संचयन भाग १ Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी - के. विक्रम सिंह
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html संचयन भाग १

    कल्लू कुम्हार की उनाकोटी - के. विक्रम सिंह Here is the CBSE About 2.html Chapter 3 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html कल्लू कुम्हार की उनाकोटी - के. विक्रम सिंह Chapter 3 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html कल्लू कुम्हार की उनाकोटी - के. विक्रम सिंह Chapter 3 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9001124

     ‘उनाकोटी’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है?

    Solution
    उनाकोटी का अर्थ है एक करोड़ से एक कम। उनाकोटी में शिव की कोटी मूर्तियाँ हैं। भारत के यह सबसे बड़े शैव तीर्थों में से एक है। यहाँ आदिवासी धर्म फलते-फूलते हैं। यह स्थान जंगल में काफी भीतर है। यह पूरा इलाका देवी-देवताओं से भरा पड़ा है। इसका निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह पार्वती का भक्त था। वह शिव-पार्वती के साथ उनके निवास कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। पार्वती के जोर देने पर शिव कल्लू को कैलाश ले जाने के लिए तैयार हो गए लेकिन उसके लिए यह शर्त रखी कि उसे एक रात में शिव की एक कोटी मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू अपने धुन के पक्के व्यक्ति की तरह अपने काम में जुट गया। लेकिन जब गिनती हुई तो मूर्तियाँ एक कोटी से कम निकली। कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुडाने पर अड़े शिव ने इसी बात को बहाना बनाते हुए कल्लू को अपनी मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया और चलते बने।
    Question 2
    CBSEENHN9001125

    पाठ के सदंर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए 

    Solution
    पहाड़ों को अंदर से काटकर यहाँ विशाल आधार मूर्तियाँ बनी हैं। एक विशाल चट्टान ऋषि भागीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा अवतरण की पौराणिकता को चित्रित करती है। गंगा अवतरण के धक्के से कहीं पृथ्वी धंसकर पाताल लोक में न चली जाए। शिव को इसके लिए तैयार किया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और इसके बाद उसे धीरे-धीरे पृथ्वी पर बहने दें। शिव का चेहरा एक समूची चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ तो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हैं। भारत में यह शिव की सबसे बड़ी आधार मूर्ति है। पूरे साल बहने वाली एक जल प्रपात पहाड़ों से उतरता है जिसे गंगा जितना ही पवित्र माना जाता है।
    Question 3
    CBSEENHN9001126

    कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?

    Solution
    उनाकोटी का पूरा इलाका ही शब्दश: देवियों-देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा है। इन आधार मूर्तियों के निर्माता अभी चिह्निनत नहीं किए जा सके हैं। स्थानीय आदिवासियों का मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह पार्वती का भक्त था। वह शिव-पार्वती के निवास कैलाश जाना चाहता था। लेकिन इसके लिए शर्त यह रखी थी कि उसे एक रात में शिव की एक कोटी मूर्तियाँ बनानी होंगी। जब भोर हुई तो मूर्तियाँ एक कोटी से कम निकलीं। कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने पर अड़े शिव ने इसी बात को बहाना बनाते हुए कल्लू कुम्हार को अपनी मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया और चलते बने। इस प्रकार उनाकोटी की मूर्तियों के निर्माता के रूप में कल्लू कुम्हार को प्रसिद्धि मिली और उनका नाम उनाकोटी से जुड़ गया।
    Question 4
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    ‘मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी- सी दौड़ गई'- लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है?

    Solution
    त्रिपुरा के हिंसाग्रस्त मुख्य भाग में प्रवेश करने से पहले अंतिम पड़ाव टीलियामुरा ही है। राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर अगले 83 किलोमीटर यानी मनु तक की यात्रा के दौरान ट्रैफिक सी.आर.एफ. की सुरक्षा में काफिले की शक्ल में चलता है। मुख्य सचिव और आई.जी. सी.आर.पी.एफ. से मैंने निवेदन किया था कि वे हमें घेरेबंदी में लेकर चलने वाले काफिले के आगे-आगे चले। काफिला दिन में 11 बजे के आसपास चलना शुरू हुआ। सभी काम में मस्त थे उस समय तक डर की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। पहाड़ियों पर इरादतन रखे दो पत्थरों की तरफ मेरा ध्यान आकृष्ट नहीं हुआ। ‘दो दिन पहले हमारा एक जवान यहीं विद्रोहियों द्वारा मारा गया था’ मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। मनु तक की अपनी शेष यात्रा में, मैं यह ख्याल अपने दिल से निकाल नहीं पाया कि हमें घेरे हुए सी० आर० एफ० के जवान हैं अन्यथा शांतिपूर्ण प्रतीत होने वाले जंगलों में किसी जगह बंदूकें लिए विद्रोही भी छिपे हो सकते हैं।
    Question 5
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    त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना?

