Aroh Bhag Ii Chapter 10 उमाशंकर जोशी
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    NCERT Solution For Class 12 Hindi Aroh Bhag Ii

    उमाशंकर जोशी Here is the CBSE Hindi Chapter 10 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 Hindi उमाशंकर जोशी Chapter 10 NCERT Solutions for Class 12 Hindi उमाशंकर जोशी Chapter 10 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN12026456

    उमाशंकर जोशी का साहित्यिक परिचय दीजिए।

    Solution

    उमाशंकर जोशी का जन्म सन् 1911 ई. में गुजरात में हुआ और उनकी मृत्यु 1988 ई. में हुई। बीसवीं सदी की गुजराती कविता और साहित्य को नई भंगिमा और नया स्वर देने वाले उमाशंकर जोशी का साहित्यिक अवदान पूरे भार तीय साहित्य के लिए भी महत्वपूर्ण था। उनको परंपरा का गहरा ज्ञान था। कालिदास के ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ और भवभूति के ‘उत्तररामचरितम्’ का उन्होंने गुजराती में अनुवाद किया। ऐसे अनुवाद गुजराती साहित्य की अभिव्यक्ति क्षमता को बढ़ाने वाले थे। बतौर कवि उमाशंकर जी ने गुजराती कविता को प्रकृति से जोड़ा आम जिंदगी के अनुभव से परिचित कराया और नई शैलियाँ दीं। जीवन के सामान्य प्रसंगों पर सामान्य बोलचाल की भाषा में कविता लिखने वाले भारतीय आधुनिकतावादियो में अन्यतम हैं जोशी जी। कविता के साथ-साथ साहित्य की दूसरी विधाओं में भी उनका योगदान बहुमूल्य है खासकर साहित्य की आलोचना में। निबंधकार के रूप में गुजराती साहित्य में बेजोड़ माने जाते हैं। उमाशंकर जोशी उन साहित्यिक व्यक्तित्व में थे जिनका भारत की आजादी की लड़ाई से रिश्ता रहा। आजादी की लड़ाई के दौरान वे जेल भी गए।

    प्रमुख रचनाएँ: विश्व शांति गंगोत्री निशीथ, प्राचीना आतिथ्य, वसंत वर्षा महाप्रस्थान अभिज्ञा (एकांकी), सापनाभारा शहीद (कहानी), श्रावणी मेणो, विसामो (उपन्यास); पारकांजण्या (निबंध); गोष्ठी, उघाडीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण (संपादन) सन् 47 से संस्कृति का संपादन।

    संकलित कविताएँ-

    1. छोटा मेरा खेत।

    2. बगुलों के पंख।

    Question 2
    CBSEENHN12026457

    काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या: छोटा मेरा खेत

    छोटा मेरा खेत चौकोना

    कागज का एक पन्ना,

    कोई अँधड कहीं से आया

    क्षण का बीज वहाँ बोया गया।

    कल्पना के रसायनों को पी

    बीज गल गया निःशेष;

    शब्द के अंकुर फूटे,

    पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

    झूमने लगे फल,

    रस अलौकिक,

    अमृत धाराएँ फूटतीं

    रोपाई क्षण की,

    कटाई अनंतता की

    लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती।

    रस का अक्षय पात्र सदा का

    छोटा मेरा खेत चौकोना।

    Solution

    प्रसगं: प्रस्तुत पक्तियाँ उमाशंकर जोशी द्वारा रचित कविता ‘छोटा मेरा खेल’ से अवतरित हैं। इस छोटी-सी कविता में कवि-कर्म के हर चरण को बाँधने की कोशिश की गई है।

