नीचे लिखे काव्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
पुष्प-पुष्य से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं.
अपनै नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,
द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
कवि को पुष्प कैसे दिखाई पड़ते हैं?
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खिले हुए
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सुगंधित
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आलसी, निद्रामय व उदासी मे ड़ुबे हुए
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मुरझाए हुए।
C.
आलसी, निद्रामय व उदासी मे ड़ुबे हुए