आपको ऐसा क्यों लगता है कि दुनिया में निजी जलपूर्ति के उदाहरण कम है?
जल एक आवश्यक जनसुविधा है इसलिए यह जिम्मेदारी सरकार की बनती है कि वह इसे सफलतापूर्वक लोगों तक पहुँचाए। यह जनसुविधा सभी को मुहैया होनी चाहिए। इस कार्य के लिए नुकसान और फायदे को अलग करना आवश्यक होता है। निजी कंपनियां केवल अपने मुनाफे के बारे में सोचती है। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि व्यक्ति तक वह वस्तु पहुँच रही है या नहीं। जलपूर्ति का निजीकरण करने का अर्थ है कि लोगों की जनसुविधा की उपलब्धता में अनियमितता, इससे देश में अराजकता फैल सकती है। यही कारण है कि निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम देखने को मिलते हैं।