    व्याख्या: कवि समाज के जिस पन्ने (पृष्ठ) पर अपनी रचना शब्दबद्ध करता है वह उसे अपना छोटा चौकोर खेत के समान लगता है। खेत में जब कही से कोई अँधड़ आया तो वहाँ बीज बोकर चला गया। अँधड़ अपने साथ बीज उड़ाकर लाया था उसे खेत में बोकर चला गया। इसी प्रकार जब हृदय में भावों का अँधड़ आता है अर्थात् भावनात्मक आँधी चलती है तब हृदय में विचारों का बीज डल जाता है और वही आगे चलकर अंकुरित हो जाता है। विचारों का यह बीज कल्पना के रसायन पीकर अर्थात् कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है। बीज तो गलकर नि:शेष हो जाता है, पर उसमें से अंकुर फूट निकलते हैं और छोटा पौधा नए कोमल पत्तों एवं फूलों से लदकर झुक जाता है। रचना-प्रक्रिया में भी इसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। हृदय में जो विचार बीज रूप में आता है वही कल्पना का आश्रय लेकर विकसित होकर रचना का रूप ले लेता है। यह बीज रचना और अभिव्यक्ति का माध्यम बन जाता है। इस रचना में शब्दों के अंकुर फूट निकलते हैं। अंतत: कृति (रचना) एक संपूर्ण स्वरूप धारण कर लेती है। इस प्रक्रिया मे कवि स्वयं विगलित हो जाता है।

    फिर पौधा झूमने लगता है, उस पर फल लग जाते हैं। उनमें रस समा जाता है और रस की अमृत धाराएँ फूट निकलती हैं। इसी प्रकार साहित्यिक रचना से भी अलौकिक रस- धारा फूटने लगती है। यह उस क्षण में होने वाली रोपाई का ही परिणाम है। साहित्यिक रचना से भी अमृत धाराएँ निकलने लगती हैं। यह रस- धारा अनंत काल तक फसल की कटाई होने पर भी कम नहीं होती अर्थात् उत्तम साहित्य कालजयी होता है और असंख्य पाठकों द्वारा बार-बार पढ़ा जाता है। फिर भी उसकी लोकप्रियता कम नहीं होती। खेत में पैदा होने वाला अन्न तो कुछ समय के बाद समाप्त हो जाता है, किंतु साहित्य का रस कभी नहीं चुकता। वह सदा बना रहता है।

    विशेष: 1. कविता में प्रतीकात्मकता का समावेश है। कवि ने खेत और उसकी उपज के माध्यम से अपने कवि-कर्म की बात कही है।

    2. पूरी कविता रूपक अलंकार का श्रेष्ठ उदाहरण है क्योंकि खेती के रूपक में कवि-कर्म को बाँधा गया है।

    3. ‘पल्लव-पुष्पों’ में अनुप्रास अलंकार है।

    4. थोड़े शब्दों में बहुत बड़ी बात समझाई गई है।

    5. खड़ी बोली का प्रयोग है।

    6. भाषा सरल एवं सुबोध है।

    Question 3
    CBSEENHN12026458

    कवि ने कागज की तुलना किससे की है और क्यों?

    Solution

    कवि ने कागज की तुलना अपने छोटे चौकोने खेत से की है। कागज भी चौकोर होता है। वह खेत के समान ही लगता है।

    Question 4
    CBSEENHN12026460

    कवि के अनुसार बीज की रोपाई का क्या परिणाम होता है?

    Solution

    कवि के अनुसार बीज की रोपाई करने के बाद वह अंकुरित होता है। इसके बाद वह पुष्पित-पल्लवित होता है।

    Question 5
    CBSEENHN12026461

    अंधड किसका प्रतीक है? वह क्या कर जाता है?

    Solution

    अंधड भावों की आँधी का प्रतीक है। जिस प्रकार अंधड बीज को उड़ाकर ले आता है और जमीन में बो जाता है। इसी प्रकार भावो का अंधड मन में विचार उत्पन्न कर जाता है।

    Question 6
    CBSEENHN12026462

    पौधों के फलों का काव्य-सृजन से क्या संबंध स्थापित किया गया है?

