नीचे लिखे काव्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
पुष्प-पुष्य से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं.
अपनै नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,
द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
कवि की चाहत क्या है?
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वह अपने जीवन के आलस्य, निराशा व प्रमाद को दूर करना चाहता है।
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वह अपने अनंत से सप्राण भेंट करना चाहता है।
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वह अपने अंत से पूर्व अपने जीवन की आभा, सुषमा व कर्तव्य भावना को यशस्वी बनाकर चारों ओर फैलाना चाहता है।
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उपर्युक्त सभी।
D.
उपर्युक्त सभी।