Vasant Bhag 3 Chapter 16 पानी की कहानी
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    NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Bhag 3

    पानी की कहानी Here is the CBSE Hindi Chapter 16 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 Hindi पानी की कहानी Chapter 16 NCERT Solutions for Class 8 Hindi पानी की कहानी Chapter 16 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN8001057

    लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली?

    Solution
    लेखक को आेस की बूँद बेर की झाड़ी के पास मिली। जो अचानक ही उसके हाथ पर आ गई थी। वास्तव में वह बूँद सूर्योदय तक सहारा पाना चाहती थी।
    Question 2
    CBSEENHN8001058

    ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?

    Solution
    बूँद का क्रोध व घृणा भाव पेड़ों के प्रति है क्योंकि पेड़ों की जड़ों के रोएँ बड़ी निर्दयता से आनंद से घूमने वाली बूँदों को बलपूर्वक अपनी ओर खींचकर स्वयं पल्लवित हो जाते हैं व उनका अस्तित्व मिटा देते हैं।
    Question 3
    CBSEENHN8001059

    हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज/पुरखा क्यों कहा?

    Solution
    बूँद ने हद्रजन व औषजन को अपने पूर्वज/पुरखे कहा क्योंकि एक जल कण में हद्रजन (हाइड्रोजन) व ओषजन (ऑक्सीजन) का ही मिश्रण होता है।
    Question 4
    CBSEENHN8001060

    “पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

    Solution
    “पानी की कहानी” पाठ में बताया गया है कि पानी का जन्म हद्रजन (हाइड्रोजन) और ओषजन (ऑक्सीजन) से होता है। पहले पानी की बूँदें सूर्य के धरातल पर ही थीं। एक बार प्रचंड प्रकाश पिंड जो सूर्य से लाखों गुणा बड़ा था सूर्य के समक्ष आ गया। उसकी आकर्षण शक्ति के कारण सूर्य का एक बड़ा भाग टूटकर कई टुकड़ों में विभाजित हो गया। एक टुकड़ा पृथ्वी बन गया। पहले तो यह ग्रह आग का गोला ही था। लेकिन धीरे-धीरे यह ठंडा हो गया और अरबों वर्ष पूर्व हद्रजन और ओषजन ने अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व गँवाकर रासायनिक क्रिया द्वारा पानी को जन्म दिया।

    अब ये पानी की बूँदें निरंतर सुर्य द्वारा भाप बनकर अपना अस्तित्व खो देती हैं और फिर वर्षा के रूप में बरसकर पानी का रूप धारण करती है।

    Question 5
    CBSEENHN8001061

    कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वयं पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?

    Solution
    कहानी का अंत और आरंभ पढ़कर हम इसी नतीजे पर पहुँचे हैं कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते समय सूर्य की प्रतीक्षा कर रही थी। बूँद सूर्य का ताप पाते ही भाप बनकर उड़ना चाहती थी।
    Question 6
    CBSEENHN8001062

    जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए और पानी की कहानी से तुलना करके देखिए कि लेखक ने पानी की कहानी में कौन-कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं।

    Solution

    जलचक्र का चित्र-

    जलचक्र के चित्र से यह स्पष्ट होता है कि जल भाप बनकर बादल का रूप धारण करता है और बादल बरसकर फिर पानी के रूप में बदल जाते हैं।
    इस पाठ में लेखक रामचंद्र तिवारी जी ने पानी का सूर्य के ताप में भाप बनकर बादल रूप में बदलने का वर्णन आंशिक अर्थात् बहुत कम किया है जबकि पानी के बनने, धरती के ऊपर व नीचे, सागर, सरिता व पड़ो तथा चट्टानों में बूँदों के रूप में पानी का विस्तार से वर्णन किया है।

    Question 7
    CBSEENHN8001063

    “पानी की कहानी” पाठ में ओस की बूँद अपनी कहानी स्वयं सुना रही है और लेखक केवल श्रोता है। इस आत्मकथात्मक शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें।

