क्षितिज भाग २ Chapter 13 सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi क्षितिज भाग २

    सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक Here is the CBSE Hindi Chapter 13 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक Chapter 13 NCERT Solutions for Class 10 Hindi सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक Chapter 13 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN100018864

    निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए [2 × 4 = 8]

    (क) लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को ‘यज्ञ की पवित्र अग्नि’ क्यों कहा है?
    (ख) मन्नू भंडारी का अपने पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए।
    (ग) “नेताजी का चश्मा’ पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है?
    (घ) बालगोबिन भगत अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों ?
    (ङ) लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा?

    Solution

    (क) लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को ‘यज्ञ की पवित्र अग्नि’ इसलिए कहा है क्योंकि लेखक फादर बुल्के रूपी पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धामत है, उनका सारा जीवन देश व देशवासियों के प्रति समर्पित था। जिस प्रकार यज्ञ की अग्नि पवित्र होती है तथा उसके ताप में उष्णता होती है उसी प्रकार फादर बुल्के को याद करना शरीर और मन में ऊष्मा, उत्साह तथा पवित्र भावे भर देता है। अतः फादर की स्मृति किसी यज्ञ की पवित्र आगे और उसकी लौ की तरह आजीवन बनी रहेगी।

    (ख) मन्नू भंडारी और उनके पिता के बीच वैचारिक रूप से काफी मतभेद थे। उनके पिता अहंकारी, क्रोधी, शक्की तथा सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति सजग रहने वाले व्यक्ति थे। यद्यपि वे आधुनिकता के समर्थक थे, वे स्त्रियों की प्रतिभा एवं क्षमता को समझते तथा उनका सम्मान भी करते थे पर उनकी यह सारी भावना उनके दकियानूसी विचारों के तले दब जाती थी। लेखिका उनकी इन खामियों पर झल्लाती थी। वे लेखिका को घर-गृहस्थी के कार्यों से दूर रखकर जागरूक नागरिक बनाना चाहते थे, घर में राजनैतिक जमाबड़ो में भाग लेने की सीख देते थे पर घर के बाहर सक्रिय भागीदारी के विरूद्ध थे। इसके कारण वे पिता की दी हुई सीमित आजादी के दायरे में बँधना नहीं चाहती थी, वे आजाद ख्यालों की थी जिस कारण पिता-पुत्री में मतभेद होना स्वाभाविक था। इतना ही नहीं पिता पुत्री के विचारों को मतभेद विवाह के विषय में भी था। लेखिका राजेन्द्र के साथ विवाह करना चाहती थी परंतु पिता इसका विरोध करते थे। इन्हीं कारणों से लेखिका की अपने पिता के साथ वैचारिक टकराहट थी।

    (ग) नेताजी का चश्मा पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना यह प्रदर्शित करता है कि हमारी आने वाली भावी पीड़ी में भी देशभक्ति की भावना है। इस देश के नव निर्माण में न केवल युवा बल्कि बच्चा बच्चा भी अपना योगदान देने में तत्पर हैं। देशभक्त कैप्टन मरकर भी इस कस्बे के बच्चों में जिंदा हैं।

    (घ) बालगोबिन भगत का अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ अत्यंत आत्मीय व्यवहार था। वे जानते थे कि इसे अधिक प्रेम की आवश्यकता है। क्योंकि ऐसे बच्चों को विशेष स्नेह व देखभाल की जरूरत होती है। यदि ऐसे बच्चों को तिरस्कार व अपेक्षित किया जाए तो उनमें असुरक्षा व हीनता की भावना जन्म लेगी एवं उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा

    (ङ) लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि लेखक का अनुमान था कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली होगा, जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकांत में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे।

    Question 2
    CBSEHIHN10002757

    फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?

    Solution

    देवदार एक विशाल और छायादार वृक्ष होता है, जो अपनी सघन और शीतल छाया से श्रांत-पथिक एवं अपने आस-पड़ोस को शीतलता प्रदान करता है। ठीक ऐसे ही व्यक्तित्व वाले थे- फ़ादर कामिल बुल्क़े।
    लेखक के बच्चे के मुँह में अन्न का पहला दाना फादर बुल्के ने डाला था। उस क्षण उनकी नीली आँखों में जो ममता और प्यार तैर रहा था, उससे लेखक को फादर बुल्के की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।

    Question 3
    CBSEHIHN10002758

    फादर बुल्के भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?