    Solution

    पौधे के फलों का सृजन से गहरा संबंध है। जिस प्रकार पौधे पर फल लगते हैं और उनमें रस भर जाता है, इसी प्रकार भावों से काव्य रचना जन्म लेती है और उसमें से अलौकिक रस की धारा फूट निकलती है। यह रसधारा अनंत काल तक बनी रहती है अर्थात् रचना कालजयी हो जाती है।

    Question 7
    CBSEENHN12026463

    बगुलों के पंख

    नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख,

    चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।

    कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,

    तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।

    हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।

    उसे कोई तनिक रोक रक्खो।

    वह तो चुराए लिए जातीं मेरी आँखें

    नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।



    Solution

    प्रसंग: प्रस्तुत कविता ‘बगुलों के पंख’ उमाशंकर जोशी द्वारा रचित है। यह कविता एक सुदंर दृश्य की कविता है। सौदंर्य के प्रभाव को उत्पन्न करने के लिए कवि कई युक्तियाँ अपनाता है। वह सौदंर्य का चित्रात्मक वर्णन तो करता ही है, साथ ही मन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का वर्णन भी करता है।

    व्याख्या: कवि काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुलों को देखता है। कवि की आँखें उन्हीं पर टिकी हैं। ये बगुले कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की सफेद काया के समान प्रतीत होते हैं। यह दृश्य इतना नयनाभिराम है कि धीरे-धीरे कवि इसकी माया में उलझकर रह जाता है। सौंदर्य का यह प्रभाव धीरे-धीरे कवि को अपने आकर्षण जाल में बाँध लेता है। कवि सब कुछ भूलकर उसी में अटका-सा रह जाता है। कवि कहता है कि इस सौंदर्य के प्रभाव को रोको अर्थात् कवि इस माया से अपने को बचाने की गुहार लगाता है। वह तो कवि की आँखों को ही चुराए लिए जाता है। आकाश में पंक्तिबद्ध जाते बगुलों के पंखों में कवि की आँखें अटक कर रह जाती हैं। वैसे यह सौंदर्य से स्वयं को बाँधने और बिंधने की चरम स्थिति का द्योतक है।

    विशेष: 1. सौंदर्य के ब्यौरों का चित्रात्मक वर्णन है।

    2. सौंदर्य के मन पर पड़ने वाले प्रभाव का भी चित्रण है।

    3. वस्तुगत और आत्मगत संयोग की यह युक्ति पाठक को मूल-सौंदर्य के निकट ले जाती प्रतीत होती है।

    4. बिंब योजना प्रभावी बन पड़ी है।

    5. ‘हौल-हौले’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

    6. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग है।

    Question 8
    CBSEENHN12026464

    कवि ने आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुलों की तुलना किससे की है?

    Solution

    कवि ने आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुलों की तुलना कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की श्वेत काया से की है

    Question 9
    CBSEENHN12026466

    ‘वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें’-काव्य-पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि की आँखें कौन और किस प्रकार चुराए लिए जा रहा है?

    Solution

    कवि की आँखें काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुले चुराए लिए जा रहे हैं। ऐसा सुंदर दृश्य नयनाभिराम होता है और कवि सब कुछ भूलकर उसी मैप अटका रह जाता है।

    Question 10
    CBSEENHN12026467

    ‘उसे कोई तनिक रोक रक्खो’-काव्य-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    कवि को आकाश में पंक्ति बद्ध उड़ते सफेद बगुले अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। वह चाहता है कि काले बादलों युक्त आकाश में ऐसा मनोहारी दृश्य उसकी खी के सामने काफी समय तक रहे। उसे यह समय बहुत ही कम प्रतीत होता है।

    Question 11
    CBSEENHN12026468

    छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?

