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दो मजदूरों से बात करके पता लगाएँ कि उन्हें कानून द्वारा तय किया गया न्यूनतम वेतन मिल रहा है या नहीं। इसके लिए आप निर्माण मजदूरों, खेत मजदूरों, फैक्ट्री मजदूर या किसी दुकान पर काम करने वाले मजदूरों से बात कर सकते हैं।
(i) निर्माण श्रमिक - वे कानून द्वारा तय किये गए न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा हैं।
(ii) फैक्ट्री श्रमिक - वे कानून द्वारा तय किये गए न्यूनतम मजदूरी प्राप्त कर रहे है।
विदेशी कंपनियों को भारत में अपने कारखाने खोलने से क्या फायदा है?
क्या आपको लगता है कि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को सामाजिक न्याय मिला है? चर्चा करें।
नहीं,भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को सामाजिक न्याय नहीं मिला। इतने साल बीत जाने पर भी वे न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मांग है की उन्हें पीने का साफ पानी, स्वास्थ्य सुविधाओं और पीड़ितों नौकरिया उपलब्ध कराइ जाए। उन्होंने यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन को सजा दिलाने के लिए भी आंदोलन चलाया है।
जब हम कानून को लागू करने के बाद करते हैं तो इसका क्या मतलब होता है? कानून को लागू करने की जिम्मेदारी किसकी है? कानून को लागू करना इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
कानून को लागू करने का मतलब है कि कानून को व्यवहार में लाया जाना। हाँ, कानून को लागू करने की जिम्मेदारी सरकार की है। यदि कानून ताकतवर लोगों से कमजोर लोगों की रक्षा हेतु बनाया जाता है तो उसको लागू करना और भी महत्वपूर्ण बन जाता है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक मजदूर को सही वेतन मिले इसके लिए सरकार को नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए और यदि कोई कानून का उल्लंघन करता है तो उसे सजा देनी चाहिए।
मान लीजिए कि आप एक रसायनिक फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर है। सरकार ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह वर्तमान जगह से 100 किलोमीटर दूर किसी दूसरे स्थान पर अपना कारखाना चलाए। इससे आपकी ज़िंदगी पर क्या असर पड़ेगा। अपनी राय पूरी कक्षा के सामने पढ़कर सुनाएँ।
रसायनिक फैक्ट्री के 100 किलोमीटर दूर किसी दूसरे स्थान पर जाने से निम्नलिखित प्रभाव पड़ेंगे-
(i) सुबह उठने का समय बदल जाएगा पहले 7:00 बजे उठना पड़ता था अब 5:00 बजे उठना पड़ेगा।
(ii) घर से फैक्ट्रीके लिए जल्दी निकलना पड़ेगा।
(iii) फैक्ट्री के लिए पहले बस द्वारा जाना होता था आप पहले ट्रेन द्वारा जाना पड़ेगा।
(iii) शाम के समय पहले बच्चों को पढ़ाने के लिए और अन्य कार्यों के लिए भी समय मिल जाता था परन्तु अब इन सबके लिए समय नहीं मिलेगा।
(iv) घर पहुँचने का समय बदल जाएगा पहले 7:00 बजे तक घर पहुंचा जाता था अब 9:30 या 10:00 बजे तक घर पहुंचा जाएगा।
इसे इकाई में आपने सरकार की विभिन्न भूमिकाओं के बारे में पढ़ा इनके बारे में एक अनुच्छेद लिखें
(i) सरकार की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि प्रत्येक नागरिक को प्राप्त सुविधाएँ मिले जैसे पानी, स्वास्थ्य शिक्षा आदि।
(ii) मौलिक अधिकारों का हनन होने से बचाती है।
(iii) सरकार संसद के बजट पेश करती है।
(iv) सरकार कानून बनाकर सुनिश्चित करती है की उन्हें कैसे लागू किया जाए।
(v) कानून को कायम रखने के लिए सर्कार व्यक्ति और निजी कंपनियों की गतिविधियों को नियंत्रित करती है।
आपके इलाके में पर्यावरण को दूषित करने वाले स्रोत कौन से है? (क) हवा; (ख) पानी और (ग) मिट्टी में प्रदूषण से संबंध में चर्चा करें प्रदूषण को रोकने के लिए किस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं? क्या आप कोई और सुझाव सुझा जा सकते हैं?