    Solution

    आप मिट्टी के कण की कहानी बना सकते हैं-जिसमें संकेत बिंदु इस प्रकार हैं-
    1. मैं एक मिट्टी का कण।  
    2. हवा का चलना।
    3. मेरे ऊपर मिट्टी के अनेक कणों का उड़ना।
    4. आँधी पाकर आकाश की ऊँचाइयों तक जाना।
    5. आकाश में विचरण करना।
    6. धीरे-धीरे वापिस धरती पर आन का प्रयास।
    7. हल्के हवा के झोंके के साथ उड़ते रहना।
    8. एक पेड़ के साथ चिपक जाना।
    9. तेज़ हवा का चलना।
    10. हवा में उड़ते-उड़ते एक नदी को पार करना।
    11. हवा का बंद होना।
    12. मेरा धरातल पर आ जाना।
    13. चैन की साँस लेना।
    14. अपने मित्रों के साथ मिट्टी में मिलना।

    Question 8
    CBSEENHN8001064

    समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गरमी क्यों नहीं पड़ती?

    Solution
    समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड या अधिक गर्मी नहीं पड़ती क्योंकि वहाँ के वातावरण में सदा नमी होती है।
    Question 9
    CBSEENHN8001065

    पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं? क्या इस क्रिया को जानने के लिए कोई आसान प्रयोग है? जानकारी प्राप्त कीजिए।

    Solution

    पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब भी पेड़ की जड़ से पत्ते तक पानी पहुँचता है क्योंकि पेड़ की जड़ों व तनों में जाइलम और फ्लोएम नामक वाहिकाएँ होती हैं जो पानी को जड़ों से पत्तियों तक पहुँचाती हैं। इस क्रिया को ‘संवहन’ (ट्रांसपाइरेशन) कहते हैं।
    ‘संवहन’ की क्रिया को जानने का प्रयोग निम्नलिखित है-
    एक काँच का बीकर लें। उसमें लाल रंग का पानी डालें। एक छोटा-सा पौधा उसमें रख दें। थोड़ी देर के बाद हम देखेंगे कि पौधे की जड़ो के माध्यम से लाल रंग ऊपर की आेर पौधे मैं जाता दिखाई देगा अर्थात् जाइलम व फ्लोएम वाहिकाएँ उसे जड़ से तन तक ले जाने का प्रयास करेंगी। यही विधि ‘संवहन’ है।

    Question 10
    CBSEENHN8001066

    पानी की कहानी में लेखक ने कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य का आधार लेकर आेस की बूँद की यात्रा का वर्णन किया है। ओस की बूँद अनेक अवस्थाओं में सूर्यमंडल, पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदी और नल से होते हुए पेड़ के पत्ते तक की यात्रा करती है। इस कहानी की भांति आप भी लोहे अथवा प्लास्टिक की कहानी लिखने का प्रयास कीजिए।

    Solution

    इसमें हमे प्लास्टिक की कहानी लिख सकते हैं इस हेतु संकेत बिंदु निम्न रूप से हैं-
    ● रासायनिक पदार्थोे से प्लास्टिक का बनना।
    ● कई प्रकार की वस्तुओं का निर्माण।
    ● वस्तुओं का घिस जाना।
    ● दुबारा पिंघलकर प्लास्टिक बनना।
    ● फिर से नई वस्तुओं का निर्माण।
    ● इस प्रकार की प्रक्रिया का निरंतर चलते रहना।

    Question 11
    CBSEENHN8001067

    अन्य पदार्थो के समान जल की भी तीन अवस्थाएँ होती हैं। अन्य पदार्थो से जल की इन अवस्थाओं में एक विशेष अंतर यह होता है कि जल की तरल अवस्था की तुलना में ठोस अवस्था (बर्फ) हलकी होती है। इसका कारण प्रात कीजिए।

    Solution

    जल की तीन अवस्थाएँ होती हैं
    ठोस → द्रव → गैस
    ठोस अवस्था हल्की होती है क्योंकि इसका घनत्व कम होता है। इसी कारण बर्फ पानी में तैरती है। सभी तरल पदाथों में ऐसी प्रक्रिया केवल जल में ही होती है।

    Question 12
    CBSEENHN8001068

    पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन-सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान!’ का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।

