Aroh Bhag Ii Chapter 4 रघुवीर सहाय
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    NCERT Solution For Class 12 Hindi Aroh Bhag Ii

    रघुवीर सहाय Here is the CBSE Hindi Chapter 4 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 Hindi रघुवीर सहाय Chapter 4 NCERT Solutions for Class 12 Hindi रघुवीर सहाय Chapter 4 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN12026130

    रघुवीर सहाय के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।

    Solution

    जीवन-परिचय: रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर, 1929 को लखनऊ ( उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनकी संपूर्ण शिक्षा लखनऊ में ही हुई। वहीं से उन्होंने 1951 में अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. किया। रघुवीर सहाय पेशे से पत्रकार थे। आरंभ में उन्होंने प्रतीक में सहायक संपादक के रूप मैं काम किया। फिर वे आकाशवाणी के समाचार विभाग में रहे। कुछ समय तक वे कल्पना के संपादन से भी जुड़े रहे और कई वर्षा तक उन्होंने दिनमान का संपादन किया। उनका निधन 1990 ई. में हुआ।

    रघुवीर सहाय नई कविता के कवि हैं। उनकी कुछ कविताएँ अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक में संकलित हैं। कविता के अलावा उन्होंने रचनात्मक और विवेचनात्मक गद्य भी लिखा है। उनके काव्य-संसार में आत्मपरक अनुभवों की जगह जनजीवन के अनुभवों की रचनात्मक अभिव्यक्ति अधिक है। वे व्यापक सामाजिक संदर्भो के निरीक्षण, अनुभव और बोध को कविता में व्यक्त करते हैं।

    साहित्यिक विशेषताएँ: रघुवीर सहाय ने काव्य-रचना में पत्रकार की दृष्टि का सर्जनात्मक उपयोग किया है। वे मानते हैं कि अखबार की खबर के भीतर दबी और छिपाई हुई ऐसी अनेक खबरें होती हैं जिनमें मानवीय पीड़ा छिपी रह जाती है। उस छिपी हुई मानवीय पीड़ा की अभिव्यक्ति करना कविता का दायित्व है।

    रघुवीर सहाय को ‘नई कविता’ के समर्थ कवियों में गिना जाता है। वे रोजमर्रा के प्रसंगों को अपनी विशिष्ट काव्य शैली में प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त हैं। उनकी पत्रकारिता उनकी कविता को जानदार एवं प्रासंगिक बनाती है। इससे उनकी कविताओं में एक खास किस्म की तथ्यात्मकता आ गई है और यह मात्र ‘तथ्य’ न रहकर ‘सत्य’ बन जाता है। वे अज्ञेय द्वारा सम्पादित ‘दूसरा सप्तक’ (1952) के प्रमुख प्रयोगवादी कवि हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में रोजमर्रा के प्रसंगों को उठाकर विशिष्ट काव्य-शैली का परिचय दिया है। वे निश्चय ही आधुनिक काव्य भाषा के मुहावरे को पकड़ने वाले सशक्त कवि हैं।

    रघुवीर सहाय समकालीन हिंदी कविता के संवेदनशील ‘नागर’ चेहरा हैं। सड़क चौराहा दफ्तर, अखबार ससद बस रेल और बाजार की बेलौस भाषा में उन्होंने कविता लिखी। घर-मुहल्ले के चरित्र रामदास गीता, सीता हरिया हरचरना पर कविता लिखी और इन्हें हमारी चेतना का स्थायी नागरिक बनाया। हत्या-लूटपाट और आगजनी राजनीतिक, भ्रष्टाचार और छल-छद्य इनकी कविता मे उतरकर खोजी पत्रकारिता की सनसनीखेज रपटें नहीं रह जाते आत्मान्वेषण का माध्य बन जाते हैं। यह ठीक है कि पेशे से ववेपत्रकार थे लेकिन वे सिर्फ पत्रकार नहीं थे सिद्ध कथाकार और कवि भी थे कविता को उन्होंने एक कहानीपन और एक नाटकीय वैभव दिया।

    जातीय या वैयक्तिक स्मृतियाँ उनके यहाँ नहीं के बराबर हैं। इसलिए उनके दोनों पाँव वर्तमान में ही गड़े हैं। बावजूद इसके, मार्मिक उजास और व्यंग्य-बुझी खुरदुरी मुस्कानों से उनकी कविता पटी पड़ी है। छंदानुशासन के लिहाज से भी वे अनुपम हैं पर ज्यादातर बातचीत की सहज शैली में ही उन्होंने लिखा और बखूबी लिखा।