    Solution

    फ़ादर बुल्के को भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग इसलिए कहा गया है क्योंकि वे बेल्जियम के रेश्व चैपल से भारत आकर यहाँ की संस्कृति में पूरी तरह रच-बस गए थे। उन्होंने संन्यासी बन कर भारत में रहने का फैसला किया।
    मसीही धर्म से संबंध रखते हुए भी उन्होंने हिंदी में शोध किया। शोध का विषय था -रामकथा: उत्पत्ति और विकास। इससे उनके भारतीय संस्कृति के प्रति लगाव का पता चलता है। इस आधार पर कह सकते हैं कि फादर बुल्के भारतीय संकृति का अभिन्न अंग हैं।

    Question 4
    CBSEHIHN10002759

    पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?

    Solution

    फादर बुल्के ने पहला अंग्रेजी‌-हिंदी शब्दकोश तैयार किया था। वे हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे। यहाँ के लोगों की हिंदी के प्रति उदासीनता देखकर वे क्रोधित हो जाते थे। इन प्रसंगों से पता चलता है कि वे हिंदी प्रेमी थे।
    वे सदैव हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए चिंतित रहते थे। इसके लिए वे प्रत्येक मंच पर आवाज उठाते थे। उन्हें उन लोगों पर झुंझलाहट होती थी जो हिंदी जानते हुए भी हिंदी का प्रयोग नहीं करते थे।

    Question 5
    CBSEHIHN10002760

    इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

    Solution

    फादर कामिल बुल्के एक ऐसा नाम है जो विदेशी होते हुए भी भारतीय है। उन्होंने अपने जीवन के 73 वर्षों में से 47 वर्ष भारत को दिए। उन 47 वर्षों में उन्होंने भारत के प्रति, हिंदी के प्रति और यहां के साहित्य के प्रति विशेष निष्ठा दिखाई है।
    उनका व्यक्तित्व दूसरों को तपती धूप में शीतलता प्रदान करने वाला था। उन्होंने सदैव सबके लिए एक बड़े भाई की भूमिका निभाई है। उनकी उपस्थिति में सभी कार्य बड़ी शांति और सरलता से संपन्न होते थे। उनका व्यक्तित्व संयम धारण किए हुए था। किसी ने भी उन्हें कभी क्रोध में नहीं देखा था। वे सबके साथ प्यार, ममता से मिलते थे। जिससे एक बार मिलते थे उससे रिश्ता बना लेते थे फिर वे संबंध कभी नहीं तोड़ते थे।
    फादर अपने से संबंधित सभी लोगों के घर, परिवार और उनके दु:ख-तकलीफों की जानकारी रखते थे। दु:ख के समय उनके मुख से निकले दो शब्द जीवन में नया जोश भर देते थे? फादर बुल्के का व्यक्तित्व वास्तव में देवदार की छाया के समान था। उनसे संबंध बनाने के बाद आपको बड़े भाई के अपनत्व, ममता, प्यार और आशीर्वाद की कभी कमी नहीं होती थी।

    Question 6
    CBSEHIHN10002761

    लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा?

    Solution

    फादर बुल्के के मन में अपने प्रियजनों के लिए असीम ममता और अपनत्व था। इसलिए लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ कहा है।

    Question 7
    CBSEHIHN10002762

     फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

    Solution

    फ़ादर बुल्के अपनी वेशभूषा और संकल्प से संन्यासी थे परंतु वे मन से संन्यासी नहीं थे। वे विशेष संबंध बनाकर नहीं रखते परंतु फादर बुल्के जिससे रिश्ता बना लेते थे उसे कभी नहीं तोडते थे। वर्षो बाद मिलने पर भी उनसे अपनत्व की महक अनुभव की जा सकती थी। जब वे दिल्ली जाते थे तो अपने जानने वाले को अवश्य मिलकर आते थे। ऐसा कोई संन्यासी नहीं करता। इसलिए वे परंपरागत संन्यासी की छवि से अलग प्रतीत होते थे।

