संचयन भाग १ Chapter 1 गिल्लू - महादेवी वर्मा
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html संचयन भाग १

    गिल्लू - महादेवी वर्मा Here is the CBSE About 2.html Chapter 1 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html गिल्लू - महादेवी वर्मा Chapter 1 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html गिल्लू - महादेवी वर्मा Chapter 1 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9001098

    सोनजूही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन कौन से विचार उमड़ने लगे?

    Solution
    सोनजूही की पीली कली मनमोहक होती है। लेखिका के मन मे विचार आया कि वह छोटा जीव इसी कली की सघन छाया मे छिपकर बैठ जाता था। उसका नाम गगिल्लूथा। वह लेखिका के निकट पहुँचते ही कंधे पर कूद जाता था। और उन्हें चौका देता था उस समय लेखिका को केवल कली की खोज रहती थी पर अब वे उस लघुगात, प्राणी को ढूँढ रही थी। इस कली को पुन: खिले हुए देखकर लेखिका अपने उसी पारिवारिक सदस्य की खोज में डूब जाती हैं। जिसका नामकरण संस्कार भी उन्होंने स्वयं ही किया था।
    Question 2
    CBSEENHN9001099

    पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?

    Solution
    कौआ एक विचित्र प्राणी है। कभी इसका आदर किया जाता है तो कभी अनादर। श्राधों में लोग कौए को आदर से बुलाते हैं। पाठ के आधार पर कौए को समादरित इसलिए कहा गया है क्योंकि माना जाता है कि जो लोग मर जाते हैं, वे कौए के रूप में अपने प्रियजनों से मिलने आते है। उन्हें खाना खिलाकर ये माना जाता है कि अपने प्रियजनों को खाना खिला दिया। इसके माध्यम से ही दूर बसे प्रियजनों के आने का संदेश मिलता है। इसका अनादर इसलिए किया जाता है, क्योंकि कौआ काँव-काँव करके हमारा सिर खा जाता है इसकी कर्कश वाणी किसी को नही भाती तभी यह अनादरित होता है।
    Question 3
    CBSEENHN9001100

    गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?

    Solution
    लेखिका ने दो कौओं की चोंच से घायल, गिलहरी के बच्चे को उठा लिया। वह कौओं द्वारा चोच मारे जाने से बिल्कुल निश्चेन्त-सा गमले से चिपटा पड़ा था। लेखिका उसे उठाकर अपने कमरे में ले आईं और रूई से उसका खून पोंछकर उसके घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। लेखिका ने रूई की पतली बत्तीं दूध से भिगोकर बार-बार उसके नन्हें मुँह पर लगाई किन्तु उसका मुँह पूरी तरह खुल नहीं पाता था इसलिए वह पी न सका। तब काफी देर तक लेखिका उसका उपचार करती रही और उसके मुँह में पानी की बूँद टपकाने में सफल हो सकी। लेखिका के इस प्रकार के उपचार के तीन दिन बाद ही गिलहरी का बच्चा पूरी तरह अच्छा और स्वस्थ हो गया।
    Question 4
    CBSEENHN9001101

    लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?

    Solution
    जब लेखिका लिखने बैठती तो गिल्लू लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करता। इसके लिए वह लेखिका के पैर तक आकर तेजी से पर्दे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। गिल्लूह क्रिया तब तक करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न दौड़ती। इस प्रकार गिल्लू लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हो जाता। लेखिका के गिल्लू समझदारी और इस प्रकार के कार्य कलापों पर हैरानी होती थी।
    Question 5
    CBSEENHN9001102

    गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?

    Solution
    गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि वह उसका पहला बसंत था। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करके कुछ-कुछ कहने लगी। गिल्लू जाली के पास बैठकर उन्हें निहारता था। उन्हें मजे से खेलते देख वह उदास था। उसे मुक्त करने का कारण यह भी था कि उस जैसे छोटे जानवर, का कूत्ता और बिल्ली आदि से रक्षा करना भी मुश्किल था। लेखिका ने उसे मुक्त करने के लिए जाली का कोना खोल दिया और इस मार्ग से गिल्लू बाहर आ जा सकता था। बाहर जाकर गिल्लू ने सचमुच मुक्ति की साँस ली।
    Question 6
    CBSEENHN9001103

    गिल्लू किन अर्थो में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?

    Solution
    एक बार लेखिका मोटर दुर्घटना में घायल हो गई और उसे कई दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा। अस्पताल से घर आने पर गिल्लू ने उसकी सेवा की। वह लेखिका के पास बैठा रहता। वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे नन्हे पंजो से लेखिका के सिर और बालों को इस प्रकार सहलाता रहता जिस प्रकार कोई सेविका हल्के हाथों से मालिश करती है। जब तक गिल्लू सिरहाने बैठा रहता लेखिका को ऐसा प्रतीत होता मानो कोई सेविका उसकी सेवा कर रही है। उसका वहाँ से हटना लेखिका को किसी परिचारिका के हटने के समान लगता। इस प्रकार लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू ने परिचारिका की भूमिका निभाई।
    Question 7
    CBSEENHN9001104

    गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?