    बतौर पत्रकार और कवि घटनाओं में निहित विडंबना और त्रासदी को- भी देखा। रघुवीर सहाय की कविताओं की दूसरी विशेषता है छोटे या लघु की महत्ता का स्वीकार। वे महज बड़े कहे जाने वाले विषय या समस्याओं पर ही दृष्टि नहीं डालते बल्कि जिनको समाज में हाशिए पर रखा जाता है उनके अनुभवों को भी अपनी रचनाओं का विषय बनाते हैं। रघुवीर जी ने भारतीय समाज में ताकतवरों की बढ़ती हैसियत और सत्ता के खिलाफ भी साहित्य और पत्रकारिता के पाठकों का ध्यान खींचा। ‘रामदास’ नाम की उनकी कविता आधुनिक हिंदी कविता की एक महत्वपूर्ण रचना मानी जाती है।

    रचनाएँ: रघुवीर सहाय की प्रथम समर्थ रचना ‘सीढ़ियों पर धूप’ (1960) है। इसके पश्चात् की रचनाएँ- ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ (1967), ‘हँसो-हँसे जल्दी हँसे’ (1974), ‘लोग भूल गए है’ आदि। ‘लोग भूल गए हैं’ रचना पर उन्हें 1984 का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

    भाषा-शैली: रघुवीर सहाय की अपनी काव्य-शैली है। उनकी भाषा सरल साफ-सुथरी एव सधी हुई है। उनकी भाषा शहरी होते हुए भी सहज व्यवहार वाली है, सजावट की वस्तु नहीं।

    रघुवीर सहाय आधुनिक काव्य-भाषा के मुहावरे को पकड़ने में अत्यंत कुशल हैं।

    Question 2
    CBSEENHN12026131

    प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

    हम दूरदर्शन पर बोलेंगे

    हम समर्थ शक्तिवान

    हम एक दुर्बल को लाएँगे

    एक बंद कमरे में

    उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?

    तो आप क्यों अपाहिज हैं?

    आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा

    देता है?

    (कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)

    हाँ तो बताइए आपका दुःख क्या है

    जल्दी बताइए वह दुःख बताइए

    बता नहीं पाएगा।

    Solution

    प्रसगं: प्रस्तुत काव्याशं नई कविता के सशक्त हस्ताक्षर कवि रघुवीर सहाय द्वारा रचित कविता ‘कैमरे में बद अपाहिज’ से अवतरित है। यह एक व्यंग कविता है। इसमें आज के सर्वाधिक सशक्त मीडिया टेलीविजन के कार्यक्रमों (विशेषकर साक्षात्कार। की सवेदनहीनता को रेखांकित किया गया है। अब तो दूसरों की पीड़ा भी एक कारोबारी वस्तु बनकर रह गई है। यह कविता ऐसे हर व्यक्ति की ओर इशारा करती है जो दूसरों के दुःख-दर्द, यातना- वेदना को बेचना चाहता है। कवि मीडिया वालों की हृदयहीनता पर कटाक्ष करते हुए कहता है कि वे जनता के बीच लोकप्रिय होने के लिए तरह-तरह के अटपटे कार्यक्रम लेकर आते हैं।