    Question 8
    CBSEHIHN10002763

    आशय स्पष्ट कीजिए-
    नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।

    Solution

    प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि फ़ादर बुल्के की मृत्यु पर वहाँ उपस्थित नम आँखों वाले व्यक्तियों के नामों का उल्लेख करना सिर्फ स्याही को बरबाद करना है। कहने का आशय है कि आँसू बहाने वालों की संख्या इतनी अधिक थी कि उसे गिनना संभव नहीं था।
    उस स्थान पर यदि नम आँखों के आँकड़े दिये जाएं तो इसे समय और मेहनत की बरबादी कहा जा सकता है।

    Question 9
    CBSEHIHN10002764

     आशय स्पष्ट कीजिए-
    फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।

    Solution
    लेखक के फ़ादर बुल्के से अंतरंग संबंध थे। फ़ादर बुल्के से मिलना, बात करना अच्छा लगता था। उन्होंने उसके हर दुःख-सुख में उसका साथ निभाया था। इसलिए लेखक को लगता है कि फादर बुल्के को याद करना उनके लिए एकांत में एक उदास संगीत सुनना है जो अशांत मन को शांति प्रदान करता है। फादर ने सदैव उनके अशांत मन को शांति प्रदान की थी।
    Question 10
    CBSEHIHN10002765

    आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?

    Solution
    फादर बुल्के का जन्म बेलियम के रेम्स चैपल में हुआ था जब वे इंजीनियरिग के अंतिम वर्ष में थे तब उनके मन में संन्यासी बनने की इच्छा जागृत हुई। उन्होंने संन्यासी बनकर भारत आने का मन बनाया। उनके मन में भारत आने की बात इसलिए उठी होगी क्योंकि भारत को साधु-संतों का देश कहा जाता है। भारत आध्यात्मिकता का केंद्र है। उन्हें लगा होगा कि भारत में ही उन्हें सच्चै अर्थो में आत्मा का ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
    Question 11
    CBSEHIHN10002766

    ‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि रेन्स चैपल’-इस पंक्ति में फादर की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएं अभिव्यक्त होती हैं? उतप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते’?

    Solution

    फादर बुल्के का जन्म बेलियम के रेम्स चैपल में हुआ था परंतु उन्होंने अपनी कर्मभूमि के लिए भारत को चुना। उन्होंने अपनी आयु का लगभग एक-तिहाई भाग भारत में बिताया था। उन्हें भारत, भारत की भाषा हिंदी तथा यहां के लोगों से बहुत प्यार था, परंतु वे अपनी जन्मभूमि रेम्स चैपल को कभी भूल नहीं पाए थे। रैम्स चैपल शहर उनकी आत्मा के एक कोने में बसा हुआ था। वे अपनी जन्मभूमि से गहरे रूप से जुड़े हुए थे। जिस मिट्‌टी में पल कर वे बड़े हुए थे उसकी महक वे अपने अंदर अनुभव करते थे। इसीलिए लेखक यह पूंछने पर कि कैसी है आपकी जन्मभूमि? फादर बुल्के ने तत्परता से जबाव दिया-उनकी जन्मभूमि बहुत सुंदर है। यह उत्तर उनकी आत्मा की आवाज थी।

    हमें अपनी जन्मभूमि प्राणों से बढ्‌कर है। जन्मभूमि में ही मनुष्य का उचित विकास होता है। उसकी आत्मा में अपनी जन्मभूमि की मिट्‌टी की महक होती है। जन्मभूमि से रिश्ता उसके जन्म से शुरु होकर उसके मरणोपरांत तक रहता है। जन्मभूमि ही हमें हमारी पहचान, संस्कृति तथा सभ्यता से अवगत कराती है। हमें अपनी जन्मभूमि के लिए कृतज्ञ होना चाहिए और उसकी रक्षा और सम्मान पर कभी आंच नहीं आने देनी चाहिए।

    Question 12
    CBSEHIHN10002767

    ‘मेरा देश भारत’ विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए?

