Aroh Bhag Ii Chapter 7 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
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    NCERT Solution For Class 12 Hindi Aroh Bhag Ii

    सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Here is the CBSE Hindi Chapter 7 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 Hindi सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter 7 NCERT Solutions for Class 12 Hindi सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter 7 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN12026245

    सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।

    Solution

    जीवन-परिचय: निराला जी का जन्म बंगाल के मेदिनीपुर जिले में सन् 1897 में हुआ था। इनके पिता पं रामसहाय त्रिपाठी उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के रहने वाले थे। घर पर ही इनकी शिक्षा का श्रीगणेश हुआ। उनकी प्रकृति मे प्रारभ से ही स्वच्छंदता थी, अत: मैट्रिक से आगे शिक्षा न चल सकी। चौदह वर्ष की अल्पायु में इनका विवाह मनोहरा देवी के साथ हो गया। पिताजी की मृत्यु के बाद इन्होने मेदिनीपुर रियासत में नौकरी कर ली। पिता की मृत्यु का आघात अभी भूल भी न पाए थे कि बाईस वर्ष की अवस्था में इनकी पत्नी का भी स्वर्गवास हो गया। आर्थिक संकटों, संघर्षो तथा जीवन की यथार्थ अनुभूतियों ने निराला जी के जीवन की दिशा ही मोड़ दी। ये रामकृष्ण मिशन, अद्वैत आश्रम, बैलूर मठ चले गए। वहाँ इन्होंने दर्शनशास्त्र का गहन अध्ययन किया और आश्रम के ‘समन्वय’ नामक पत्र के संपादन का कार्य भी किया। फिर ये लखनऊ में रहने के बाद इलाहाबाद चले गए और अन्त तक स्थायी रूप से इलाहाबाद में रहकर आर्थिक संकटों एवं अभावों में भी इन्होंने बहुमुखी साहित्य की सृष्टि की।

    निराला जी गम्भीर दार्शनिक, आत्मभिमानी एवं मानवतावादी थे। करुणा दयालुता, दानशीलता और संवेदनशीलता इनके जीवन की चिरसंगिनी थी। दीनदु:खियों और असहायों का सहायक यह साहित्य महारथी 15 अक्सर 1961 ई. को भारतभूमि को सदा के लिए त्यागकर स्वर्ग सिधार गया।

    रचनाएँ: निराला जी ने साहित्य के सभी अंगों पर विद्वता एवं अधिकारपूर्ण लेखनी चलाई है। इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

    काव्य: परिमल, गीतिका, तुलसीदास, अनामिका, अर्चना, आराधना कुकुरमुत्ता आदि।

    उपन्यास: अप्सरा, अलका, निरूपमा, प्रभावती, काले कारनामे आदि।

    कहानी: सुकुल की बीवी, लिली, सखी अपने घर, चतुरी चमार आदि।

    निबंध: प्रबंध पद्य, प्रबंध प्रतिभा, चाबुक, रवीन्द्र कानन आदि।

    रेखाचित्र: कुल्ली भाट, बिल्लेसुर आदि।

    जीवनी: राणा प्रताप, भीष्म प्रह्राद, ध्रुव शकुतंला।

    अनूदित: कपाल; कंडला, चंद्रशेखर आदि।

    निराला छायावाद के ऐसे कवि हैं जो एक ओर कबीर की परंपरा से जुड़ते हैं तो दूसरी ओर समकालीन कवियों के प्रेरणा स्रोत भी हैं। उनका यह विस्तृत काव्य-संसार अपने भीतर संघर्ष और जीवन क्रांति और निर्माण, ओज और माधुर्य आशा और निराशा के द्वंद्व को कुछ इस तरह समेटे हुए है कि वह किसी सीमा में बँध नहीं पाता। उनका यह निर्बध और उदात्त काव्य व्यक्तित्व कविता और जीवन में फाँक नहीं रखता। वे आपस में घुले-मिले हैं। उल्लास-शोक राग-विराग उत्थान -पतन, अंधकार प्रकाश का सजीव कोलाज है उनकी कविता। जब वे मुक्त छंद की बात करते हैं तो केवल छंद रूढ़ियों आदि के बंधन को ही नही तोड़ते बल्कि काव्य विषय और युग की सीमाओं को भी अतिक्रमित करते हैं।

    भाषा: निराला जी की भाषा खड़ी बोली है। संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्राधान्य है। बँगला के प्रभाव कै कारण भाषा मे संगीतात्मकता है। क्रिया पदों का लोप अर्थ की दुर्बोधता में सहायक है। प्रगतिवादी कविताओं की भाषा सरल और बोधगम्य है। उर्दू फारसी तथा अंग्रेजी शब्द भी प्रयुक्त हुए हैं।
    विषयों और भावों की तरह भाषा की दृष्टि से भी निराला की कविता के कई रंग हैं। एक तरफ तत्सम सामाजिक पदावली और ध्वन्यात्मक बिंबों से युक्त राम की शक्ति पूजा और छंदबद्ध तुलसीदास है तो दूसरी तरफ देशी टटके शब्दों का सोंधापन लिए कुकुरमुत्ता, रानी और कानी, महंग. महँगा रहा जैसी कविताएँ हैं।

    Question 2
    CBSEENHN12026246

    दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

    तिरती है समीर-सागर पर
    अस्थिर सुख पर दुःख की छाया-

    जग के दग्ध हृदय पर

    निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

    यह तेरी रण-तरी,

    भरी आकांक्षाओं से,

    धन, भेरी-गर्जन से सजग, सुप्त अंकुर

    उर में पृथ्वी के, आशाओं से,

    नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,

    ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!

    फिर फिर!

    Solution

    प्रसगं: प्रस्तुत काव्याशं प्रगतिवादी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से अवतरित है। यहाँ आम आदमी के दुःख से त्रस्त कवि व दल का आह्वान क्रांति के रूप में कर रहा है। विप्लव-रव से छोटे ही शोभा पाते हैं। क्रांति जहाँ मजदूरों में सनसनी उत्पन्न करती है, वहीं निर्धन कृषकों को उससे नई आशा-आकांक्षाएँ मिलती हैं।

    व्याख्या: कवि कहता है-हे क्रांतिदूत रूपी बादल! आकाश में तुम ऐसे मँडराते रहते हो जैसे पवनरूपी सागर पर कोई नौका तैर रही हो। यह वैसे ही दिखाई दे रही है जैसे अस्थिर सुख पर दुःख की छाया मँडराती रहती है अर्थात् मानव-जीवन के सुख क्षणिक और अस्थायी हैं जिन पर दुःख की काली छाया मँडराती रहती है। संसार के दुःखों से दग्ध (जले हुए) हृदयों पर निष्ठुर क्रांति का मायावी विस्तार भी इसी प्रकार फैला हुआ है। दुःखी जनों को तुम्हारी इस युद्ध-नौका में अपनी मनवाछित वस्तुएँ भरी प्रतीत होती है अर्थात् क्रांति के बादलों के साथ दुःखी लोगों की इच्छाएँ जुड़ी रहती हैं।

    हे क्रांति के प्रतीक बादल! तुम्हारी गर्जना को सुनकर पृथ्वी के गर्भ मे सोए (छिपे) बीज अंकुरित होने लगते हैं अर्थात् जब दुःखी जनता को क्रांति की गूँज सुनाई पड़ती है तब उनके हृदयों में सोई-बुझी आकांक्षाओं के अंकुर पुन: उगते प्रतीत होने लगते हैं। उन्हे लगने लगता है कि उन्हें एक नया जीवन प्राप्त होगा। अत: वे सिर उठाकर बार-बार तुम्हारी ओर ताकने लगते हैं। क्रांति की गर्जना से ही दलितों-पीड़ितों के मन में एक नया विश्वास जागत होने लगता है।

    विशेष: 1. बादल को क्रांति-दूत के रूप में चित्रित किया गया है।

    2. प्रगतिवादी काव्य का प्रभाव स्पष्ट लक्षित होता है।

    3. ‘समीर-सागर’ में रूपक अलंकार है।

    4. ‘सुप्त अंकुर’ दलित वर्ग का प्रतीक है।

    5. मुक्त छंद का प्रयोग हुआ है।

    Question 3
    CBSEENHN12026247

    इस कविता में किसे संबोधित किया गया है?