    व्याख्या: दूरदर्शन (टेलीविजन) के कार्यक्रम के संचालक स्वयं को समर्थ और शक्तिमान (ताकतवर) मानकर चलते हैं। उनमें अहं भाव होता है। वे दूसरे को अत्यन्त कमजोर मानकर चलते हैं। दूरदर्शन कार्यक्रम का संचालक कहता है-हम अपने दूरदर्शन पर आपको दिखाएँगे एक कमरे में बंद कमजोर व्यक्ति को। यह व्यक्ति अपंग है और एक कमरे मे बंद है। हम आपके सामने उससे पूछेंगे-क्या आप अपंग हैं? (जबकि वह अपंग दिखाई दे रहा है।) फिर हम उससे प्रश्न करेंगे- आप अपंग क्यों हैं? (जैसे यह उसके वश की बात हो) फिर उससे अगला प्रश्न पूछा जाएगा- आपको आपकी यह अपंगता दु:ख तो देती होगी? (क्या अपंगता सुख भी देती है?-व्यंग्य) फिर वह संचालक कैमरामैन को निर्देश देता है कि अपंगता को बड़ा करके (High light) करके दिखाओ। फिर संचालक अपंग व्यक्ति से अटपटा सा प्रश्न करता है-जल्दी से बताइए कि आपका दु:ख क्या है (जबकि यह सब स्पष्ट है) वह व्यक्ति अपने दु:ख को कह नहीं पाता। व्यंग्य स्पष्ट है कि संचालक महोदय को अपंग व्यक्ति की पीड़ा से कुछ लेना-देना नहीं है। वह तो अपने कार्यक्रम को सजीव बनाना चाहता है। उसके अटपटे प्रश्न करुणा जगाने के स्थान पर खीझ उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार यह सारा कार्यक्रम नाटकीय प्रतीत होता है।

    Question 3
    CBSEENHN12026132

    दूरदर्शन वाले दूरदर्शन पर क्या बोलेंगे?

    Solution

    दूरदर्शन वाले दूरदर्शन पर यह बोलेंगे कि हम सबल और सामर्थ्यवान है और सामने बैठा व्यक्ति दुर्बल है। उसमें अहंकार का भाव होता है।

    Question 4
    CBSEENHN12026133

    वे किसे और क्यों लेकर आएँगे?

    Solution
    दूरदर्शन वाले एक अपंग व्यक्ति को स्टूडियो के बंद कमरे में लेकर आएँगे और उसे दर्शकों को बार-बार दिखाएँगे।
    Question 5
    CBSEENHN12026134

    वे उससे क्या-क्या प्रश्न पूछते हैं?

    Solution

    मीडियाकर्मी उस अपंग व्यक्ति से तरह-तरह के प्रश्न करेंगे-

    - क्या आप अपाहिज हैं?

    - क्या आपका अपाहिजपन आपको दु:ख देता है?

    - आपका दु:ख क्या है?

    Question 6
    CBSEENHN12026135

    वे कैमरे को क्या निर्देश देते हैं और क्यों?

    Solution

    वे कैमरामैन को निर्देश देते हैं कि वह अपाहिज व्यक्ति की अपंगता को बड़ा करके दिखाए ताकि लोगों की सहानुभूति बटोरी जा सके। इससे उनका कार्यक्रम रोचक बनता है।

    Question 7
    CBSEENHN12026136

    मीडियाकर्मी अपंग व्यक्ति से क्या सोचकर बताने को कहना है?

    Solution

    मीडियाकर्मी अपंग व्यक्ति से यह सोचकर बताने के लिए कहता है कि उसे अपाहिज होकर कैसा लगता है। वे उसका अनुभव पूछकर अपना कार्यक्रम रोचक बनाने का प्रयास करते हैं।

    Question 8
    CBSEENHN12026137

    वे अपाहिज को संकेत में क्या बताते हैं?

    Solution

    मीडियाकर्मी संकेत में अपाहिज को बताते हैं कि वह अपना अनुभव इस प्रकार बताए अर्थात् वे अपने इशारे पर अपंग को चलाना चाहते हैं। उनका तो एकमात्र लक्ष्य कार्यक्रम को रोचक और प्रभावी बनाना है।

    Question 9
    CBSEENHN12026138

    दूरदर्शन वाले कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते हैं?

    Solution

    दूरदर्शन वाले कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए अपाहिज व्यक्ति के सामने ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कर देते हैं ताकि वह भावुक होकर रो पड़े। इससे वे दर्शकों को भी रुला देना चाहते हैं।

    Question 10
    CBSEENHN12026139

    दूरदर्शन वाले किस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं?’

