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आपको ऐसा क्यों लगता है कि दुनिया में निजी जलपूर्ति के उदाहरण कम है?
जल एक आवश्यक जनसुविधा है इसलिए यह जिम्मेदारी सरकार की बनती है कि वह इसे सफलतापूर्वक लोगों तक पहुँचाए। यह जनसुविधा सभी को मुहैया होनी चाहिए। इस कार्य के लिए नुकसान और फायदे को अलग करना आवश्यक होता है। निजी कंपनियां केवल अपने मुनाफे के बारे में सोचती है। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि व्यक्ति तक वह वस्तु पहुँच रही है या नहीं। जलपूर्ति का निजीकरण करने का अर्थ है कि लोगों की जनसुविधा की उपलब्धता में अनियमितता, इससे देश में अराजकता फैल सकती है। यही कारण है कि निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम देखने को मिलते हैं।
किसानों द्वारा चेन्नई के जल व्यापारियों को पानी बेचने से स्थानीय लोगों पर क्या असर पड़ रहा है? क्या आपको लगता है कि स्थानीय लोग भूमिगत पानी के इस दोहन का विरोध कर सकते हैं? क्या सरकार इस बारे में कुछ कर सकती है?
क्या आपको लगता है कि हमारे देश में जनसुविधाओं का वितरण पर्याप्त और निष्पक्ष हैं? अपनी बात के समर्थन में एक उदाहरण दीजिए।
अपने इलाके की पानी, बिजली, आदि कुछ जनसुविधाओं को देखें क्या उनमें सुधार की कोई गुंजाइश है? आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए? इस तालिका को भरें।
उसमें कैसे सुधार लाया जाए? |
सार्वजानिक परिवहन |
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पानी | ||
बिजली | ||
सड़क | ||
सार्वजानिक परिवहन |
क्या यह उपलब्ध है? |
उसमें कैसे सुधार लाया जाए? | |
पानी | हाँ | पानी देने के समय को बढ़ाया जाए। |
बिजली | हाँ | बिजली के दोहन पर रोक लगाई जाए। |
सड़क | हाँ | सड़क निर्माण में अच्छे सामान का प्रयोग किया जाए। टूटी हुई सड़कों की तुरंत मरम्त की जाए। |
सार्वजानिक परिवहन |
हाँ |
बसों की संख्या को बढ़ाया जाए। |
क्या आपके इलाके के सभी लोग उपरोक्त जनसुविधाओं का समान रूप से इस्तेमाल करते है? विस्तार से बताइएँ।
जनगणना के साथ-साथ कुछ जनसुविधाओं के बारे में भी आँकड़े इकठ्ठा किए जाते हैं। अपने शिक्षक के साथ चर्चा करें कि जनगणना का काम कब और किस तरह किया जाता है।
हमारे देश में निजी शैक्षिणक संसथान- स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान बड़े पैमाने पर खुलते जा रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी शिक्षा संस्थानों का महत्व कम होता जा रहा है। आपकी राय में इसका क्या असर हो सकता है? चर्चा कीजिए
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