    Solution

    इस कविता में क्रांतिदूत रूपी बादल को संबोधित किया गया है।

    Question 4
    CBSEENHN12026248

    कवि ने दुख की छाया की तुलना किससे की है और क्यों?

    Solution

    कवि ने दुख की छाया की तुलना समुद्र के ऊपर बहने वाली हवा से की है। जिस प्रकार समुद्र का पानी हवा के प्रभाव से तरंगित होता रहता है, उसी प्रकार दुख की छाया पड़ने से सुख भी अस्थिर हो जाता है।

    Question 5
    CBSEENHN12026249

    कवि ने बादल का ही आह्वान क्यों किया है?

    Solution

    कवि ने बादल का ही आह्वान किया है क्योंकि बादल क्रांति के प्रतीक हैं। बादलों की गर्जना क्रांति का आह्वान के समान लगती है क्रांति आम व्यक्ति को प्रभावित करती है।

    Question 6
    CBSEENHN12026250

    क्रांति की गर्जना का क्या प्रभाव पड़ता है।

    Solution

    क्रांति की गर्जना सुनकर पूँजीपति तो भयभीत हो जाते हैं जबकि शोषित वर्ग प्रसन्न हो जाता है। उन्हें क्रांति में अपनी मुक्ति दिखाई देने लगती है। दलित-पीड़ितों के मन में नया विश्वास जाग जाता है।

    Question 7
    CBSEENHN12026251

    दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें
    बार-बार गर्जन,

    वर्षण है मूसलाधार

    हृदय थाम लेता संसार

    सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।

    अशनि-पात से शायित उन्नत शत-शत-वीर,

    क्षत-विक्षत-हत अचल-शरीर,

    गगन-स्पर्शी स्पर्धा-धीर।

    Solution

    प्रसगं: प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से अवतरित हैं। इसमें कवि ने बादल को क्राति मानते हुए उसके विध्वसंक रूप का चित्रण किया है।

    व्याख्या: कवि कहता है-हे बादल! जब तुम बार-बार गरजते हुए भीषण वर्षा करते हो तब तुम्हारी भयंकर गर्जना को सुनकर सारा संसार भयभीत होकर हृदय थाम लेता है अर्थात् लोग आतंकित हो जाते हैं। तुम्हारी वज्रमयी तीव्र गर्जना को सुनकर लोग भय से काँप उठते हैं। बादलों में चमकने वाली बिजली के गिरने से बड़े-बड़े ऊँचे पर्वत भी खंड-खंड होकर इस तरह बिखर जाते हैं जैसे युद्ध में वज्र शस्त्र के प्रहार से बड़े-बड़े योद्धा धराशायी हो जाते हैं।

    भाव यह है कि जब क्रांति का शंखनाद गूँजता है तब बड़े-बड़े पूँजीपति भी धराशायी हो जाते हैं। उनके उच्च होने का गर्व चूर-चूर हो जाता है।

    विशेष: 1. बार-बार, सुन-सुन, शत-शत में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

    2. ‘हृदय थामना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग है।

    3. भाषा में प्रतीकात्मकता का समावेश है।

    Question 8
    CBSEENHN12026252

    कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?

    Solution

    कवि ने बादलों का आह्वान इसलिए किया है ताकि निम्न वर्ग के लोगों के जीवन में क्रांति आ सके।

    Question 9
    CBSEENHN12026253

    बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    Solution

    बादलों की गर्जना सुनकर संसार भयभीत होकर अपना हृदय थाम लेता है।

    Question 10
    CBSEENHN12026254

    कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?

    Solution

    कवि ने बादलों की ये विशेषताएँ बताई हैं वे बार-बार गर्जना करते हैं।

    - वे मूसलाधार वर्षा करते हैं।

    - वे हुंकार भरते हैं।

    Question 11
    CBSEENHN12026255

    ‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।

    Solution

    गगन स्पर्शी अर्थात् आकश को छूने वाले अर्थात् धैर्यशाली व्यक्तियों का गर्व चूर-चूर हो जाता है।

    Question 12
    CBSEENHN12026256

    दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

    हँसते हैं छोटे पौधे लधु भार-

    शस्य अपार,

    हिल-हिल,

    खिल-खिल

    हाथ हिलाते,

    तुझे बुलाते,

    तुझे बुलाते,

    विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.




     

    Solution

    प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से अवतरित हैं। इसमें कवि ने बताया है कि शोषित वर्ग ही क्रांति का आह्वान एवं स्वागत करता है।

    व्याख्या: कवि कहता है कि बादलों के गर्जन-वर्षण से जहाँ बड़े-बड़े पर्वत खंडित हो जाते हैं, वहीं छोटे-छोटे पौधे अपने हल्केपन के कारण झूमते और खुश होते हैं। मानो वे हाथ हिला-हिलाकर तुम्हारे आगमन का स्वागत करते हैं। वे बार-बार आने का निमत्रण देते हैं। इस क्रांति से उन्हें ही लाभ पहुँचता है।

    भाव यह है कि क्रांति के आगमन से पूँजीपति वर्ग तो बुरी तरह हिल जाता है क्योंकि इसमें उन्हे अपना विनाश दिखाई देता है। किसान मजदूर वर्ग क्राति के आगमन से प्रसन्न चित्त हो जाता हैँ क्योंकि क्राति का सर्वाधिक लाभ उन्हीं को पहुँचता है।

    विशेष: 1. ‘हिल-हिल’ ‘खिल–खिल’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

    2. ‘हाथ हिलाते’ में अनुप्रास अलंकार है।

    3. ‘छोटे लघुभार पौधो’ का मानवीकरण किया गया है।

    4. ‘हाथ हिलाना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग है।

    5. प्रतीकात्मकता का समावेश है।

    Question 13
    CBSEENHN12026257

    क्रांति की गर्जना पर कौन हंसते हैं?

    Solution

    क्रांति की गर्जना पर शोषित वर्ग के लोग हंसते हैं अर्थात् प्रसन्न होते हैं।

    Question 14
    CBSEENHN12026258

    छोटे पौधे किनके प्रतीक हैं?

    Solution

    छोटे पौधे छोटे निम्न वर्ग के लोगो के प्रतीक है।

    Question 15
    CBSEENHN12026259

    वे किस, किस प्रकार बुलाते हैं?

    Solution

    छोटे लोग (शोषित वर्ग के लोग) हाथ हिला--हिलाकर क्रांति का आह्वान करते है। वे चाहते हैं कि क्रांति शीघ्र आए।

    Question 16
    CBSEENHN12026260

    ‘विप्लव रव’ किससे शोभा पाते है और क्यों?