    Solution

    राष्ट्र मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ती- है। जिस भूमि के अन्नजल से यह शरीर बनता एवं पुष्ट होता है। उसके प्रति अनायास ही स्नेह श्रद्‌धा उमड़ती रहती है। जो व्यक्ति अपने राष्ट्र की सुरक्षा एवं उसके प्रति अपने कर्त्तव्यों की उपेक्षा करता है, वह कृतघ्न है। उसका प्रायश्चित्त संभव ही नहीं। उसका जीवन पशु के सदृश बन जाता है। रेगिस्तान में वास करने वाला व्यक्ति ग्रीष्म की भयंकरता के कारण हाफ-हाफ कर जी लेता है लेकिन अपनी के प्रति दिव्य प्रेम संजोए रहता है। शीत प्रदेश में वास करने वाला व्यक्ति कांप-कांप कर जी लेता है लेकिन जब देश पर कोई संकट आता है तो वह अपनी जन्म भूमि पर प्राण न्योछावर कर देता है। “यह मेरा देश है” कथन में कितनी मधुरता है। इस पर जो कुछ है वह सब मेरा है। जो व्यक्ति ऐसी भावना से रहित है, उसके लिए ठीक ही कहा गया है-

    जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है।

    वह नर नहीं नर-पशु निरा है और मृतक समान है।

    मेरा महान देश भारत सब देशों का मुकुट है। इसका अतीत स्वर्णिम रहा है। एक समय था जब इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था। इसे प्रकृति देवी ने ‘अपने अपार’ वैभव, शक्ति एवं सौंदर्य से विभूषित किया है। इससे आकाश के नीचे मानवीय प्रतिभा ने अपने सर्वोत्तम वरदानों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग किया है। इस देश के चिंतकों ने गूढ़तम प्रश्न की तह में पहुंचने का सफल प्रयास किया है।

    मेरा देश अति प्राचीन देश है। इसे सिंधु देश, आर्यावर्त, हिंदुस्तान भी कहते हैं। इसके उत्तर मे ऊंचा हिमालय पर्वत इसके मुकुट के समान है। उसके परे तिब्बत तथा चीन है। दक्षिण में समुंद्र इसके पांव धोता है। श्रीलंका द्‌वीप वहां समीप हे। उसका इतिहास भी भारत से संबद्‌ध है। पूर्व में बंगला देश और म्यनमार देश हैं। पश्चिम में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान देश हैं। प्राचीन समय में तथा आज से दो हजार वर्ष पहले सम्राट् अशोक के राज--काल में और उसके बाद भी गांधार (अफगानिस्तान) भारत का ही प्रांत था। कुछ वर्ष पहले बंगला देश, ब्रह्मदेश, पाकिस्तान तथा श्रीलंका भारत के ही अंग थे।

    इस देश पर मुसलमानों, मुरालों, अंग्रेजों ने आक्रमण करके यहां पर विदेशी राज्य स्थापित किया और इसे खूब लूटा तथा पद-दलित किया। पर अब वे दुःख भरे दिन बीच चुके हैं। हमारे देश के वीरों, सैनिकों, देशभक्तों और क्रांतिकारियों के त्याग और बलिदान से 15 अगस्त, 1947 ई० में भारत स्वतंत्र होकर दिनों-दिन उन्नत और शक्तिशाली होता जा रहा है। 26 जनवरी, सन 1950 से भारत में नया संविधान लागू हुआ है और यह ‘संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ बन गया है। अनेक ज्वारभाटों का सामना करते हुए भी इसका सांस्कृतिक गौरव अक्षुण्ण रहा है।

    यहां गंगा, यमुना, सरयू नर्मदा, कृष्णा, गोदावरी, सोन, सतलुज, व्यास, रावी आदि पवित्र नदियां बहती हैं, जो कि इस देश को सींचकर हरा-भरा करती हैं। इनमें स्नान कर देशवासी वाणी का पुण्य लाभ उठाते हैं। यहां बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमंत और शिशिर, ये छ: ऋतुएं क्रमश: आती हैं। अनेक तरह की जलवायु इस देश में है। भांति-भांति के फल-फूल, वनस्पतियां, अन्न आदि यहां उत्पन्न होते हैं। इस देश को देखकर हृदय गद्-गद् हो जाता है। यहां अनेक दर्शनीय स्थान हैं।