    Solution

    दूरदर्शन वाले इस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं कि सामने बैठा अपाहिज व्यक्ति रो पड़े। वह उसकी फूली सूजी आँखें दूरदर्शन के परदे पर दिखाकर दर्शकों की सहानुभूति बटोरकर कार्यक्रम को रोचक बनाना चाहते हैं।

    Question 11
    CBSEENHN12026140

    प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

    एक और कोशिश

    दर्शक

    धीरज रखिए

    देखिए

    हमें दोनों एक संग रुलाने हैं

    आप और वह दोनों

    (कैमरा

    बस करो

    नहीं हुआ

    रहने दो

    परदे पर वकत की कीमत है)

    अब मुस्कुराएँगे हम

    आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम

    (बस थोड़ी ही कसर रह गई)

    धन्यवाद।

    Solution

    प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ नई कविता के सशक्त कवि रघुवीर सहाय द्वारा रचित कविता ‘कैमरे में बद अपाहिज’ मे अवतरित हैं। इस कविता में कवि ने टेलीविजन कार्यक्रमों की संवेदनहीनता पर करार व्यंग्य किया है। यहाँ एक अपंग व्यक्ति पर तैयार किए जा रहे कार्यक्रम की वास्तविकता को उजागर किया गया है।

    व्याख्या: कार्यक्रम संचालक अपंग व्यक्ति को रोते और कसमसाते हुए टी. वी. के परदे पर दर्शकों को दिखाना चाहता है। उसका भरपूर प्रयास रहता है कि अपाहिज व्यक्ति रोने लगे ताकि कार्यक्रम रोचक एवं प्रभावी बन जाए। संचालक एक और कोशिश करता है। वह दर्शकों से धैर्य रखने की अपील भी करता है। संचालक अपंग व्यक्ति और दर्शक दोनों को रुलाने की कोशिश में जुट जाता है। जब उसकी कोशिश पूरी तरह सफल नहीं हो पाती है तब वह अपने कैमरामैन को हिदायत देता है कि अब बस करो और यदि रोना संभव नहीं हुआ तो रहने दो। परदे पर समय की बड़ी कीमत है। कार्यक्रम को शूट करना काफी महँगा पड़ता है। हम इसके लिए ज्यादा समय और पैसा बर्बाद नहीं कर सकते। अब रोना-पीटना बंद करो। अब हमारे मुस्कराने की बारी है अर्थात् अब हम अपनी वास्तविकता पर लौट आएँगे। संचालक महोदय दर्शकों को बताते हैं कि हमने यह कार्यक्रम सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु दिखाया था, इसमें बस थोड़ी सी कमी रह गई अर्थात् रोने वाला सीन नहीं आ सका)।

    इससे स्पष्ट है कि संचालक अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु कार्यक्रम दिखा रहा था। वह एक व्यक्ति की अपंगता को भुनाने की कोशिश कर रहा था। साथ ही वह दर्शकों का धन्यवाद भी करता है।

    विशेष: 1. यह टेलीविजन कार्यक्रमों की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगाता है।

    2. व्यंजना शक्ति का प्रभाव है।

    3. ‘परदे पर’ में अनुप्रास अलंकार है।

    4. खड़ी बोली का प्रयोग है।

    Question 12
    CBSEENHN12026141

    एक और कोशिश के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि यह कोशिश कौन कर रहा था तथा उसकी कोशिश क्या थी?

    Solution

    ‘एक और कोशिश’ कैमरे वाले और कार्यक्रम संचालक कर रहे थे। वे अपाहिज व्यक्ति से अपनी इच्छानुसार व्यवहार करवाना चाहते थे जिसमें वे अब तक सफल नहीं हो पाए थे।

    Question 13
    CBSEENHN12026142

    ‘हमें दोनों एक संग रुलाने हैं’ काव्य पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    ‘हमें दोनों एक साथ रुलाने हैं’ काव्य-पंक्ति में यह व्यंग्य निहित है कि कार्यक्रम संचालक अपाहिज और दर्शकों को एक साथ रुलाने का प्रयास करता है ताकि वह यह सिद्ध कर सके कि उसका कार्यक्रम सफल रहा।

    Question 14
    CBSEENHN12026143

    दूरदर्शन वालों के अनुसार कार्यक्रम में क्या कमी रह गई?

    Solution

    दूरदर्शन वालों ने पूरा प्रयास तो किया पर वे अपंग व्यक्ति और दर्शकों को रुलाने में सफल न हो सके। बस उनके कार्यक्रम में थोड़ी कसर रह गई।

    Question 15
    CBSEENHN12026144

    इस काव्यांश के आधार पर दूरदर्शन के कार्यक्रमों पर टिप्पणी कीजिए।

    Solution

    इस काव्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि दूरदर्शन के कार्यक्रमों में यांत्रिकता बनावटीपन, अति नाटकीयता का समावेश होता है। वे लोगों की करुणा भावना को कैश कराना चाहते हैं। इन कार्यक्रमों में हृदयहीनता होती है।

    Question 16
    CBSEENHN12026145

    कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं-आपकी समझ से इनका क्या औचित्य है?