    Solution

    क्रांति के आगमन से किसान-मजदूर वर्ग ही शोभा पाते हैं क्योंकि इससे उन्हें ही लाभ पहुँचता है। क्रांति से पूँजीपति वर्ग तो त्रस्त हो जाता है।

    Question 17
    CBSEENHN12026261

    दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

    अट्टालिका का नहीं है रे
    आतंक-भवन

    सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव-प्लावन,

    क्षुद्र फुल्ल जलज से सदा छलकता नीर,

    रोग-शोक में भी हँसता है

    शैशव का सुकुमार शरीर।

    Solution

    प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह (भाग-2)’ में संकलित कविता ‘बादल राग’ से अवतरित है। इसके रचयिता मयकात सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ है। इसममें कवि ने यह विश्वास प्रकट किया है कि क्रांति से सदा शोषित वग ही लावर्गन्वित होता है। पूँजीपति क्रांति से सफल प्राप्त नहीं करता अपितु यह वर्ग आतंकित होता है

    व्याख्या: कवि कहता है कि पूंजीपतियों के ये ऊँच--ऊँचे भवन गरीबों को आतंकित करने के अड्डे (केंद्र) है। इनमे रहने वाले गरीबों पर अत्याचार करनते रहते हैं। भयंकर जल-प्लावन सदा कीचड़ पर ही होता है। वर्षा से जो बाढ़ आती है वह सदा कीचड़ से भरी पृथ्वी को ही डुबोती है। ठीक इसी नरह क्रांति रूपी जल विप्लव भी पकिल अर्थात् पापपूर्ण जीवन जीने वाले पूँजीपतियो को ही अपने तेज बहाव में बहाकर ले जाता है। यही जल जब छोटे से प्रफुल्लित कमल की पंखुड़ियों पर पड़ता है तो वही छोटा-सा कमल और अधिक शोभा को धारण कर लेता है। प्रसन्न और विकसित कमल की पंखुड़ियौं पर पड़ी यत्न की बूँदें मोतियो की तरह दमकन लगती है।

    भाव ग्रह है कि क्रांति का सुफल शोषित वर्ग को प्राप्त होता है। जैसे छोटे शिशु का सुकुमार शरीर रोग-शोक (दुःखों) के बीच भी हँसता रहता है, उसी प्रकार शोषित की भी कष्टों से बेखबर रहते हैं।

    विशेष: 1. संपूर्ण काव्यांश मे प्रतीकात्मकता का समावेश हुआ है। अट्टालिका पैक जलज प्रतीकात्मक हैं।

    2. कवि ने शोषित वर्ग के प्रति गहरी सहानुभूति प्रकट की है।

    3. अनुप्रास, रूपकातिशयोक्ति रूपक आदि अलंकारों का प्रयोग किया गया है।

    4. भाव चित्रो को व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है।

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    Question 18
    CBSEENHN12026262

    कवि किन्हें आतंक भवन कहता है और क्यों?

    Solution

    कवि पूंजीपतियों के ऊँचे-ऊँचे विशाल भवनों को आतक- भवन कहता है। ये गरीबों (शोषित वर्ग) को आतंकित करने के अड्डे है। इनमें रहने वारने शोषक हैं।

    Question 19
    CBSEENHN12026263

    ‘जल विप्लव प्लावन’ से कवि का क्या निहितार्थ है?

    Solution

    जल विप्लव-प्लावन सदा की चड पर ही होता है। वर्षा की बाढ़ सदा कीचड़ पैदा करती है। क्राति का बुरा प्रभाव पूँजीपतियों पर ही पड़ता है। वे ही डूबते हैं।

    Question 20
    CBSEENHN12026264

    ‘प्रफुल्ल जलज’ कौन है?

    Solution

    ‘प्रफुल्ल जलज’ (खिलता कमल) शोषित वर्ग है। वह क्रांति के जल से खिलता है। क्रांति का सुफल शोषित वर्ग किसान-मजदूर को ही प्राप्त होता है।

    Question 21
    CBSEENHN12026265

    ‘शैशव का सुकुमार शरीर’ से कवि का क्या आशय है?

    Solution

    शैशव का सुकुमार शरीर से आशय शोषित वर्ग से है। जिस प्रकार शिशु रोग-शोक मे भी हँसता है, उसी प्रकार शोषित वर्ग अपने कष्टों से अनजान रहते हैं।

    Question 22
    CBSEENHN12026266

    दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

    रुद्ध कोष, है क्षुब्ध तोष

    अंगना-अग से लिपटे भी

    आतंक-अंक पर काँप रहे हैं

    धनी, वज्र गर्जन से, बादल।

    त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।

    Solution

    प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से अवतरित हैं। इसमें कवि ने पूँजीपति वर्ग की विलासप्रियता पर भी क्राति के भय की छाया को रेखांकित किया है।

    व्याख्या: कवि बताता है कि पूँजीपतियों ने आर्थिक साधनों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर रखा है। उनके खजानों में अथाह धन जमा है, फिर भी अधिक धन जमा करने की उनकी लालसा कम नहीं हुई है। उन्हें अभी भी संतोष नहीं हुआ है। क्रांति की भीषण गर्जना सुनकर ये शोषक (पूँजीपति) इतने भयभीत हो जाते हैं कि अपनी सुदर स्त्रियों (रमणियों) के आलिंगन पाश में बँधे होने पर भी काँपते रहते हैं। उनकी सुख-शांति भंग हो जाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने अपनी आँखें मूँद ली हैं और मुख ढक लिया है। उन पर क्राति का आतंक बुरी तरह छा गया है।

    विशेष: 1. कवि ने पूँजीपतियों के विलासी जीवन पर कटाक्ष किया है।

    2. ‘अगना अंग’ तथा ‘आतंक अंक’ में अनुप्रास अलंकार है।

    3. कविता का मूल स्वर प्रगतिवादी है।

    4. तत्सम शब्दो का प्रयोग हुआ है।

    Question 23
    CBSEENHN12026267

    कवि और कविता का नाम लिखिए।

    Solution

    कवि: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला। कविता: बादल राग।

    Question 24
    CBSEENHN12026268

    ‘रुद्ध कोष, क्षुब्ध तोष’ से कवि का क्या आशय है?

    Solution

    पूँजीपतियों ने आर्थिक संसाधनों पर अपना कब्जा जमा रखा है। यद्यपि उनके खजानों में अपार सम्पत्ति भरी पड़ी है, फिर भी उन्हें सतोष नहीं है।

    Question 25
    CBSEENHN12026269

    कौन काँप रहे हैं और क्यों?

    Solution

    पूँजीपति वर्ग क्रांति की गर्जना सुनकर काँप रहा है। वे पत्नी के साथ सुखद क्षणों में भी भयभीत प्रतीत होते हैं। मानसिक रूप से वे अशांत हैं।

    Question 26
    CBSEENHN12026270

    क्रांति से कौन प्रभावित हो रहा है?

    Solution

    क्रांति के प्रभाव से सभी वर्ग प्रभावित हो रहे हैं। पूँजीपति वर्ग भयभीत है जबकि शोषित वर्ग उत्साहित है।

    Question 27
    CBSEENHN12026271

    दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

    जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर

    तुझे बुलाता कृषक अधीर

    ऐ विप्लव के वीर!

    चूस लिया है उसका सार

    हाड़ मात्र ही हैं आधार,

    ऐ जीवन के पारावार!