    Solution
    गिलहरी के जीवन की अवधि लगभग दो वर्ष होती है। जब गिल्लू का अंत समय आया तो उसने दिन रात कुछ नही खाया। वह घर से बाहर भी नही गया। वह अपने अंतिम समय में अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर निष्चेष्ट लेट गया उसके पंजे पूरी तरह ठंढे पड़ चुके थे। वह अपने ठंडे पंजो से लेखिका की उंगली पकड़कर उसके हाथ से चिपक गया। लेखिका ने हीटर जलाकर उसे गर्मी देने का प्रयास किया किंतु कोई लाभ न हुआ। प्रात: काल होने तक गिल्लू की मृत्यु हो चुकी थी।
    Question 8
    CBSEENHN9001105

    ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’- का आश्य स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    विधाता प्रदत्त जीवन के दो पहलू हैं जीवन और मरण। जीवन खुशी का अनुभव कराता है तो मृत्यु दुख का। गिल्लू के जीवन का मार्मिक अंत हो गया। सुबह का उजाला पुन: फैलाने के लिए वह मृत्यु की गोद में समा गया था। मृत्यु का आभास वेदनापूर्ण था पारिवारिक माहौल को उसने अवसाद से भर दिया।

    जिन्हें परिवार के सदस्य की भाँति पाला पोसा गया हो और जब वही छोड्‌कर चले जाते हैं तो जीवन को अनुभूति दुखद हो जाती है। गिल्लू भी महादेवी के लिए पारिवारिक सदस्य की भाँति था। उसके साथ उनका साहचर्यजनित लगाव था। परंतु अधूरेपन व अल्पावधि का अनुभव कराकर गिल्लू का प्रभात की प्रथम किरण के रूप में मौत की गोद में सो जाना लेखिका को हिलाकर रख गया। मृत्यु पर किसी का वश नही चलता इसी कारण सभी हाथ पर हाथ रखकर बैठने के सिवा कुछ नहीं कर सकते।

    Question 9
    CBSEENHN9001106

    सोनजूही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?

    Solution

    सोनजूही की पीली कली की लता पुन: खिली थी अर्थात् मृत्यु के बाद पुनर्जन्म की कामना मन को संतुष्ट कर रही थी। गिल्लू को सोनजूही से लगाव था। वह उसकी सघन छाया में छिपकर बैठ जाता था। उसकी हरियाली उसके मन की भाँति थी। सोनजूही का खिलना उस लघुगात के पुन: लौटने की आशा को जाग्रत करता है। इसी कारण शायद उसकी समाधि सोनजूही की गोद में बनाई गई है।

    पौधों के पुर्नप्रस्फूटन की प्रथा तो देखी गई है परंतु जीव का लौटना असंभव है फिर भी एक अपूर्ण सी कामना की झलक मन को आशा से परिपूर्ण करती है। महादेवी जी भी इसी मनोकामना से आश्वस्त दिखाई देती है।

    Question 10
    CBSEENHN9001107

    गिलहरी का नाम गिल्लू कैसे पड़ा?

    Solution
    ‘गिल्लू गिलहरी का ही संक्षिप्त रूप है। महादेवी ने उसे कोई व्यक्तिवाचक नया नाम देने की बजाय उसके जातिवाचक नाम ‘गिलहरी’ से पुकारना ही ठीक समझा। इसलिए उससे उसे प्यार से ‘गिल्लू कह दिया।
    Question 11
    CBSEENHN9001108

    भूख लगने पर गिल्लू किस तरह संकेत देता था? उसे भोजन कैसे मिलता था?

    Solution
    गिल्लू को जब भूख लगती थी तो वह चिकचिक की आवाज करने लगता था। महादेवी इस आवाज को समझ लेती थी। तब वह उसके लिए काजू तथा अन्य खाद्य पदार्थ भेज देती थी।
    Question 12
    CBSEENHN9001109

    गिल्लू महादेवी को चौंकाने के लिए क्या करता था?

    Solution
    गिल्लू महादेवी को चौंकाने के लिए छिप जाया करता था। वह कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता था, कभी परदे की चुन्नट में छिप जाता था तो कभी सोनजूही की पत्तियों में बैठ जाता था।
    Question 13
    CBSEENHN9001110

    गिल्लू भोजन किस प्रकार करता था?

    Solution
    पहले गिल्लू महादेवी की थाली में बैठ जाया करता था बाद में महादेवी ने उसे थाली के पास बैठना सिखाया। अत: अब वह एक-एक चावल बड़ी कुशलता से उठाता था और बड़ी सफाई से खाता था। काजू उसका प्रिय भोजन था।

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