    Solution

    कविता में कोष्ठकों में रखी पंक्तियाँ वैसे तो संचालक के संकेत हैं: जैसे-

    वह अवसर खो देंगे - अपंग व्यक्ति को

    यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा प्रश्नकर्त्ता को

    आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे - दर्शकों को

    कैमरा इसे दिखाओ बड़ा-बड़ा - कैमरामैन को

    कैमरा बस करो.. - कैमरामैन को

    हमारी समझ से इनका औचित्य यह है कि ये कथन टेलीविजन कार्यक्रम के संचालक के छद्म रूप को उजागर करते हैं। ये सामने वाले व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार बुलवाने का प्रयास करते हैं। कार्यक्रम का बहाना सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति होता है जबकि वे अपना उन्न सीधा करते हैं।

    Question 17
    CBSEENHN12026146

    ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है’-विचार कीजिए।

    Solution

    यह कथन बिल्कुल सच है कि यह कविता करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है। ऊपर से तो करुणा दिखाई देती है कि संचालक महोदय अपंग व्यक्ति के प्रति सहानुभूति दर्शा रहा है, पर उसका वास्तविक उद्देश्य कुछ और ही होता है। वह तो उसकी अपंगता बेचना चाहता है। उसे एक रोचक कार्यक्रम चाहिए जिसे दिखाकर वह दर्शकों की वाह-वाही लूट सके। उसे अपंग व्यक्ति से कुछ लेना-देना नहीं है। यह कविता यह बताती है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले इस प्रकार के अधिकांश कार्यक्रम कारोबारी दबाव के तहत संवेदनशील होने का ढोग भर करते हैं। कई बार उनके प्रश्न क्रूरता की सीमा तक पहुँच जाते हैं। अत: यह कहना उचित ही है कि ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है।

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    Question 18
    CBSEENHN12026147

    हम समर्थ शक्तिमान और हम एक दुर्बल को लाएँगे पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?

    Solution

    इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने यह व्यंग्य किया है कि हम टेलीविजन (मीडिया) के लोग तो बहुत ताकतवर हैं। हम जो चाहें, जैसे चाहें कार्यक्रम को दर्शकों को दिखा सकते हैं। कार्यक्रम का निर्माण एवं प्रस्तुति उनकी मर्जी से ही होती है। वे करुणा को बेच भी सकते हैं।

    जिसके ऊपर कार्यक्रम केंद्रित होता है वह एक दुर्बल व्यक्ति है। वह दुर्बल इस मायने में है कि वह अपनी मर्जी से न तो कुछ बोल सकता है न कुछ कर सकता है। उसे वही कुछ करना पड़ता है जो कार्यक्रम का संचालक/निर्देशक बताता है। वह विवश है।

    Question 19
    CBSEENHN12026148

    यदि शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कौन-सा उद्देश्य पूरा होगा?

    Solution

    जब शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति (अपंग) और दर्शक दोनों एक साथ रोने लगेंगे तो प्रश्नकर्त्ता का उद्देश्य पूरा हो जाएगा। दिखाने के लिए तो वह इसे सामाजिक उद्देश्य बताता है, पर वास्तव में उसका उद्देश्य एक रोचक कार्यक्रम प्रस्तुत करना होता है। उसे अपंग व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती, बल्कि वह तो उसकी अपंगता का शोषण कर अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति को सफल बनाना चाहता है। यही उसका उद्देश्य भी है। दोनों के रोने से उसका यह उद्देश्य पूरा हो जाता है।

    Question 20
    CBSEENHN12026149

    ‘परदे पर वक्त की कीमत हे’ कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा है?