    यह एक विशाल देश है। इस समय इसकी जनसंख्या एक सौ दस करोड़ से अधिक हो गई है, जो संसार में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। यहां हिंदू मुसलमान, सिक्स, ईसाई आदि मतों के लोग परस्पर मिल-जुल कर रहते हैं। उनमें कभी-कभी वैमनस्य भी पैदा हो जाता है। देशभक्त तथा समाज-सुधारक इस वैमनस्य को मिटाने की कोशिश भी करते हैं। यहां हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, उर्दू, बंगला, तमिल, तेलुगू आदि अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। दिल्ली इसकी राजधानी है। वहीं संसद् है, जिसके लोक सभा और राज्य सभा दो अंग हैं। मेरे देश के प्रमुख “राष्ट्रपति” कहलाते हैं। एक उपराष्ट्रपति भी होता है। देश का शासन प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल चलाता है। इस देश में 28 राज्य या प्रदेश हैं जहां विधानसभाएं हैं। मुख्यमंत्री और उसके मंत्रिमंडल द्‌वारा शासन होता है।

    यह धर्म प्रधान देश है। यहां बड़े धर्मात्मा, तपस्वी, त्यागी, परोपकारी, वीर, बलिदानी महापुरुष हुए हैं। यहां की स्त्रियां पतिव्रता, सती, साध्वी, वीरता और साहस की पुतलियां हैं। उन्होंने कई बार जौहर व्रत किये हैं। वे योग्य और दृढ़ शासक भी हो चुकी हैं और आज भी हैं। यहां के ध्रुव, प्रह्लाद, लव-कुश, अभिमन्यु, हकीकतराय आदि बालकों ने अपने ऊंचे जीवनादर्शों से इस देश का नाम उज्जवल किया है।

    मेरा देश गैरवशाली है। इसका इतिहास सोने के अक्षरों में लिखा हुआ है। यह स्वर्ग के समान सभी सुखों को प्रदान करने में समर्थ है। मैं इस पर तन-मन-धन न्यौछावर करने के लिए तत्पर रहता हूं। मुझे अपने देश पर और अपने भारतीय होने पर गर्व है।

    Question 13
    CBSEHIHN10002768

    आपका मित्र हडसन एंड्री आस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्‌टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए?

    Solution
    मोती बाग दिनांक 14/07/17
    नई दिल्ली (भारत) 
    110084

    प्रिय मित्र हडसन एंड्री,

    सस्नेह नमस्कार।

    आशा है आप सब सकुशल होंगे। आपके पत्र से ज्ञात हुआ है कि आपका विद्‌यालय ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो चुका है। हमारी परीक्षाएं 28 मई को समाप्त हो रही हैं। इसके पश्चात् विद्‌यालय 15 तक बंद रहेगा। इस बार हम पिताजी के साथ शिमला जा रहे हैं। लगभग 20 दिन तक हम शिमला में रहेंगे। वहां मामा जी भी रहते हैं। अत: वहां रहने में पूरी सुविधा रहेगी। शिमला के आस-पास सभी दर्शनीय स्थान देखने का निर्णय किया है। मेरे मामा जी के बड़े सुपुत्र वहां अंग्रेजी के अध्यापक हैं। उनकी सहायता एवं मार्ग-दर्शन से मैं अपने अंग्रेजी के स्तर को भी बढ़ा सकूंगा। प्रिय मित्र, यदि आप भी हमारे साथ चलें तो यात्रा का आनंद आ जाएगा। आप किसी प्रकार का संकोच न करें। मेरे माता-पिताजी भी आपको मेरे साथ देखकर बहुत प्रसन्न होंगे। आप शीघ्र ही अपने कार्यक्रम से सूचित करना। हमारा विचार के प्रथम सप्ताह में जाने का है।

    शिमला से लौटने के बाद कश्मीर जाने का विचार है जहां अनेक दर्शनीय स्थान हैं। जम्मु के पास कटरा में वैष्णो देवी का मंदिर मेरे आकर्षण का केंद्र हैं। मुझे अभी तक इस सुंदर भवन को देखने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ। आशा है कि इस बार यह जिज्ञासा वो शांत हो जाएगी। आप अपने कार्यक्रम से शीघ्र ही सूचित करें।

    अपने माता-पिता को मेरी ओर से सादर नमस्कार कहें।

    आपका मित्र,

    विजय कुमार।

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