    Solution

    प्रसगं: प्रस्तुत पक्तियाँ प्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग ‘ से अवतरित हैं। इसमें शोषित वर्ग द्वारा क्रांति के आह्वान का चित्रण किया गया है।

    व्याख्या: कवि बताता है कि अशक्त भुजाओं और कमजोर शरीर वाला किसान अधीर होकर क्रांति का आह्वान करता है। उसके कष्टों का हरण करने वाला क्रांति का बादल ही है। हे जीवन के पारावार (बादल)! इन पूँजीपतियों ने किसान के जीवन का सारा रस ही चूस लिया है और उसे प्राणहीन बना दिया हैं। भूख से बेहाल किसान अब नर-कंकाल बनकर रह गया है। वह हड़ियों का ढाँचा मात्र दिखाई देता है। तुम्हीं अपने जल-वर्षण से उसे नया जीवन दे सकते हो। वह तुम्हें पुकार रहा है।

    भाव यह है कि क्रांति के आगमन से पूँजीपति तो दहल जाते हैं, पर जीर्ण-शीर्ण किसान अधीर होकर उसे बुलाते हैं। क्रांति से साधारण लोग ही लाभान्वित होते हैं।

    विशेष: 1. ‘शीर्ण शरीर’ में अनुप्रास अलंकार है।

    2. वर्ग-वैषम्य का प्रभावी चित्रण किया गया है।

    2. बादल के माध्यम से क्रांति का आह्वान किया गया है।

    Question 28
    CBSEENHN12026272

    इस काव्यांश से किसकी दशा का उल्लेख हुआ है?

    Solution

    इस काव्यांश में शोषित वर्ग (किसान-मजदूर) की दयनीय दशा का उल्लेख हुआ है।

    Question 29
    CBSEENHN12026273

    कृषक की क्या अवस्था है?

    Solution

    कृषक की दशा बहुत खराब है। उसका शरीर कमजोर हो चुका है। उसका शरीर हड्डियों का ढाँचा मात्र रह गया है।

    Question 30
    CBSEENHN12026274

    वह किसे और क्यों बुला रहा है?

    Solution

    किसान क्रांति को बुला रहा है क्योंकि पूँजीपतियों ने उसे प्राणहीन बना दिया है। उसके जीवन का सारा रस चूस लिया है।

    Question 31
    CBSEENHN12026275

    उसे इस दशा से कौन मुक्ति दिला सकता है?

    Solution

    उसे इस दशा से केवल क्रांति ही मुक्ति दिला सकती है। वह उसे नया जीवन दे सकती है।

    Question 32
    CBSEENHN12026276

    अस्थिर सुख पर दुःख की छाया पंक्ति में दुःख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?

    Solution

    कवि ने सांसारिक सुखों पर दुःख की छाया तैरती बताया गया है। यह दुःख की छाया शोषण की काली छाया है। पूँजीपतियों द्वारा किसान-मजदूरों का शोषण किया जाता है। उनके जीवन में सुख तो क्षणिक हैं, पर उन पर हमेशा दुःख की छाया मँडराती रहती है। कवि सुखों की अस्थिरता और दुःख के यथार्थ को प्रकट करना चाहता है।

    Question 33
    CBSEENHN12026277

    अशनि-पाठ मे शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?

    Solution

    अशनि-पात अर्थात् बिजली के गिरने से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ तक घायल होकर गिर पड़ते हैं।

    इस पंक्ति में पूँजीपतियों के पतन की ओर संकेत किया गया है। क्रांति के आने पर बड़े-बड़े दंभी पूँजीपतियों का भी बुरा हाल हो जाता है। शोषक वर्ग (पूँजीपति) भी धराशायी हो जाते हैं। उनके उच्च होने का गर्व चूर-चूर हो जाता है। इस पंक्ति में ‘अशनि-पात’ क्रांति की ओर संकेत कर रहा है।

    Question 34
    CBSEENHN12026278

    विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति विप्लव-रव से् क्या तात्पर्य है? छोटे ही हैं शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?

    Solution

    ‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य क्रांति के स्वर से है। जब क्रांति आती है तो उसका सबसे अधिक लाभ छोटे लोगों (किसान-मजदूरों-शोषित वर्ग) को ही मिलता है। शोषक वर्ग तो ‘विप्लव-रव’ अर्थात् क्रांति आने की संभावना से ही बुरी तरह घबरा जाता है। शोषित वर्ग जब क्रांति आने की आवाज (आहट) सुनता है तो उसके चेहरे पर प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है। क्रांति में यह वर्ग शोभा प्राप्त करता है।

    Question 35
    CBSEENHN12026279

    बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?

    Solution

    बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले निम्नलिखित परिवर्तनों को यह कविता रेखांकित करती है-

    - बादलों की गर्जना होने लगती है।

    - पृथ्वी में से पौधों का अंकुरण होने लगता है।

    - मूसलाधार वर्षा होने लगती है।

    - बिजली चमकती है तथा गिर भी जाती है।

    - छोटे-छोटे पौधे हवा चलने के कारण हाथ हिलाते जान पड़ते हैं।

    - कमल का फूल खिलता है तथा उससे जल की बूँदें टपकती हैं।

    Question 36
    CBSEENHN12026280

    तिरती है समीर-सागर पर

    अस्थिर सुख पर दुःख की छाया

    जग के दग्ध हृदय पर

    निर्दय विप्लव की प्लावित माया।

    Solution

    हे विप्लव के बादल! जन-मन की आकांक्षाओं से भरी तेरी (बादल की) नाव समीर रूपी सागर पर तैर रही है। संसार के सुख अस्थिर हैं। इन अस्थिर सुखों पर दु:ख की छाया दिखाई दे रही है। संसार के लोगों का हृदय दु:खों से दग्ध (जला हुआ) है। इस दग्ध हृदय पर निर्दय विप्लव अर्थात् क्रांति की माया (जादू) फैली हुई है अर्थात् बादलों का आगमन ग्रीष्मावकाश से दग्ध पृथ्वी को आनंद देता है वैसे ही क्रांति का आगमन शोषित वर्ग को सुखी बनाता है।

    Question 37
    CBSEENHN12026281

    अट्टालिका नहीं है रे

    आतंक-भवन

    सदा पंक पर ही होता

    जल-विप्लव-प्लावन।

    Solution

    कवि शोषक वर्ग (पूँजीपतियों) पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि इनके ऊँचे-ऊँचे महल न होकर आतंक- भवन हैं। ये लोग यहीं से निम्नवर्ग को आतंकित करते हैं। वर्षा का प्रभाव तो कीचड़ पर ही होता है अर्थात् क्रांति का प्रभाव धनिक-पूँजीपतियों पर ही होता है। क्रांति का तेज बहाव पूँजीपतियों को बहा ले जाता है।

    हाँ, क्रांति का सुफल शोषित वर्ग को प्राप्त होता है।

    Question 38
    CBSEENHN12026282

    पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया है? क्यों?

    Solution

    हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार-

    शस्य अपार

    हिल-हिल

    खिल-खिल

    हाथ हिलाते

    तुझे बुलाते

    इस काव्यांश मे छोटे-छोटे पौधों का शोषित वर्ग के रूप मे मानवीकरण किया गया है। वे क्रांति के उगने की संभावना से हँसते हैं अर्थात् खुश हैं। वे हाथ हिला-हिलाकर क्रांति का आह्वान करते जान पड़ते हैं। यह कल्पना अत्यंत मनोरम है।

    Question 39
    CBSEENHN12026283

    कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांशों को छाँटकर लिखिए।

    Solution

    रूपक अलंकार का प्रयोग

    - तिरती है समीर-सागर पर (समीर रूपी सागर)

    - आतंक-भवन ( आतंक रूपी भवन)

    - रण-तरी (रण रूपी तरी (नाव))।

    Sponsor Area

    Question 40
    CBSEENHN12026284

    इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!, ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- अरे वर्ष के हर्ष!, मेरे पागल बादल!, ऐ निर्बंध!, ऐ स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बतायें बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?