    Solution

    छोटे चौकोना खेत को कागज का पन्ना कहने में यह अर्थ निहित है - दोनों में आकार की समानता के साथ बुवाई, अंकुरण, विकसित दशा में भी समानता है। जिस प्रकार खेत में बीजारोपण होता, फिर अंकुरण होता है, पौधा विकसित होता, उस पर पल्लव फूल लगते हैं, उसी प्रकार कवि कागज पर रचना को शब्दों में उतारता है। कवि के मन में विचार का बीजारोपण होता है फिर कल्पना के सहारे वह एक रूप ग्रहण करता है और विकसित होकर पूरी रचना का रूप ले लेता है।

    Question 12
    CBSEENHN12026470

    रचना के संदर्भ में अँधड़ और बीज क्या है?

    Solution

    रचना के संदर्भ में ‘अँधड़’ विचारों की आँधी है और ’बीज’ विचार है।

    रचना करते समय मन में विचारात्मक आँधी आती है। रचनाकार के मन में कोई विचार बीज के रूप में जम जाता है। वही विचार कल्पना के सहारे अंकुरित होकर रचना का रूप ले लेता है।

    Question 13
    CBSEENHN12026471

    रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?

    Solution

    रस का अक्षय पात्र-एक ऐसा पात्र जिसका रस कभी समाप्त न होता हो।

    इस कथन के माध्यम से कवि ने रचनाकर्म की इन विशेषताओं की ओर इंगित किया है-

    - साहित्यिक रचना का रस अलौकिक होता है।

    - साहित्य का रस कभी चुकता नहीं अर्थात् समाप्त नहीं होता।

    - साहित्य की रस-धारा असंख्य पाठकों को रसानुभूति कराती रहती है और कम न होकर बढ़ती है।

    - उत्तम साहित्य कालजयी होता है।

    Question 14
    CBSEENHN12026473

    शब्द के अंकुर फूटे

    पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

    Solution

    साहित्यिक रचना में शब्द अंकुर की तरह फूटते हैं। जिस प्रकार धरती में दबा बीज अंकुर बनकर फूटता है और धरती से बाहर निकल आता है, उसी प्रकार हृदय के विचार कल्पना का आश्रय लेकर कागज पर उतरते हैं और रचना का स्वरूप ग्रहण कर लेते हैं। अंकुरित हुआ पौधा पल्लव (नए पत्तों) तथा फूलों को पाकर झुक जाता है और विशेष रूप धारण कर लेता है। इसी प्रकार कोई भी अच्छी साहित्यिक रचना संपूर्ण आकार ग्रहण कर लेती है।

    Question 15
    CBSEENHN12026474

    रोपाई क्षण की

    कटाई अनंतता की

    लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।

    Solution

    किसी क्षण विशेष में बीज की रोपाई होने का ही यह परिणाम है कि फसल कटाई की स्थिति तक जा पहुँचती है। इसी प्रकार विचार या भाव का मन में उत्पन्न होना ही उसे रसानुभूति की स्थिति तक ले जाता है। यह रस धारा अनंत काल तक चलने वाली कटाई से भी कम नहीं होती अर्थात् साहित्यिक रचना कालजयी होती है। उसे असंख्य पाठकों द्वारा बार-बार पड़े जाने पर उसका महत्त्व कम नहीं होता। वह लुटते रहने पर भी कम नहीं होती अर्थात् साहित्य का रस कभी चुकता नहीं।

    Question 16
    CBSEENHN12026475

    शब्दों के माध्यम से जब कवि दृश्यों, चित्रों, ध्वनि-योजना अथवा रूप-रस-गंध को हमारी ऐंद्रिक अनुभवों में साकार कर देता है तो बिंब का निर्माण होता है। इस आधार पर प्रस्तुत कविता से बिंब की खोज करें।

    Solution

    बिंब

    नम में पाँति बाँधे बगुलों के पंख

    चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें

    कजरारे बादलों की छाई नभ छाया

    तैरती ससाँझकी सतेज श्वेत काया।

    (नम में उड़ती बगुलों की पंक्ति का बिंब)