    Solution
    त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियों और विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व मौजूद है। अगरतला के बाहरी हिस्से पचौरथल पर उन्हें बताया गया कि त्रिपुरा के उन्नीस कबीलों में से दो यानी चकमा और मधु महायानी बौद्ध हैं। ये कबीले त्रिपुरा में बर्मा या म्यांमार के चटगाँव के रास्ते आए थे। दरअसल इस मंदिर की मुख्य बुद्ध प्रतिमा भी 1930 के दशक में रंगून से लाई गई थी। त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोगों के आने से कुछ समस्याएँ तो पैदा हुईं लेकिन इसके चलते यह राज्य बहु धार्मिक समाज का उदाहरण बना है।
    Question 6
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    टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज-कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था ?

    Solution
    टीलियामुरा कुछ ज्यादा बड़ा हो गया गाँव ही है। यहाँ लेखक की मुलाकात हेमंत कुमार जमातिया से हुई जो यहाँ के एक प्रसिद्ध लोक गायक हैं और जो 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी हो चुके हैं। हेमंत कीकबारोक बोली में गाते हैं। टीलियामुरा शहर के वार्ड नं. 3 में लेखक की मुलाकात एक और गायक मंजु ऋषिदास से हुई। ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है। लेकिन जूते बनाने के अलावा इस समुदाय के कुछ लोगों की विशेषता थाप वाले वाद्यों जैसे तबला और ढोल के निर्माण और उनकी मरम्मत के काम में भी है। मंजु ऋषिदास आकर्षण महिला थी और रेडियो कलाकार होने के अलावा नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं। वे निरक्षर थीं। लेकिन अपने वार्ड की सबसे बड़ी आवश्यकता यानी पेयजल के बारे में उन्हें पूरी जानकारी थी। नगर पंचायत को वे अपने वार्ड में नल का पानी पहुँचाने और इसकी मुख्य गलियों में ईंटें बिछाने के लिए राजी कर चुकी थीं।
    Question 7
    CBSEENHN9001130

    केलासशहर के ज़िलाधिकारी ने आह की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी?

    Solution
    कैलाशशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को यह जानकारी दी कि आलू की बुआई के लिए आमतौर पर पारंपरिक आलू के बीजों की जरूरत दो मीट्रिक टन प्रति हैक्टेयर पड़ती है। इसके बरक्स टी.पी.एस. की सिर्फ 100 ग्राम मात्रा दो हैक्टेयर की बुआई के लिए काफी होती है। त्रिपुरा की टी.पी.एस. का निर्यात अब न सिर्फ असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश को बल्कि बांग्लादेश, मलेशिया और वियतनाम को भी किया जा रहा है।
    Question 8
    CBSEENHN9001131

    त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए?

    Solution
    त्रिपुरा में आलू की खेती के साथ-साथ अगरबत्तियों के लिए बांस की पतली सींकें तैयार की जाती हैं। अगरबत्तियाँ बनाने के लिए इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है। अन्य घरेलू उद्योगों में माचिस, साबुन, प्लास्टिक, स्टील, लकड़ी आदि के घरेलू उद्योग सर्वप्रसिद्ध हैं। घरेलू आवश्यकता प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है। उद्योगों में भी बहुसंख्यक दौड़ में प्रतियोगी भावनाएँ बढ़ती जा रही हैं। जूते, सीमेंट, कपड़ा उद्योग जैसे घरेलू उद्योग लघु व विशाल रूपों में फैले हुए दिखाई देते हैं।
    Question 9
    CBSEENHN9001132

    लेखक त्रिपुरा क्यों गया?

    Solution
    लेखक ‘आन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टी.वी. श्रृंखला बनाने के सिलसिले में त्रिपुरा गया था। इस शृंखला का मुख्य उद्देश्य त्रिपुरा के राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से यात्रा करते हुए राज्य की विकास संबंधी गतिविधियों की जानकारी देना था।
    Question 10
    CBSEENHN9001133

    त्रिपुरा में सी.आर.पी.एफ. की भूमिका का वर्णन करो?

    Solution
    सी.आर.पी.एफ. (केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल) त्रिपुरा में पूरा नियंत्रण रखती हैं यह पुलिस बल राज्य के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा का काम करता है। राष्ट्रीय राजमार्ग-44 की देखभाल और यातायात-व्यवस्था की जिम्मेदारी भी इनके पास है। लोगों के जान माल की रक्षा करना और विद्राहियों से संघर्ष करना इनका काम है। त्रिपुरा में शांति व्यवस्था बनाए रखना सीआरपीएफ. का काम है।
    Question 11
    CBSEENHN9001134

    मनु नदी के पुल के विषय में लेखक ने क्या लिखा है?

    Solution
    मनु नदी के पुल के विषय में लेखक लिखता है कि उस नदी पर हजारों बाँसों को बाँधकर एक पुल बनाया गया था। वह पुल विशाल हेगन जैसा दिखाई दे रहा था। वह डूबते सूरज की रोशनी में चमक रहा था। इस पुल की सुरक्षा का काम जवान कर रहे थे।
    Question 12
    CBSEENHN9001135

    त्रिपुरा राज्य में आलू का निर्यात कहाँ-कहाँ किया जाता है?

    Solution
    यहाँ से आलू का निर्यात असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में किया जाता है। विदेशों में इसका निर्यात बांग्लादेश, वियतनाम और मलेशिया आदि राज्यों में किया जाता है।

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