    Solution

    अरे वर्ष के हर्ष: बादल वर्ष भर के बाद वर्षा ऋतु में आते हैं अत: हर्ष के कारण होते हैं। यह संबोधन उचित ही है।

    मेरे पागल बादल: कवि का बादल को पागल कहना सही है। बादल पागलपन की हद तक मस्त होते हैं।

    ऐ निर्बंध: बादल सर्वथा स्वच्छंद होते हैं, किसी बंधन में नहीं बँधते अत: यह संबोधन भी उचित है।

    ऐ उद्दाम: बादल उच्छृंखल और निरंकुश होते हैं। वे अपनी मर्जी के मालिक होते है अत: यह संबोधन सही है।

    ऐ सम्राट.: बादल बादशाह के समान होते हैं। वे शासन करते है, मानते नहीं।

    ऐ विप्लव के प्लावन: बादल विप्लव को लाते हैं अत: यह संबोधन सटीक है।

    ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार: बादल चंचल शिशु के समान सुकुमार भी होते हैं अत: यह संबोधन उचित है।

    Question 41
    CBSEENHN12026285

    कवि बादलों को किस रूप में देखता है? कालिदास ने मेघों को दूत के रूप में देखा। आप अपना कोई बिंब दीजिए।

    Solution

    कवि बादलों को क्रांति दूत के रूप में देखता है। बादलो का आगमन सभी के लिए हर्ष का कारण होता है। क्रांति का आगमन शोषित वर्ग के हित में होता है।

    कालिदास ने मेघों को यक्ष का दूत बनाकर अलकापुरी भेजा था ताकि वे उसकी प्रेयसी को उसके दु:खी हृदय का संदेश दे सकें।

    अपना बिंब: मेघ आए बड़े बन-ठन के,

    पाहुन हों जैसे शहर के।

    अटारी पर हुआ प्रिया से मिलन,

    झर-झर आँसू में बह गए बंधन।

    Question 42
    CBSEENHN12026286

    कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता है जैसे-अस्थिर सुखसुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है?

    Solution

    दग्ध हृदय (दग्ध दुःख की अधिकता बताता है।)

    निर्दय विप्लव (निर्दय-विशेषण विप्लव की हृदय हीनता को दर्शाता है।)

    ऊँचा सिर (ऊँचा-विशेषण गर्व भावना को दर्शा रहा है।)

    घोर वज्र-हुंकार (वज्र हुंकार की सघनता को दर्शाने के लिए ‘घोर’ विशेषण का प्रयोग)।

    अचल शरीर (शरीर ‘अचल’ बताकर उसे निश्चल बताया गया है।)

    आतंक भवन (भवन को आतंक का केंद्र बताने के लिए ‘आतंक’ विशेषण)।

    सुकुमार शरीर (शरीर की कोमलता दर्शाने के लिए बच्चे के शरीर को सुकोमल बताया गया है।)

    जीर्ण बाहु

    शीर्ण शरीर (शरीर की दुर्बल अवस्था के लिए जीर्ण-शीर्ण-विशेषण।)

    Question 43
    CBSEENHN12026287

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    “हँसते हैं छोटे पौधे लघु भार-
    शस्य अपार,
    हिल-हिल
    खिल-खिल
    हाथ हिलाते,
    तुझे बुलाते
    विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।”

    1. इन पंक्तियों में कवि ने क्या बताना चाहा है?
    2. इस काव्याशं का शिल्पगत सौदंर्य स्पष्ट करो।
    3. ‘छोटे पौधे’ की प्रतीकात्मकता स्पष्ट करो।



    Solution

    1. ‘बादल राग’ कविता की इन पक्तियों में कवि ने यह बताना चाहा है कि जिस प्रकार वर्षा होने पर छोटे-छोटे पौधे हँसते-खिलते हैं, उसी प्रकार क्रांति के आने पर शोषित वर्ग भी यह सोचकर प्रसन्न होने लगता है कि उसके शोषण का अंत हो जाएगा। इसी दृष्टि से इन पंक्तियों में प्रतीकात्मकता का समावेश है।
    2. प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। ‘हाथ हिलाना’, ‘बुलाना’ मानवीय क्रियाएँ हैं। इनमें गतिमय बिंब है। ‘हिल-हिल’, ‘खिल-खिल’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। ‘हाथ हिलाते’ में अनुप्रास अलंकार है।
    3. ‘छोटे पौधे’ शोषित वर्ग के प्रतीक हैं। उनका मानवीकरण किया गया है। ‘विप्लव-रव’ अर्थात् क्रांति का स्वर छोटे लोगों को ही शोभा प्रदान करता है-ऐसी कवि की मान्यता है।

    Question 44
    CBSEENHN12026288

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    रुद्ध कोष है, क्षुब्ध तोष
    अंगना-अंग से लिपटे भी
    आतंक अंक पर काँप रहे हैं
    धनी, वज्र-गर्जन से बादल!
    त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
    जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर,
    तुझे बुलाता कृषक अधीर,
    ऐ विप्लव के वीर!
    चूस लिया है उसका सार,
    हाड़-मात्र ही है आधार,
    ऐ जीवन के पारावार!

    1. क्रांति की संभावना पर शोषक-वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? काव्याशं के आधार पर लिखिए।
    2. थका-हारा किसान बादल का आह्वान क्यों कर रहा है?
    3. बादल के लिए ‘विप्लव के वीर’ और ‘जीवन के पारावार’ संबोधनों का प्रयोग क्यों किया गया है?




    Solution

    1. क्रांति की सभावना से शोषक वर्ग पर यह प्रभाव पड़ रहा है कि क्रांति के भावी परिणाम से त्रस्त होकर यह वर्ग काँप रहा है। इसने डर के मारे अपना मुँह ढाँप लिया है।
    2. थका-हारा किसान बादल का आह्वान इसलिए कर रहा है ताकि क्रांति के परिणामस्वरूप उसके साथ होने वाले शोषण की समाप्ति हो सके। वह बादल को क्रांति-दूत के रूप में देख रहा है।
    3. बादल ‘विप्लव का वीर’ अर्थात् क्रांति लाने में तेज है। वह ‘जीवन का पारावार’ इसलिए है क्योंकि वही शोषितों की जीवन-नैया को पार लगाएगा।

    Question 45
    CBSEENHN12026289

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    अट्टालिका नहीं है रे
    आतंक-भवन
    सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव प्लावन
    क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से सदा छलकता नीर।

    1. अट्टालिकाओं शब्द का प्रयोग किस सदंर्भ में हुआ है?इन पंक्तियों में पूँजीपतियों की हृदय-हीनता का मार्मिक चित्रण है। भाषा में सजीवता है।
    2. ‘जल-प्लावन’ का प्रभाव किस पर पड़ता है?
    3. ‘क्षुद्र प्रफुल्ल जलज’ की प्रतीकात्मकता स्पष्ट करेें।


    Solution

    1. ‘कदल राग’ कविता की इन पंक्तियों में कवि निराला ने शोषित वर्ग की दुर्दशा का मार्मिक चित्रण किया है। किसान-मजदूरों की अशक्त दशा को उभारा गया है। पूँजीपतियों ने उनके जीवन का समस्त रस चूस कर अपने खजाने भर लिए हैं। वह शोषण का शिकार है। अब तो वह कंकाल-मात्र ही रह गया है।
    2. क्रांति के बादल अपने जल-वर्षण से ही उसे जीवन-दान दे सकते हैं अत: वह तुम्हें ही बुला रहा है।
    3. इन पंक्तियों में पूँजीपतियों की हृदय-हीनता का मार्मिक चित्रण है। भाषा में सजीवता है।

    Question 46
    CBSEENHN12026290

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    घन, भेरी-गर्जन मे सजग, सुप्त अकुंर
    उर में पृथ्वी के, आशाओं से
    नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
    ताक रहे हैं ई विप्लव के बादल?