    Solution

    ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ अर्थात् टेलीविजन के परदे पर किसी कार्यक्रम को दिखाना काफी महँगा पड़ता है। इसमें कम-से-कम समय लगाने की कोशिश की जाती है।

    अपंग व्यक्ति और प्रश्नकर्त्ता के मध्य हुए साक्षात्कार के प्रति कवि ने यह नजरिया दर्शाया है कि साक्षात्कार लेकर टेलीविजन वाले अपने लिए रोचक कार्यक्रम बनाने के चक्कर में रहते हैं। वे दूरदर्शन के समय एवं परदे का इस्तेमाल अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु करते हैं, उन्हें उस व्यक्ति की कोई परवाह नहीं होती जिसका साक्षात्कार लिया जा रहा होता है (विशेष सामान्य व्यक्ति का) कार्यक्रम संचालक के सामने अपना हित सर्वोपरि होता है। उसकी सहानुभूति बनावटी होती है।

    Question 21
    CBSEENHN12026150

    यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो, तो किन शब्दों में करवाएँगे?

    Solution

    यह मेरा मित्र सचिन है। यद्यपि प्रकृति ने इसे देखने की शक्ति से वंचित रखा है, पर यह अपने मन की आँखों से सब कुछ देख लेता है, यहाँ तक कि उसको भी देख लेता है जो हम नहीं देख पाते। मेरा मित्र ईश्वर भक्त है। यह ईश्वर को अपनी अपंगता के लिए कभी नहीं कोसता। यह पढ़ाई-लिखाई में बहुत तेज है। एक बार सुनी बातें यह लंबे समय तक याद रखता है। मेरा मित्र कक्षा का मेधावी छात्र है। इसकी रुचि संगीत में भी है। यह अपने काम स्वयं कर लेता है। एक प्रकार से यह आत्मनिर्भर है। यह एक सच्चा मित्र है। मुझे अपने मित्र सचिन पर गर्व है।

    Question 22
    CBSEENHN12026151

    सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगा? अपने विचार संक्षेप में लिखें।

    Solution

    इस कार्यक्रम को सामाजिक उद्देश्य से युक्त बताया गया है जबकि यह बिल्कुल असत्य है। इस कार्यक्रम से किसी सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती। इस कार्यक्रम को देखकर प्रश्नकर्त्ता/संचालक की बुद्धि पर तरस आता है। इस कार्यक्रम में सर्वत्र हृदयहीनता झलकती है। यह पूरी तरह से संवेदनहीन है। इस कार्यक्रम का प्रभाव उल्टा पड़ता है।

    Question 23
    CBSEENHN12026152

    यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टी. वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।

    Solution

    सेवा में,

    निदेशक,

    दूरदर्शन कार्यक्रम

    नई दिल्ली।

    विषय: 2० जनवरी, 2008 को डी.डी.-I पर प्रसारित साक्षात्कार कार्यक्रम पर प्रतिक्रिया

    महोदय,

    आपके उपर्युक्त चैनल पर इस तिथि को अपंग व्यक्ति से संबधित साक्षात्कार प्रसारित किया गया। इस कार्यक्रम को मैंने भी बड़े ध्यानपूर्वक देखा। इस कार्यक्रम पर दर्शकों की प्रतिक्रियाएँ आमंत्रित की गई हैं। मेरी प्रतिक्रिया इस प्रकार है-

    यह साक्षात्कार कार्यक्रम बनावटीपन का शिकार होकर रह गया। इसमें मानवीय संवेदना का पहलू पूरी तरह नदारद था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि साक्षात्कारकर्त्ता महोदय कार्यक्रम को पूरी तरह से अपनी मनमर्जी से चला रहे हैं। उन्हें अपंग व्यक्तियों की मनोदशा का ज्ञान कतई नहीं है। वे तो उसे अपनी व्यथा-कथा बताने का मौका तक नहीं दे रहे थे।

    आशा है भविष्य में संवेदनशील कार्यक्रम बनाए जाएँगे।

    भवदीय

    पूजा दलाल

    निशात पार्क, नई दिल्ली

    दिनांक............

    Question 24
    CBSEENHN12026153

    नीचे दिए गए खबर के अंश को पढ़िए और बिहार के इस बुधिया से एक काल्पनिक साक्षात्कार कीजिए-

    उम्र पाँच साल, संपूर्ण रूप से विकलाग और दौड़ गया पाँच किलोमीटर। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन यह कारनामा कर दिखाया है पवन ने। बिहारी बुधिया के नाम से प्रसिद्ध पवन जन्म से ही विकलाग है। इसके दोनों हाथ का पुलवा नहीं है, जबकि पैर में सिर्फ एड़ी ही है।