    Question 17
    CBSEENHN12026476

    जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, रूपक कहलाता है। कविता में से रूपक का चुनाव करें।

    Solution

    कविता में रूपक

    - छोटा मेरा खेत चौकोना कागज का एक पन्ना। (कागज रूपी खेत)

    - शब्द के अंकुर फूटे (शब्द रूपी अअंकुर)

    - कल्पना के रसायनों को पी (कल्पना रूपी रसायन)

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    Question 18
    CBSEENHN12026478

    ‘बगुलों के पंख’ कविता को पढ़ने पर आपके मन में कैसे चित्र उभरते हैं? उनकी किसी भी अन्य कला माध्यम में अभिव्यक्ति करें।

    Solution

    ’बगुलों के पंख’ कविता को पढ़ने पर हमारे मन में आसमान में छाए काले-काले (कजरारे) बादलों का चित्र उभरता है।

    संध्याकालीन दृश्य का चित्र भी उभरता है।

    काले बादलों के बीच तैरते सफेद-सफेद बादल खंड बगुलों के समान प्रतीत होते हैं।

    Question 19
    CBSEENHN12026479

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
    कल्पना के रसायनों को पी
    बीज गल गया निःशेष;
    शब्द के अंकुर फूटे
    पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

    1. उपर्युक्त पंक्तियों में प्रयुक्त रूपक स्पष्ट कीजिए?
    2. भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
    3. शिल्प-सौदंर्य पर प्रकाश डालिए।


    Solution

    1. उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में रूपक के माध्यम से दो-दो अर्थ साथ-साथ चलते हैं। एक बीज के अंकुरण एवं पल्लवित-पुष्पित होने का अर्थ तथा दूसरा विचारों का रचना-रूप ग्रहण करना और अभिव्यक्ति का माध्यम बनना।
    2. हृदय का विचार कल्पना का आश्रय लेकर शब्द के रूप में प्रस्फुटित होता है और विकसित होकर सुंदर रचना का रूप धारण कर लेता है। इस प्रक्रिया में कवि स्वयं विगलित हो जाता है।
    3. शिल्प-सौंदर्य:
    - रूपक अलंकार का प्रयोग है।
    - ‘पल्लव पुष्पों’ में अनुप्रास अलंकार है।
    - प्रतीकात्मकता का समावेश है।
    - तत्सम शब्दावली का प्रयोग है।

    Question 20
    CBSEENHN12026481

    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
    कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
    तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।

    1. प्रकृति-सौदर्य स्पष्ट कीजिए।
    2. शिल्प-सौदंर्य स्पष्ट करें।


    Solution

    1. आकाश में तैरते सफेद बगुलों की पंक्ति कवि को कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की श्वेत काया के समान प्रतीत होती है। यह श्वेत छाया सफेद बगुलों की पंक्ति से निर्मित हुई है।
    2. शिल्प-सौंदर्य:
    - आकाश में तैरते बगुलों का बिंब साकार हो उठा है।
    - ‘सतेज श्वेत’ में अनुप्रास अलंकार है।
    - सरल भाषा का प्रयोग है।

    Question 21
    CBSEENHN12026482

    ‘छोटा मेरा खेत’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    ‘छोटा मेरा खेत’ कविता के माध्यम से कवि ने कवि-कर्म (रचना-प्रक्रिया) को बाँधने की कोशिश की है। जिस प्रकार खेत में बीजारोपण होता है फिर वह अंकुरित होकर पौधे का रूप धारण कर लेता है और विकसित होकर पल्लवित-पुष्पित होता है, उसी प्रकार कवि के मन में विचार रूपी बीज पड़ता है और वह कल्पना का आश्रय लेकर फलता-फूलता है और कागज पर शब्द के रूप में रचना का आकार ग्रहण कर लेता है। तब इस साहित्यिक कृति से रस का अक्षय स्रोत फूटता है जो कभी समाप्त नहीं होता। उत्तम साहित्य कालजयी होता है। असंख्य बार पड़े जाने पर भी उसका महत्त्व कम नहीं होता, अपितु बढ़ता ही है।