    1.  कवि बादलों को क्या मानता है?
    2.  इस काव्याशं में प्रयुक्त अलंकार सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
    3.  इसका भाषागत सौदंर्य बताइए।


    Solution

    1. कवि बादलों को क्रांति का प्रतीक और शोषित वर्ग की आशा का केंद्र मानता है। बादलों की रणभेरी सुनते ही पृथ्वी के गर्भ में छिपे बीज अंकुरित होकर नवजीवन की आशा में बादल की ओर निहारते हैं। शोषित वर्ग भी क्रांति की प्रतीक्षा कर रहा है।
    2. बादल की गर्जना में ‘रणभेरी’ के आरोपण में रूपक अलंकार है।
       से सजग सुप्त’ में अनुप्रास अलंकार है।
       बादल का मानवीकरण किया गया है।
    3. सिर ऊँचा करना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग है।
       मुक्त छंद होते हुए भी लयात्मकता है।
       ऐ’ में संबोधन शैली का प्रयोग है।

     

    Question 47
    CBSEENHN12026291

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    बार-बार गर्जन
    वर्षण है मूसलाधार
    हृदय थाम लेता संसार
    सुन-सुन घोर वज्र हुंकार।

    1. कवि किसे क्रांति का प्रतीक मानता है और क्यों?
    2. मूसलाधार वर्षा क्या व्यंजित करती है?
    3. भाषागत सौदंर्य स्पष्ट कीजिए।



    Solution

    1. इस काव्यांश में कवि बादल को क्रांति का प्रतीक मानता है। बादलों की गर्जना तथा वर्षण में क्रांति के आगमन का पता चलता है।
    2. मूसलाधार वर्षा का होना क्रांति की तीव्रता को व्यंजित करता है। क्रांति के प्रभाव को संसार हृदय थामकर ग्रहण करता है।
    3. शुद्ध खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
       हृदय थाम लेना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग है।
       फिर-फिर’, सुन-सुन’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
       ओज गुण का समावेश है।
       तत्सम शब्दावली का प्रयोग है।

    Question 48
    CBSEENHN12026292

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    तिरती है समीर-सागर पर
    अस्थिर सुख पर दुख की छाया
    जग के दग्ध हृदय पर
    निर्दय विप्लव की प्लावित माया।

    1. कवि किसका आह्वान करता है और क्यों?
    2. कवि का मानना क्या है?
    3. काव्याशं का शिल्पगत सौदंर्य स्पष्ट कीजिए।



    Solution

    1. ‘बादल राग’ की इन पंक्तियों में कवि निराला ने बादल को क्रांति का प्रतीक माना है। कवि शोषित वर्ग के लिए क्रांति का आह्वान करता है। इस काव्यांश में कवि का जीवन-दर्शन भी अभिव्यक्त हुआ है।
    2. कवि का मानना है कि जीवन के सुखों पर भी दुखों की अदृश्य छाया मँडराती रहती है। लोगों के हृदय दुखों से भरे हैं। सुख अस्थिर हैं।
    3. ‘समीर-सागर’ में रूपक अलंकार है।’
        बादल क्रांति के प्रतीक हैं।
        प्रतीकात्मकता का समावेश है। 
        भाषा सरल एवं सरस है।
        तत्सम शब्दावली का प्रयोग है।

    Question 49
    CBSEENHN12026293

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    अशनि-पात से शायित, उन्नत शत-शत वीर,
    क्षत-विक्षत हन अचल-शरीर
    गगन-स्पर्शी स्पर्धा धीर।
    हँसते हैं पौधे छोटे अघुभार
    शस्य अपार,
    हिल-हिल
    खिल-खिल,
    हाथ हिलाते,
    तुझे बुलाते,
    विप्लव-रन से छोटे ही हैं शोभा पाते।

    1. आशय स्पष्ट कीजिए: विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
    2. पर्वत के लिए प्रयुक्त विशेषणों का सौदंर्य स्पष्ट कीजिए।
    3. वज्रपात करने वाले भीषण बादलों का छोटे पौधे कैसे आवाहन करते हैं और क्यों?

     

    Solution

    1. ‘विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ का आशय यह है कि क्रांति के आगमन का लाभ छोटे लोगों अर्थात् शोषितों को ही मिलता है। वे ही इससे प्रसन्न होते हैं क्योंकि क्रांति का सर्वाधिक लाभ उन्हीं को मिलता है।
    2. पर्वत के लिए प्रयुक्त विशेषण:
    ‘गगन स्पर्शी’ अर्थात् आकाश को छूने वाले (बहुत ऊँचे) पर्वतों को ‘गगन स्पर्शी’ कहकर उनकी ऊँचाई को बताया गया है। वे शोषक वर्ग के प्रतीक हैं। स्पर्धा धीर: पर्वत को ‘स्पर्धा धीर’ विशेषण दिया गया है। वे स्पर्धा करने वाले हैं, शोषक हैं।
    3. छोटे पौधे मस्ती में हिल-हिल कर, हँसते-मुस्कराते हाथ पसारे भीषण बादलों का आवाहन करते हैं।

     
    Question 50
    CBSEENHN12026294

    ‘बादल राग’ कविता के आधार पर निराला जी की भाषा-शैली की समीक्षा कीजिए।

    Solution

    ‘बादल राग’ कविता भाषा-शैली की दृष्टि से निराला की प्रतिनिधि रचना कही जा सकती है। इसमें आद्यात भाषा का। ओज गुण विद्यमान है। समासपद संयुक्त-व्यंजन तथा कठोर वर्णो के उपयोग में ओज गुण का निर्वाह हुआ है। उनके शब्द-चयन में शक्ति और प्राणवत्ता है। वर्णों और कहीं-कहीं शब्दों की आवृत्ति में जहाँ ओजस्विता है, वहाँ भाषा व छंद को अद्भुत गति मिलती है-

    ‘अशनि-पात से शायित उन्नत शत शत वीर।’

    शब्द की ध्वनि और उसका नाद सौंदर्य भी अभिव्यंजना में सहायक हुआ है। शब्द अपनी ध्वनि में शब्द-चित्र सा प्रस्तुत कर देते हैं-’क्षत-विक्षत इसी अचल शरीर।’ इसी प्रकार ‘हिल-हिल, खिल-खिल’ आदि शब्दों के जोड़े अपनी ध्वनि में लहलहाती और खिली फसलों का रूप उभारते हैं।

    इसमें दो प्रमुख बिंब सामने आते हैं-एक बिंब वर्षा और वज्र से आहत क्षत-विक्षत पर्वत का है और दूसरा हँसते सुकुमार पौधों का है। प्रतीक बड़े सार्थक हैं। बादल सामाजिक क्रांति का प्रतीक है। बादल का गर्जन ही क्रांति का शंखनाद है। शोषक और शोषित वर्ग के लिए क्रमश: पैक और जलज के प्रतीक उपस्थित किए गए हैं।