    Solution

    पर्यावरण संकट
    पर्यावरण अर्थात् एक ऐसा आवरण जो हम चारों ओर से ढके हुए हें। पूरी प्रकृति विशाल पारिस्थिति की तंत्र है। मनुष्य के जीवन में धरती, आकाश, नदियाँ. पेड़-पौधे, हवा, जल, खनिज पदार्थ सभी अपना विशेष महत्व रखते हैं। लेकिन मनुष्य केवल अपने स्वार्थ से प्रेरित रहता हें। वह इन सब साधनों का प्रयोग ताे करता है लेकिन इनकी सुरक्षा व सुंदरता की और कोई कर्तव्य नहीं निभाता।
    आज विश्व की सभी प्रसिद्ध नदियाँ गंगा, यमुना, नर्मदा, राइन, सीन, मास, टेम्स आदि पूर्णतया प्रदूषित हो चुकी हैं। पृथ्वी के ऊपर जोन गैस की मोटी परत जो हमारा रक्षा कवच है वह भी खतरे में पड़ी है। इसीलिए सूर्य का ताप धरती की आेर बढ़ता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिग (पृथ्वी का तापमान) बढ़ने से छोटे-बड़े द्वीप व महाद्वीप के तटीय क्षेत्रों के डूब जाने का खतरा बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूचाल, तूफान आदि बढ़ते जा रहे हैं। बेवक्त बरसातें व गर्मियो में अधिक गर्मी, सर्दियों में अधिक सर्दी भी पर्यावरण प्रदूषण के कारण हैं।
    यह पूरे विश्व हेतु चिंता का विषय है। इसलिए पूरे विश्व में वायु, ध्वनि, जल व संपूर्ण पृथ्वी को प्रदूषित होने से बचाने हेतु प्रयास जारी हें। इसी हेतु! ‘पर्यावरण दिवस’ व ‘पृथ्वी सम्मेलन’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य है ‘पृथ्वी को बचाओ’।
    आज सभी का यह कर्तव्य बनता है कि राष्ट्र सीमाओं के बंधनों में न रहकर पूरे विश्व के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का प्रयास किया जाए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जीवन यापन की सभी आवश्यकताएँ यह धरती हमें प्रदान करती है। हमें आत्मरक्षा हेतु पृथ्वी की रक्षा करनी होगी। ‘भूमि माता है और हम पृथ्वी की संतान’ इस कथन को चरितार्थ करना होगा।

     
    Question 14
    CBSEENHN8001070

    लेखक ने पानी की कहानी किसके माध्यम से दर्शायी है?

    Solution
    लेखक ने पानी की कहानी एक बूँद के माध्यम से दर्शायी है।
    Question 15
    CBSEENHN8001071

    बूँद के मन में पेड़ों के प्रति घृणा क्यों थी?

    Solution
    बूँद के मन में पेड़ों के प्रति घृणा थी क्योंकि पेड़ों की जड़ के रोएँ बूंद को अपनी और खींच खेत थे। फिर कुछ की तो पेड़ एकदम खा जाते हैं व अधिकांश से खनिज पदार्थ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं अर्थात् दोनों ही परिस्थितियों में बूँदों का जीवन नष्ट हो जाता है।
    Question 16
    CBSEENHN8001072

    बूँद पत्ते पर क्यों सिकुड़ी पड़ी थी?

    Solution
    बूँद तीन दिन से पेड़ में फँसी हुई थी - जब वह बड़ी मुश्किल से पस के छेदों से जान बचाकर निकली तो उसने सोचा था कि बाहर निकलते ही सूर्य का ताप पाकर उड़ जाऊँगी। लेकिन उस समय रात हो चुकी थी। सूर्य छिप चुका था। इसलिए बूँद पत्ते पर ही सिकुड़ गई ताकि कुछ सुरक्षा पा सके। बूँद ने वायुमंडल में उड़ना भी चाहा था लेकिन वातावरण मैं इतने जल कण थे कि उसके लिए स्थान ही न था।
    Question 17
    CBSEENHN8001073

    बूँद ने लेखक से क्या आग्रह किया?

    Solution
    बूँद ने लेखक से आग्रह किया कि वह सूर्य उदित होने तक अपने प्राण बचाने हेतु उसकी हथेली पर सहास पाना चाहती है।

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    Question 18
    CBSEENHN8001074

    ‘प्रचंड प्रकाश पिंड’ का सूर्य पर क्या प्रभाव पड़ा?

