स्पर्श भाग २ Chapter 5 पर्वत प्रदेश में पावस
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi स्पर्श भाग २

    पर्वत प्रदेश में पावस Here is the CBSE Hindi Chapter 5 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi पर्वत प्रदेश में पावस Chapter 5 NCERT Solutions for Class 10 Hindi पर्वत प्रदेश में पावस Chapter 5 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN10002392

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

    Solution

    पर्वतीय प्रदेश में जब मूसलाधार वर्षा होने लगती है तब पर्वतों पर उगनेवाले शाल के वृक्ष दिखाई देने बंद हो जाते हैं। तब ऐसा लगता है जैसे वे घबराकर धरा में छुप गए हैं मानवीकरण अलंकार का अद्धभुत प्रयोग इस पंक्ति में दिखाई देता है।पावस ऋतु में आकाश में बादल छा जाते है। कभी वर्षा होने लगती है तो कभी आसमान में बादल अदृशय हो जाते हैं।बादल अटखेलियां करते दिखाई देते हैं। वर्षा के कारण पर्वतीय प्रदेशों के झरने झर-झर बहने लगते हैं तथा वातावरण में संगीत उत्पन्न करते हैं। समतल भूमि पर जल एकत्रित हो जाता हैं। हवा के चलने के कारण वृक्ष भी झूमने लगते हैं। पूरी प्रकृति नृत्य करती सी प्रतीत होती हैं।      

    Question 2
    CBSEENHN10002393

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    'मेखलाकार' शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?

    Solution

    'मेखला' का अर्थ तगड़ी होता है जिसे स्त्रियाँ कमर में पहनती हैं इस प्रकार मेखलाकार का अर्थ तगड़ी का गोल आकार हुआ पर्वत भी मेखला की तरह गोल दिखाई दे रहे हैं जो धरती की कटि को घेरे हुए हैं प्रकृति के सौंदर्य को उभरने के लिए कवि ने इसका प्रयोग किया है       

    Question 3
    CBSEENHN10002394

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    'सहस्र दृग-सुमन' से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?

    Solution

    वर्षा ऋतु में पर्वतों पर असंख्य सुन्दर फूल खिल जाते हैं । कवि इनकी तुलना पर्वत के नेत्रों से कर रहा है ।ऐसा लगता है मानों पर्वत अपने इन सुन्दर नेत्रों से प्रकृति की छटा को निहार रहा है। कवि ने इस पद का प्रयोग प्रकृति को सजीव चित्रण करने के लिए किया है पर्वतों को मानव का रूपक दे दिया गया है ।      

    Question 4
    CBSEENHN10002395

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?

    Solution
    कवि ने तालाब की समानता दर्पण से की है। जिस प्रकार दर्पण में मनुष्य को अपना प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। इसी प्रकार तालाबरूपी दर्पण में पर्वतरूपी मानव अपना  प्रतिबिम्ब निहार रहा है , काव्य सौंदर्य को बढ़ाने के लिए, अपने भावों की पूर्ण अभीव्यक्ति के लिए कवि ने ऐसा रूपक बाँधा है।       
    Question 5
    CBSEENHN10002396

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की और क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?

    Solution

    पर्वत के ह्रदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आसमान की ओर अपनी ऊंच्चाकंशाओ के कारण देख रहे थे। वे आसमान जितना ऊँचा उठना चाहते हैं।  वे शांत भाव से एकटक आसमान को निहारते हैं। जो इस बात की ओर संकेत करता है कि अपनी आकांशाओं को पाने के लिए शांत तथा एकाग्रता आवश्यक है।       

    Question 6
    CBSEENHN10002397

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?

    Solution
    वर्षा की भयानकता और धुंध से शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए प्रतीत होते हैं।
    Question 7
    CBSEENHN10002398

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?

    Solution
    झरने पर्वतों की गाथा का गान कर रहे हैं। बहते हुए झरने की तुलना मोती की लड़ियों से की गयी है।
    Question 8
    CBSEENHN10002399

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये-   
     है टूट पड़ा भू पर अंबर।

    Solution
    सुमित्रानंदन पंत जी ने इस पंक्ति में पर्वत प्रदेश के मूसलाधार वर्षा का वर्णन किया है। पर्वत प्रदेश में पावस ऋतु में प्रकृति की छटा निराली हो जाती है। कभी-कभी इतनी धुआँधार वर्षा होती है मानो आकाश टूट पड़ेगा।
    Question 9
    CBSEENHN10002400

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये-   
    यों जलद-यान में विचर-विचर
    था इंद्र खेलता इंद्रजाल।

    Solution
    कभी गहरे बादल, कभी तेज़ वर्षा और तालाबों से उठता धुआँ − यहाँ वर्षा ऋतु में पल-पल प्रकृति वेश बदल जाता है। यह सब दृश्य देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे बादलों के विमान में विराजमान राजा इन्द्र विभिन्न प्रकार के जादुई खेल-खेल रहे हों।
    Question 10
    CBSEENHN10002401

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये-
    गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
    उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
    हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
    अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।

    Solution

    इसका भाव है कि वृक्ष भी पर्वत के हृदय से उठ-उठकर ऊँची आकांक्षाओं के समान शांत आकाश की ओर देख रहे हैं। वे आकाश की ओर स्थिर दृष्टि से देखते हुए यह प्रतिबिंबित करते हैं कि वे आकाश कि ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं। इसमें उनकी मानवीय भावनाओं को स्पष्ट किया गया है कि उद्धेश्य को पाने के लिए अपनी दृष्टि स्थिर करनी चाहिए और बिना किसी संदेह के चुपचाप मौन रहकर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना चाहिए। आकांक्षाओं को पाने के लिए शांत मन तथा एकाग्रता आवश्यक है। वे कुछ चिंतित भी दिखाई पड़ते हैं।  

    Question 11
    CBSEENHN10002402

     इस कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किस प्रकार किया गया है? स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    प्रस्तुत कविता में जगह-जगह पर मानवीकरण अलंकार का प्रयोग करके प्रकृति में जान डाल दी गई है जिससे प्रकृति सजीव प्रतीत हो रही है; जैसे − पर्वत पर उगे फूल को आँखों के द्वारा मानवकृत कर उसे सजीव प्राणी की तरह प्रस्तुत किया गया है।
    'उच्चाकांक्षाओं से तरूवर
    हैं झाँक रहे नीरव नभ पर'
    इन पंक्तियों में तरूवर के झाँकने में मानवीकरण अलंकार है, मानो कोई व्यक्ति झाँक रहा हो।

    Question 12
    CBSEENHN10002403

    आपकी दृष्टि में इस कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर करता है −
    (क) अनेकशब्दों की आवृति पर
    (ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर
    (ग) कविता की संगीतात्मकता पर

    Solution

    (ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर
    इस कविता का सौंदर्य शब्दों की चित्रमयी भाषा पर निर्भर करता है। कवि ने कविता में चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए प्रकृति का सुन्दर रुप प्रस्तुत किया गया है।

    Question 13
    CBSEENHN10002404

    कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। ऐसे स्थलों को छाँटकर लिखिए।

    Solution

    कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। कविता में इन स्थलों पर चित्रात्मक शैली की छटा बिखरी हुई है-
    1. मेखलाकार पर्वत अपार
    अपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,
    अवलोक रहा है बार-बार
    नीचे जल में निज महाकार
    जिसके चरणों में पला ताल
    दर्पण फैला है विशाल!

    2. गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
    उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
    हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
    अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।

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