    कवि ने मुहावरों का प्रयोग कर भाषा का चमत्कार बढ़ा दिया है। भाषा में सर्वत्र उन्मुक्तता एवं प्रबल गति है। प्रस्तुत कविता निराला जी की ओजपूर्ण एवं चित्रमय भाषा-शैली का एक अद्भुत नमूना है।

    Question 51
    CBSEENHN12026295

    ‘बादल राग’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

    Solution

    ‘बादल राग’ शीर्षक कविता निराला जी की एक प्रसिद्ध ओजस्वी रचना है। कवि ने बादल को क्रांति का प्रतीक माना है। वह शोषित वर्ग के हित में उसका आह्वान करता है। क्रांति के प्रतीक बादलों को देखकर पूँजीपति वर्ग भयभीत हो जाता है और किसान मजदूर उसे आशा भरी दृष्टि से देखते हैं। बड़े-बड़े महलों में रहने वाले धनिक आतंक फैलाने का प्रयास करते है पर क्रांति के स्वर उन्हे भी कंपित कर देते हैं। शोषित वर्ग इस क्रांति से लाभान्वित होता है। अत: समाज में उनका सही अधिकार दिलाने के लिए क्रांति की आवश्यकता है।

    इस कविता में कवि ने सामाजिक एवं आर्थिक वैषम्य का यथार्थ चित्रण किया है। सामाजिक विषमता को मिटाने के लिए आर्थिक विषमता मिटानी आवश्यक है।

    Question 52
    CBSEENHN12026296

    ‘बादल राग’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बादलों के आगमन से प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं?

    Solution

    बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले निम्नलिखित परिवर्तनों को यह कविता रेखांकित करती है -

    - बादलों की गर्जना होने लगती है।

    - पृथ्वी में से पौधों का अंकुरण होने लगता है।

    - मूसलाधार वर्षा होने लगती है।

    - बिजली चमकती है तथा गिर भी जाती है।

    - छोटे-छोटे पौधे हवा चलने के कारण हाथ हिलाते जान पड़ते हैं।

    - कमल का फूल खिलता है तथा उससे जल की बूँदें टपकती हैं।

    Question 53
    CBSEENHN12026297

    विप्लवी बादल की युद्ध-नौका की क्या-क्या विशेषताएँ हैं?

    Solution

    विप्लवी बादल की युद्ध-नौका की ये विशेषताएँ हैं-

    (1) वह समीर-सागर पर तैरती है। (2) वह भेरी गर्जन से सजग है। (3) वह ऊँची आकांक्षाओं से भरी हुई है।

    विप्लवी बादल की युद्ध -नौका पवन रूपी सागर पर ऐसे विचरण करती रहती है जैसे जीवन के अस्थायी सुखों पर दु:खों की काली छाया मँडराती रहती है। जिस प्रकार युद्ध-नौका युद्ध-सामग्री से भरी रहती है, उसी प्रकार इस विप्लवी बादल की युद्ध-नौका में शोषित वर्ग की आकांक्षाएँ भरी हुई हैं। विप्लवी बादल की युद्ध-नौका को देखकर शोषक वर्ग का हृदय उल्लास से भर जाता है।

    Question 54
    CBSEENHN12026298

    ‘अट्टालिका नहीं है, आतंक भवन’ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    इस पंक्ति में यह व्यंग्य निहित है कि पूँजीपतियों के विशाल आवास कहने को तो अट्टालिकाएँ हैं, पर वास्तव में आतंक फैलाने के केंद्र बनकर रह गए हैं। इन गगनचुंबी अट्टालिकाओं में रहने वाले पूँजीपति निर्धन वर्ग को सताते एवं आतंकित करते रहते हैं। इस प्रकार ये गगनचुंबी अट्टालिकाएँ आतंकवाद के अड्डे बन गए हैं। इनमें रहने वाले शोषक भी क्रांति के भय से सदा आतंकित रहते हैं। अत: इन भवनों को अट्टालिका न कहकर ‘आतंक-भवन’ कहना अधिक उपयुक्त है। क्रांति होने पर ये भवन धराशायी हो जाएँगे।

    Question 55
    CBSEENHN12026299

    हर प्रकार से सुरक्षित और संपन्न होते हुए भी शोषक वर्ग विप्लव की संभावना से भयभीत क्यों है?

    Solution

    शोषक वर्ग सुरक्षित और संपन्न होते हुए भी विप्लव की संभावना से बुरी तरह भयभीत हो उठता है। इसका कारण यह है कि वे इस बात को भली-भाँति जानते हैं कि वे निर्धन वर्ग पर अत्याचार कर रहे हैं। इस वर्ग की क्रांति सफल हो गई तो वे कहो के न रहेंगे। क्रांति पूंजीपतियों का विनाश कर देगी। उनके ऊँचे-ऊँचे महल मिट्टी में मिल जाएँगे। इस सत्य का अहसास होते ही वे काँप उठते हैं। यहाँ तक कि प्रिया की भुजाओं में रहते हुए भी स्वयं को भयभीत पाते हैं।

    Question 56
    CBSEENHN12026300

    विप्लव के बादल की घोर गर्जना का धनी वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?

    Solution

    विप्लव के बादल की घोर गर्जना सुनकर धनी-वर्ग आतक से काँप उठता है। वे त्रस्त होकर अपना मुँह, अपनी आँखें छिपा लेते हैं। वह समझता है कि क्रांति की अनदेखी करके वह इसके दुष्प्रभाव से बच जाएगा। जिस प्रकार विप्लव के बादलों की घोर गर्जना से पर्वत तक गिर जाते हैं, उसी प्रकार क्रांति के बिगुल से धनिक वर्ग भयभीत हो जाता है। वह इससे बचने का हरसंभव प्रयास करता है।

    Question 57
    CBSEENHN12026301

    ‘सुप्त अंकुर उर में पृथ्वी के’ से क्या तात्पर्य है?

    Solution

    धरती में बीजों के अंकुर सुप्तावस्था में पड़े रहते हैं। वर्षा-जल से वे धरती को फोड़कर बाहर निकल आते हैं। इसी प्रकार क्रांतिदूत मेघ के बरसने से लोगों के हृदयों में सोई आकांक्षाएँ जागृत हो जाती हैं-

    - ‘सुप्त अंकुर’ आकांक्षाओं के प्रतीक हैं।

    - पृथ्वी उर (मन) की प्रतीक है।

    क्रांति होने की स्थिति में ही लोगों के मन में छिपी आकांक्षाएँ पूरी हो सकती हैं।

    Question 58
    CBSEENHN12026302

    “चूस लिया है उसका सार” द्वारा कवि क्या व्यंजित करना चाहता है?

    Solution

    इस पंक्ति में कवि यह व्यंजित करना चाहता है कि पूँजीपति वर्ग ने शोषित वर्ग का बुरी तरह से शोषण किया है। उसका सारा तत्त्व इस शोषक वर्ग ने चूस लिया है। अब निर्धन वर्ग का जीवन प्राणहीन होकर रह गया है। इसका उत्तरदायित्व पूँजीपति वर्ग पर है। कवि ने इससे शोषक वर्ग की क्रूरता एवं दमनकारी प्रवृत्ति को व्यंजित करना चाहा है।

    Question 59
    CBSEENHN12026303

    ‘बादल राग’ कविता में ‘ऐ विप्लव के वीर’ किसे कहा गया है और क्यों?

