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विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल इसलिए होती है क्योंकि ये वस्तुएँ हमें अपने पूर्वजों की, अपने इतिहास की याद दिलाती हैं। इनसे हमारा भावनात्मक संबंध होता है। इसलिए इन्हें अमूल्य माना जाता है। ये तात्कालिक परिस्थितियों की जानकारी के साथ दिशानिर्देश भी देती हैं। इसलिए इन्हें सँभाल कर रखा जाता है ताकि हमारे बच्चों के भविष्य-निर्माण का आधार मजबूत बन सके।
इस कविता में तोप के विषय में जानकारी मिलती है कि यह अंग्रेज़ों के समय की तोप है। 1857 में इसका प्रयोग शक्तिशाली हथियार के रुप में किया गया था। इसने अनगिनत शूरवीरों, स्वतंत्रता सेनानियों के धज्जे उड़ा दिए थे। आखिरकार अब इस तोप को मुँह बन्द करना पड़ा। अब इससे कोई नहीं डरता। अब यह केवल खिलौना मात्र है। अब यह केवल दर्शनीय वस्तु है।चिड़िया इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेलते हैं। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक चिह्न दो बड़े त्योहार 15 अगस्त और 26 जनवरी गणतंत्र दिवस है। इन दोनों अवसरों पर तोप को चमकाकर कंपनी बाग को सजाया जाता है। इससे शहीद वीरों की याद दिलाई जाती है ताकि लोगों के मन में राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा मिले। यह तोप हमारी विजय और आज़ादी के प्रतीक के रूप में एक महत्त्व की वस्तु बन गई है।
इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने तोप की वर्तमान स्थिति को बताया है। आशय यह है कि अब यह तोप केवल खिलौना मात्र है। चिड़िया इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेलते हैं। 1857 की क्रांति में जिस तोप ने आतंक मचा रखा था वो आज बेबस थी। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
कवि ने तोप की दयनीय दशा का चित्रण करते हुए कहा है कि आज कंपनी बाग़ का तोप विनाश करने लायक नही है। चिड़ियाँ और गौरये उसपर बैठकर फुदकती रहती हैं। आखिरकार अब इस तोप को मुँह बन्द करना पड़ा। कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
इन पंक्तियों में तोप ने अपनी गाथा को सुनाया है। उसने भाव प्रस्तुत किया हैं कि 1857 की क्रांति की सामने उसने अपने आगे किसी की नही सुनी थी। उसके सामने वीर से वीर भी नहीं टिक पता था । उसने अच्छे अच्छे सूरमाओं की धज्जियाँ उड़ा दी थी।
कवि ने इस कविता में शब्दों का सटीक और बेहतरीन प्रयोग किया है। इसकी एक पंक्ति देखिए 'धर रखी गई है यह 1857 की तोप'। 'धर' शब्द देशज है और कवि ने इसका कई अर्थों में प्रयोग किया है।' रखना', 'धरोहर' और 'संचय' के रूप में।
अन्य उदाहारण
१) खरा सोना मजबूत होता है।
२) वह मेरी कसौटी पर खरा उतरा।
'तोप' शीर्षक कविता का भाव समझते हुए इसका गद्य में रूपांतरण कीजिए।
कभी ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत ने उसका स्वागत ही किया था, लेकिन करते-कराते वह हमारी शासक बन बैठी। उसने कुछ बाग बनवाए तो कुछ तोपें भी तैयार कीं। 1857 में उसका प्रयोग शक्तिशाली हथियार के रुप में किया गया था। उन तोपों ने इस देश को फिर से आजाद कराने का सपना साकार करने निकले जाँबाजो को मौत के घाट उतारा। पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उस सत्ता को उखाड फेंका। तोप को निस्तेज कर दिया। आखिरकार अब इस तोप को मुँह बन्द करना पड़ा। अब इससे कोई नहीं डरता। अब यह केवल खिलौना मात्र है। चिड़िया इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेलते हैं। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए।
टोपी को इफ़्फ़न से और इफ़्फ़न की दादी से जो प्रेम था, वह अकथनीय था। उसे जितना प्रेम वहाँ मिला उसे अपने घर में नहीं मिला। यही कारण था कि घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से था। इफ़्फ़न की दादी ने तो जैसे उसके कोमल मन में गहरा स्थान पा लिया था। यह प्रेम ही तो था, जिसने न धर्म को देखा न उम्र को बस ह्दय को देखा और जीवन में आत्मसात हो गया। प्रेम ऐसा भाव है जिसमें व्यक्ति जाति-पाति, धर्म, ऊँच-नीच, बड़े-छोटे के सभी बंधनों को भूल जाता है।
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