प्रदूषण रोकने हेतु उठाए जाने वाले कदम-
(i) वृक्षारोपण अभियान शुरू किया जाए।
(ii) वायु प्रदूषण रोकने हेतु सीएनजी बसें शुरू की जाए।
(iii) उद्योगों का विकेंद्रीकरण किया जाए
प्रदूषण रोकने हेतु कुछ अन्य उपाय-
(i) अत्याधिक निर्माण कार्य पर रोक लगा कर।
(ii) निजी वाहनों को सीएनजी के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
(iii) कूड़ा करकट नदी में नहीं जाना चाहिए।
पहले पर्यावरण को किस तरह देखा जाता था? क्या अब सोच में कोई बदलाव आया है? चर्चा करें।
पहले पर्यावरण की रक्षा के लिए कानों कम थे। लोग प्रकृति के होने वाले नुकसानों से परिचित नहीं थे। पर्यावरण को एक मुफ्त चीज माना जाता था। किसी भी उद्योग को हवा-पानी में प्रदूषण छोड़ने पर कोई रोक नहीं थी। दिन-प्रतिदिन पर्यावरण का नुकसान हो रहा था और लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था।
परन्तु अब पर्यावरण के प्रति लोगों की सोच में बदल रही है। अदालतों में पर्यावरण की रक्षा संबंधित कठोर कानून बनाए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय संविधान के 21वें अनुच्छेद के तहत एक मौलिक अधिकार स्वीकारा गया है। सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वायु और जल आदि प्रदूषण पर रोक लगाए और इनका उलंघन करने वालों को दंड दें।
पहले पर्यावरण को किस तरह देखना चाहता था? क्या अब सोच में कोई बदलाव आया है? चर्चा करें।
पहले हमारे पास पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत कम कानून थे। इन कानूनों को लागू करने की व्यवस्था भी काफी कमजोर थी। पर्यावरण को एक मुफ्त चीज़ माना जाता था। किसी भी उद्योग को हवा-पानी में प्रदूषण छोड़ने की खुली छूट मिली हुई थी। चाहे नदियाँ हों, हवा हो या भूमिगत पानी हो - पर्यावरण दूषित हो रहा था और लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था।
अब पर्यावरण के प्रति लोगों की सोच में बदलाव आया है। अदालतों ने स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा बताते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि जीवन का अधिकार संविधान के 21वें अनुच्छेद के तहत एक मौलिक अधिकार है और इसमें प्रदूषण मुक्त हवा और पानी के अधिकार भी शामिल हैं। यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह प्रदूषण पर अंकुश लगाने, नदियों को साफ रखने और जो दोषी हैं उन पर भारी जुर्माना लगाने के लिए कानून और प्रक्रियाएँ तय करे।
प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के कार्टून के ज़रिए क्या कहना चाह रहे हैं ? इसका 2006 में बनाए गए उस कानून से क्या संबंध है जिसकों पृष्ट १२३ पर आपने पढ़ा था।
प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण इस कार्टून के ज़रिए यह कहना चाह रहे हैं कि हमारे देश में बाल मज़दूरी का प्रचलन आज भी है। इस सामाजिक कुरीति में ज़्यादातर गरीब बच्चे आते हैं। गरीब वर्ग अमीर वर्ग द्वारा शोषित होता है। कार्टून में आप देख सकते हैं कि एक महिला ने अपने बच्चे के भोज को कम करने के लिए एक गरीब बच्चे पर बोझा लादा हुआ है। महिला को अपने बच्चों से पूर्ण सहानुभूति है परंतु गरीब बच्चे से नहीं। गरीब बच्चे पर बोझा लदे होने पर उसे कोई हिचकिचाहट या शर्मिंदगी महसूस नहीं हो रही है।
2006 के अक्टूबर महीने में सरकार ने 14 साल से कम उम्र के बच्चों को घर, ढाबों या रेस्तराँ या चाय की दुकानों आदि में नौकरी पर रखने की प्रथा पर पाबंदी लगा दी थी।
इस कानून के बनने के बावजूद, बाल मजदूरी का प्रचलन आज भी है। लोग खुलेआम बाल मज़दूरी करवाते हैं तथा ऐसा करने पर उन्हे कोई दंड भी नहीं दिया जाता है।
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