    Solution

    ‘ऐ विप्लव के वीर’ क्रांति के बादल को कहा गया है। विप्लव से तात्पर्य क्रांति से है। जब क्रांति आती है तो उसका सबसे अधिक लाभ छोटे लोगों (किसान-मजदूरों-शोषित वर्ग) को ही मिलता है। शोषक वर्ग तो विप्लव अर्थात् क्रांति आने की संभावना से ही बुरी तरह घबरा जाता है। शोषित वर्ग जब क्रांति आने की आवाज (आहट) सुनता है तो उसके चेहरे पर प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है। क्रांति में यह वर्ग शोभा प्राप्त करता है।

    Question 60
    CBSEENHN12026304

    विप्लवी बादल को देखकर समाज के संपन्न और विप्लव वर्ग पर क्या प्रतिक्रियाएँ होती हैं? ‘बादल राग’ कविता के आधार पर लिखिए।

    Solution

    विप्लवी बादल की गर्जना सुनकर संपन्न वर्ग भयभीत हो उठता है। यह वर्ग प्रिया की भुजाओं में रहते हुए भी काँपता है। इस वर्ग के लोग अपने मुँह और आँखों को ढाँप लेते हैं। विपन्न अर्थात् शोषित वर्ग विप्लवी बादलों को क्रांति का दूत मानता है। अत: अपने उद्धार की कामना से खुश हो उठता है। इससे उसमें नवजीवन का संचार हो जाता है।

    Question 61
    CBSEENHN12026305

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    रुदध कोष है, क्षुब्धतोष
    अंगना-अंग से लिपटे भी
    आतंक अंक पर काँप रहे हैं
    धनी, वज्र गर्जन से बादल।
    त्रस्त नयन, मुख ढाँप रहे हैं।
    जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर।
    तुझे बुलाता कृषक अधीर,
    ऐ विप्लव के वीर।

    1. ‘विप्लव के वीर’ किसे कहा गया है और क्यों?
    2. बादलों को बुलाने में कृषक की अधीरता का कारण स्पष्ट कीजिए।
    3. काव्यांश के आधार पर शोषक-समाज का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
    4. सुख-सुविधा भोग रहे धनी लोगों के भयभीत होने का क्या कारण है?
     






    Solution

    1. ‘विप्लव के वीर’ बादलों को कहा गया है। इसका कारण यह है कि कवि ने बादलों को क्रांति के प्रतीक के रूप में चित्रित किया है।
    2. बादलों को बुलाने में कृषक की अधीरता इसलिए है क्योंकि बादलों के अभाव में उसकी दशा बहुत खराब हो रही है। उनके आने पर ही उसकी दशा सुधर पाएगी। कृषक भी शोषित वर्ग का प्रतिनिधि है। वह बादलों के रूप में क्रांति का आह्वान करता है।
    3. इस काव्यांश में बताया गया है कि शोषक वर्ग (पूँजीपतियों) ने समाज के धन पर अपना कब्जा जमा रखा है, फिर भी उनके मन में और अधिक पाने के लिए असंतोष बना रहता है। वे सदा आशंकित रहते हैं। प्रिया के साथ मधुर मिलन के क्षणों में भी क्रांति को आहट उन्हें भयभीत किए रखती है। वे पूरे मन से सुख भोग भी नहीं कर पाते।
    4. सुख-सुविधा भोग रहे धनी लोगों के भयभीत होने का कारण यह है कि उन्हें सदा क्रांति आने का डर बना रहता है। वे क्रांति के संभावित प्रभावों से त्रस्त रहते हैं। क्रांति का नाम ही उन्हें भयभीत कर देता है।

    Question 62
    CBSEENHN12026306

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    यह तेरी रण-तरी
    भरी आकांक्षाओं से,
    घन, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
    उर में पृथ्वी के, आशाओं से
    नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
    ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!
    फिर-फिर
    बार-बार गर्जन
    वर्षण है मूसलाधार,
    हदय थाम लेता संसार,
    सुन-सुनघोर वज्र-हुंकार।

    1. बादलों को ‘विप्लव के बादल’ क्यों कहा गया है?
    2. बादलों की युद्ध-नौका में क्या भरा है? उसका लाभ किन्हें और कैसे मिलेगा?
    3. नवजीवन की आशा में कौन सिर उठाए हुए हैं? उन्हें क्रांति का लाभ किस प्रकार प्राप्त होगा?
    4. संसार बादल के किस रूप से त्रस्त है?



    Solution

    1. बादलों को ‘विप्लव के बादल’ इसलिए कहा गया है क्योंकि वे पृथ्वी पर विप्लव लाते हैं अर्थात् क्रांति लाते हैं। विप्लव क्रांति है। ये बादल क्रांति दूत बनकर संसार के कष्टों को मिटाएँगे।
    2. बादलों की युद्ध नौका में लोगों की आशा- आकांक्षाएँ भरी हुई हैं। इसमें गर्जन-तर्जन भरा. है। इससे क्रांति आती है। इसका लाभ शोषित वर्ग को मिलेगा। क्रांति के आने से पूंजीपति वर्ग का सफाया हो जाएगा।
    3. नवजीवन की आशा में पृथ्वी में छिपे अंकुर सिर उठाए हुए हैं अर्थात् दीन-दु:खी दलित व्यक्ति शोषण से मुक्ति पाने के लिए आशान्वित हैं। उन्हें क्रांति का लाभ इस रूप में मिलेगा कि वे अपने कष्टों से छुटकारा पा जाएँगे अर्थात् पूँजीपतियों के शोषण से मुक्त हो जाएँगे।
    4. संसार बादल के निर्दयी रूप से त्रस्त है। यह रूप पूँजीपति बनकर उनका शोषण करता है। इस समय संसार शोषण और अभावों से त्रस्त है। वह इनसे मुक्ति चाहता है।

    Question 63
    CBSEENHN12026307

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
    अट्टालिका नहीं है रे
    आतंक-भवन
    सदा पंक पर ही होता
    जल-विप्लव-प्लावन,
    क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से
    सदा छलकता नीर,
    रोग-शोक में भी हँसता है
    शैशव का सुकुमार शरीर।

    1. कविता के संदर्भ में पंक और जलज का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
    2. अट्टालिका को कवि ने आतंक-भवन क्यों कहा है?
    3. जल-विप्लव-प्लावना क्या अर्थ है? वह पंक पर ही क्यों होता है?
    4. आशय स्पष्ट कीजिए:
       रोग-शोक में भी हँसता है
       शैशव का सुकुमार शरीर।





    Solution

    1. ‘पैक’ कीचड़ का प्रतीकार्थ है-शोषक वर्ग, उसे जल प्लावन का प्रभाव झेलना पड़ता है। ‘जलज’ कमल का प्रतीकार्थ है-शोषित वर्ग है। वह क्रांति में खिलता है।
    2. अट्टालिका को ‘आतंक भवन’ इसलिए कहा गया है क्योंकि ये पूँजीपतियों के विशाल भवन हैं और शोषित वर्ग को आतंकित करने का काम यहीं से होता है। ये आतंक के अड्डे हैं।
    3. ‘जल विप्लव प्लावन’ का अर्थ तो बाद का आना है, पर यहाँ प्रतीकार्थ क्रांति का प्रभाव है। वर्षा से कीकीचडैदा होती है। क्राति का बुरा प्रभाव पूँजीपतियों पर पड़ता है।
    4. बच्चा रोग-शोक में भी हँसता रहता है, उसी प्ररकार शोषित वर्ग अपने कष्टों से अनजान बना रहता है। वह उसी स्थिति में सामान्य बना रहता है।

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