    Question 22
    CBSEENHN12026483

    ‘बगुलों के पंख’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

    Solution

    ‘बगुलों के पंख’ कविता एक सुंदर दृश्य कविता है। इसमें कवि आकाश में उड़ते बगुलों की पंक्ति को देखकर तरह-तरह की कल्पनाएँ करता है। ये बगुले कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की सफेद काया के समान लगते हैं। यह दृश्य अत्यंत नयनाभिराम प्रतीत होता है। कवि को यह दृश्य इतना भाता है कि वह सब कुछ भूलकर इसी के सौंदर्य में अटक कर रह जाता है। वैसे वह इसकी माया से बचाने की गुहार तो लगाता है, पर वह इस सौंदर्य से बँधकर रहना चाहता है। वस्तुगत और आत्मगत के संयोग की युक्ति पाठक को मूल सौंदर्य के काफी निकट ले जाती है।

    Question 23
    CBSEENHN12026484

    शब्द रूपी अंकुर फूटने से कवि का क्या आशय है?

    Solution

    जिस प्रकार खेत में बीज से अंकुर फूटते हैं, उसी प्रकार विचार रूपी बीज से कुछ समय बाद शब्द के अंकुर फूट पड़ते हैं। इससे कविता की रचना प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यह कविता की पहली सीढ़ी है। इसके बाद संपूर्ण कविता रची जाती है।

    Question 24
    CBSEENHN12026485

    ‘पाँती बँधी’ से कवि का क्या तात्पर्य है?

    Solution

    ‘पाँती बँधी’ से कवि का तात्पर्य है-एकता। ऊँचे आकाश में बगुले एक पंक्ति में चलते हैं। वे एक आकर्षक दृश्य उपस्थित करते हैं। इसी प्रकार मनुष्य भी यदि एक साथ चलें तो उनका रूप अद्भुत होगा। उनका विकास होगा। कवि मनुष्य से एकता बनाए रखने को कहता है।

    Question 25
    CBSEENHN12026486

    रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?

    Solution

    रस का अक्षयपात्र-एक ऐसा पात्र जिसका रस कभी समाप्त न होता हो। कभी नष्ट न होने वाला। रस का अक्षयपात्र कभी खाली नहीं होता। रस जितना बाँटा जाता है, उतना ही भरता है। कविता का रस चिरकाल तक आनंद देता है। यह रचनाकार्य की शाश्वतता को दर्शाता है।

    इस कथन के माध्यम से कवि ने रचनाकर्म की इन विशेषताओं की ओर इंगित किया है-

    - साहित्यिक रचना का रस अलौकिक होता है।

    - साहित्य का रस कभी चुकता नहीं अर्थात् समाप्त नहीं होता।

    - साहित्य की रस- धारा असंख्य पाठकों को रसानुभूति कराती रहती है और कम न होकर बढ़ती है।

    - उत्तम साहित्य कालजयी होता है।

    Question 26
    CBSEENHN12026488

    शब्द किस प्रकार कविता का आकार लेते हैं?

    Solution

    साहित्यिक रचना में शब्द अंकुर की तरह फूटते हैं। जिस प्रकार धरती में दबा बीज अंकुर बनकर फूटता है और धरती से बाहर निकल आता है, उसी प्रकार हृदय के विचार कल्पना का आश्रय लेकर कागज पर उतरते हैं और रचना का स्वरूप ग्रहण कर लेते हैं। अंकुरित हुआ पौधा पल्लव (नए पत्तों) तथा फूलों को पाकर झुक जाता है और विशेष रूप धारण कर लेता है। इसी प्रकार कोई भी अच्छी साहित्यिक रचना संपूर्ण आकार ग्रहण कर लेती है।

    Question 27
    CBSEENHN12026489

    फसल और रचना का आपस में क्या संबंध दर्शाया गया है?

