सुबह- सुबह. रातों- रात, घड़ी- घड़ी।
यमक अलंकार अर्थात् एक शब्द के दो अर्थ देकर वाक्य में चमत्कार उत्पन्न करने का उदाहरण निम्न दोहे मे देखिए-
नैनन काजल औ काजल मिली।
है गई स्याम स्याम की पाती।।
इसमें काजल शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है एक नैनन काजल का अर्थ है ‘आँसू’ व दूसरे काजल का अर्थ है आँखों में डालने वाला ‘काजल’ (सुरमा)। स्याम शब्द भी दो बार है। एक स्याम का अर्थ है ‘काली’ व दूसरे स्याम का अर्थ है ‘कृष्ण’ उद्धव जब कृष्ण का पत्र लेकर गोपियों के पास जाते हैं तो गोपियों की औखों से आँसू बह निकलते हैं, जिनके साथ उनका काजल भी पत्र पर गिरने लगता है तो कृष्ण के भेजे पत्र के शब्द भी धूलने लगते हैं और पत्र काला हो जाता है।
पुनरावृत्ति शब्दों के वाक्य निम्न रूप से हैं-
1. बातों-बातों में-बातों-बातों में मोहन ने मुझ सुना ही दिया कि उसने मुझे दस हजार रुपए उधार दिए थे।
2. रह-रहकर- आज मुझे रह-रहकर सड़क पर भीख मांगने वाले बूढे की याद आ रही है।
3. लाल- लाल-लाल-लाल सेब देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया।
4. सुबह-सुबह-सुबह-सुबह बगीचे में टहलने का आनंद ही मनभावन होता है।
5. रातों-रात-रातों-रात ही उसका पूरा मकान खाली हो गया।
6. घड़ी-घड़ी-जादूगर घड़ी-घड़ी अपने कपड़े बदल रहा था।