    पवन ने रविवार को पटना के कारगिल चौक से सुबह 8.40 पर दौड़ना शुरू किया। डाकबंगला रोड, तारामंडल और आर ब्लाक होते हुए पवन का सफर एक घटे बाद शहीद स्मारक पर जाकर खत्म हुआ। पवन द्वारा तय की गई इस दूरी के दौरान ‘उम्मीद स्कूल’ के तकरीबन तीन सौ बच्च साथ दौड़ कर उसका हौसला बड़ा रहे थे। सड़क किनारे खड़े दर्शक यह देखकर हतप्रभ थे कि किस तरह एक विकलांग बच्चा जोश एवं उत्साह के साथ दौड़ता चला आ रहा है। जहानाबाद जिले का रहने वाला पवन नव रसना एकेडमी, बेउर में कक्षा एक का छात्र है। असल में पवन का सपना उड़ीसा के बुधिया जैसा करतब दिखाने का है। कुछ माह पूर्व बुधिया 65 किलोमीटर दौड़ चुका है। लेकिन बुधिया पूरी तरह से स्वस्थ है जबकि पवन पूरी तरह से विकलांग। पवन का सपना कश्मीर से कन्या कुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है।

    (9 अक्टूबर, 2006 हिंदुस्तान से साभार)

    Solution

    साक्षात्कार

    स्नेहलता

    (प्रश्नकर्त्ता)

    :

    बुधिया, तुम कबसे विकलांग हो?

    बुधिया

    :

    जब मैं पाँच वर्ष का था तभी से मै विकलांग हूँ।

    स्नेहलता

    :

    क्या तुम्हें दौड़ने में कष्ट नहीं होता?

    बुधिया

    :

    होता तो है, पर अब मुझे इसकी आदत-सी हो गई है।

    स्नेहलता

    :

    तुम अब तक सबसे ललंबीदौड़ कितने किलोमीटर की दौड़ चुके हो?

    बुधिया

    :

    मैं अब तक सबसे लंबी दौड़ पाँच किलोमीटर की लगा चुका हूँ।

    स्नेहलता

    :

    क्या तुमने पी.टी. उषा का नाम सुना है?

    बुधिया

    :

    हाँ सुना है। मैंने उसी से प्रेरणा ली है।

    स्नेहलता

    :

    वह कितनी लंबी दौड़ लगा चुका है?

    बुधिया

    :

    वह 65 किलोमीटर दौड़ चुका है।

    स्नेहलता

    :

    बुधिया, तुम्हारा सपना क्या है?

    बुधिया

    :

    मेरा सपना कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है।

    स्नेहलता

    :

    बुधिया, हमारी शुभकामना तुम्हारे साथ है।

    Question 25
    CBSEENHN12026154

    “दर्शक

    धीरज रखिए

    देखिए

    हमें दोनों एक संग रुलाने हैं।”

    A. इन पक्तियों में किनकी क्या मानसिकता उजागर हुई है? (i) इन पंक्तियों में दूरदर्शन पर कार्यक्रम प्रसारित करने वालों की मानसिकता के यथार्थ को उजागर किया गया है। वे जानबूझकर ऐसी स्थिति निर्मित करते हैं कि दर्शकों में करुणा का भाव जागृत हो।
    B. कार्यक्रम की सफलता किसे माना जाता है? (ii) जब प्रस्तुत व्यक्ति और दर्शक रो जाएँ तो समझा जाता है कि कार्यक्रम सफल हो गया। इस रोने में संवेदन शून्यता होती है। यह एक बलात् किया गया प्रयास प्रतीत होता है। ऐसा लगता है कि प्रस्तुतकर्त्ता जब कहेगा तब दोनों (व्यक्ति और दर्शक) रो पड़ेंगे। मानो वे कठपुतली मात्र हों।
    C. इस काव्याशं की भाषागत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। (iii) लक्षणा एवं व्यंजना शब्द शक्ति का चमत्कार है। कम शब्दों में अधिक बात कहने का प्रयास किया गया है। भाषा सहज एवं सुबोध है।

    Solution

    A.

    इन पक्तियों में किनकी क्या मानसिकता उजागर हुई है?

    (i)

    इन पंक्तियों में दूरदर्शन पर कार्यक्रम प्रसारित करने वालों की मानसिकता के यथार्थ को उजागर किया गया है। वे जानबूझकर ऐसी स्थिति निर्मित करते हैं कि दर्शकों में करुणा का भाव जागृत हो।

    B.