    Solution

    किसी क्षण विशेष में बीज की रोपाई होने का ही यह परिणाम है कि फसल कटाई की स्थिति तक जा पहुँचती है। इसी प्रकार विचार या भाव का मन में उत्पन्न होना ही उसे रसानुभूति की स्थिति तक ले जाता है। यह रस धारा अनंत काल तक चलने वाली कटाई से भी कम नहीं होती अर्थात् साहित्यिक रचना कालजयी होती है। उसे असंख्य पाठकों द्वारा बार-बार पड़े जाने पर उसका महत्त्व कम नहीं होता। वह लुटते रहने पर भी कम नहीं होती अर्थात् साहित्य का रस कभी चुकता नहीं।

    Question 28
    CBSEENHN12026490

    ‘छोटा मेरा खेत’ कविता में छोटे चौकोने खेत को ‘कागज का पन्ना’ क्यों कहा गया है?

    Solution

    कवि छोटे चौकोने खेत को कागज का पन्ना कहता है। कवि यह बताना चाहता है कि कवि कर्म भी खेती की तरह होता है। कविता सृजन भी खेती की तरह श्रमसाध्य कार्य है। छोटे चौकोना खेत को कागज का पन्ना कहने में यह अर्थ निहित है-दोनों में आकार की समानता के साथ बुवाई, अंकुरण, विकसित दशा में भी समानता है। जिस प्रकार खेत में बीजारोपण होता है, फिर अंकुरण होता है, पौधा विकसित होता है, उस पर पल्लव फूल लगते हैं, उसी प्रकार कवि कागज पर रचना को शब्द में उतारता है। कवि के मन में विचार का बीजारोपण होता है फिर कल्पना के सहारे वह एक रूप ग्रहण करता है और विकसित होकर पूरी रचना का रूप ले लेता है।

    Question 29
    CBSEENHN12026491

    ‘छोटा मेरा खेत’ कविता का रूपक स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    कविता में रूपक:

    - छोटा मेरा खेत चौकोना कागज का एक पन्ना। (कागज रूपी खेत)

    - शब्द के अंकुर फूटे (शब्द रूपी अंकुर)

    - कल्पना के रसायनों को पी (कल्पना रूपी रसायन)

    पूरी कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है। इसमें खेती के रूपक में कवि-कर्म को बाँधा गया है। कवि पन्ने को खेत बताता है और विचारों को बीज। जिस प्रकार खेत से अन्न उगता है वैसे ही कवि के हृदय से शब्द, विचार फूट कर कविता बनकर कागज पर उतरते हैं।

    Question 30
    CBSEENHN12026492

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
    नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख,
    चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।
    कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
    तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।
    हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।
    उसे कोई तनिक रोक रक्खो।
    वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें।
    नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।

    1. कवि किसे रोके रखने को कह रहा है और क्यों?
    2. आकाश कैसा है? उसमें उड़ते बगुले किसके समान प्रतीत हो रहे हैं?
    3. मनोरम दृश्य कवि को किसकी तरह बाँध रहा है? इस कल्पना का भाव स्पष्ट कीजिए।


    Solution

    1. कवि कजरारे बादलों की छाया में उड़ते सफेद बगुलों के सौंदर्य के प्रभाव को रोके रखने को कह रहा है। वह उसे निरंतर देखते रहना चाहता है। यह दृश्य उसे नयनाभिराम प्रतीत होता है।
    2. आकाश में कजरारे काले बादल छाए हुए हैं। उसमें उड़ते बगुले बादलों के ऊपर तैरती साँझ की काया के समान प्रतीत होते हैं।
    3. कवि की आँखें कजरारे बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुले चुराए लिए जा रहे हैं। यह दृश्य इतना नयनाभिराम होता है कि कवि उसी में अटक कर रह जाता है।

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