    कार्यक्रम की सफलता किसे माना जाता है?

    (ii)

    जब प्रस्तुत व्यक्ति और दर्शक रो जाएँ तो समझा जाता है कि कार्यक्रम सफल हो गया। इस रोने में संवेदन शून्यता होती है। यह एक बलात् किया गया प्रयास प्रतीत होता है। ऐसा लगता है कि प्रस्तुतकर्त्ता जब कहेगा तब दोनों (व्यक्ति और दर्शक) रो पड़ेंगे। मानो वे कठपुतली मात्र हों।

    C.

    इस काव्याशं की भाषागत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

    (iii)

    लक्षणा एवं व्यंजना शब्द शक्ति का चमत्कार है।

    कम शब्दों में अधिक बात कहने का प्रयास किया गया है।

    भाषा सहज एवं सुबोध है।

    Question 28
    CBSEENHN12026157

    ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में ‘हम समर्थ शक्तिमान/हम एक दुर्बल को लाएँगे, पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या कहना चाहा है?

    Solution

    दूरदर्शन / टी.वी के माध्यम से दुर्बल या अपाहिज की वेदना को दर्शक तक पहुँचाने का दावा करने वाले स्वयं उनके प्रति असंवेदनशील होते हैं। प्रोड्यूसर स्वयं समर्थ और शक्तिशाली हैं वे दुर्बल को बंद कमरे में टी. वी. कमरों के सामने लाकर उनसे हृदयहीन व्यवहार करते हैं।

    इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने यह व्यंग्य किया है कि हम टेलीविजन (मीडिया) के लोग तो बहुत ताकतवर हैं। हम जो चाहें, जैसे चाहें कार्यक्रम को दर्शकों को दिखा सकते हैं। कार्यक्रम का निर्माण एवं प्रस्तुति उनकी मर्जी से ही होती है जिसके ऊपर कार्यक्रम केंद्रित होता है वह एक दुर्बल व्यक्ति है। वह दुर्बल इस मायने में है कि वह अपनी मर्जी से न तो कुछ बोल सकता है न कुछ कर सकता है। उसे वही कुछ करना पड़ता है जो कार्यक्रम का संचालक / निर्देशक बताता है। वह विवश है।

    Question 29
    CBSEENHN12026158

    ‘हम समर्थ शक्तिमान और हम एक दुर्बल की लाएँगे’ पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?

    Solution

    इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने यह व्यंग्य किया है कि टेलीविजन (मीडिया) के लोग बहुत ताकतवर है। वे सोचते हैं कि हम जो चाहें जैसे चाहें कार्यक्रम को दर्शकों को दिखा सकते हैं। कार्यक्रम का निर्माण एवं प्रस्तुति उनकी मर्जी से ही होती है। वे करुणा को भी बेच सकते हैं।

    Question 30
    CBSEENHN12026159

    ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के व्यंग्य पर टिप्पणी कीजिए।

    Solution

    इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने यह व्यंग्य किया है कि हम टेलीविजन (मीडिया) के लोग तो बहुत ताकतवर हैं। हम जो चाहें, जैसे चाहें कार्यक्रम को दर्शकों को दिखा सकते हैं। कार्यक्रम का निर्माण एवं प्रस्तुति उनकी मर्जी से ही होती है। वे करुणा को बेच भी सकते हैं।

    जिसके ऊपर कार्यक्रम केंद्रित होता है वह एक दुर्बल व्यक्ति है। वह दुर्बल इस मायने में है कि वह अपनी मर्जी से न तो कुछ बोल सकता है न कुछ कर सकता है। उसे वही कुछ करना पड़ता है जो कार्यक्रम का संचालकसंचालक/निर्देशक है। वह विवश है। उसके साथ संवेदनहीन व्यवहार किया जाता है।

    ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में मीडिया की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया गया है। टेलीविजन पर मीडिया सामाजिक कार्यक्रम के नाम पर लोगों के दुख-दर्द बेचने का काम करता है। उन्हें अपाहिज के दुख-दर्द और मान-सम्मान की कोई परवाह नहीं होती। उन्हें तो बस अपना कार्यक्रम रोचक बनाना होता है। वे अपाहिज और दर्शक के आँसू निकलावकर पैसा बटोरते हैं।

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