    Solution
    ‘प्रचंड प्रकाश पिंड’ जब सूर्य की ओर बढ़ रहा था तो ऐसा आभास हुआ कि सूर्य इससे टकराकर चूर्ण ही हो जाएगा। लेकिन प्रकाश पिंड सूर्य से हजारों मील पहले ही घूम गया। उसकी भीषण आकर्षण शक्ति से सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला गया। अधिक खिंचाव ना सँभाल पाने के कारण यह भाग कई टुकड़ों में विभाजित हो गया।
    Question 19
    CBSEENHN8001075

    बूँद समुंद्र के पानी में कैसे मिली?

    Solution
    बूँद कई मास तक समुद्र में इधर-उधर घूमती रही। एक दिन बूँद की गर्म धारा से भेंट हो गई। धारा के जलते अस्तित्व को ठंडक पहुँचाने हेतु बूँद ने उसकी गरमी सोखनी चाही लेकिन वह स्वयं गरमी से पिघल गई और समुद्र के जल में विलीन हो गई।
    Question 20
    CBSEENHN8001076

    समुद्र में बूँद ने किन-किन चीजों को देखने का आनंद प्राप्त किया?

    Solution
    समुद्र में बूँद ने अपने भाई-बांधव, धीरे-धीरे रेंगने वाले जीव, जालीदार मछलियाँ, कई-कई मन भारी कछुए, हाथों वाली मछलियाँ, प्रकाश देने वाली मछली, कई घाटियाँ, पहाड़ियाँ, छोटे ठिगने, मोटे पत्तों वाले पेड़ व ना ना प्रकार के निपट अंधे व महा आलसी जीव देखने का आनंद प्राप्त किया।
    Question 21
    CBSEENHN8001077

    ज्वालामुखी के फटने का दृश्य किस प्रकार दर्शाया गया है?

    Solution
    बूँद ने लेखक को अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि वह पृथ्वी के भीतर एक ऐसे स्थान पर पहुँची जो रह-रह कर हिल रहा था। जिसमें एक दम से बड़ी जोर से धड़ाका हुआ और धरती फट गई। उसमें से घुआँ, रेत, पिघली धातुएँ तथा लपटें निकलने लगीं।
    Question 22
    CBSEENHN8001078

    रेत कैसे निर्मित होती है?

    Solution
    जब नदियों का जल पर्वतों के एक पत्थर से दूसरे पत्थर पर तेजी से गिरता है तो पत्थर पानी से रगड़ खाकर घिसते है ये घिसे हुए कण ही रेत कहलाते हैं।
    Question 23
    CBSEENHN8001079

    बूँद को सरिता का अंश बनने के दिन क्यों मजे के लगते थे?

    Solution
    बूँद को सरिता के दिन मजे के लगे क्योंकि इस रूप में भूमि को काटना व पेड़ों को खोखला करना उसे बहुत अच्छा लगता था।
    Question 29
    CBSEENHN8001085

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बेर की झाड़ी पर से मोती-सी एक बूँद मेरे हाथ पर आ पड़ी। मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा कि ओस की बूँद मेरी कलाई पर से सरककर हथेली पर आ गई। मेरी दृष्टि पड़ते ही वह ठहर गई। थोड़ी देर में मुझे सितार के तारों की-सी झंकार सुनाई देने लगी। मैंने सोचा कि कोई बजा रहा होगा। चारों ओर देखा। कोई नहीं। फिर अनुभव हुआ कि यह स्वर मेरी हथेली से निकल रहा है। ध्यान से देखने पर मालूम हुआ कि बूँद के दो कण हो गए हैं और वे दोनों हिल-हिलकर यह स्वर उत्पन्न कर रहे हैं मानो बोल रहे हों। 

    लेखक के हाथ पर बेर की झाड़ी से क्या गिरा?
    • पत्ता
    • टहनी का टुकड़ा
    • पानी की बूँद 
    • एक बेर

    Solution

    C.

    पानी की बूँद 
    Question 30
    CBSEENHN8001086

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बेर की झाड़ी पर से मोती-सी एक बूँद मेरे हाथ पर आ पड़ी। मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा कि ओस की बूँद मेरी कलाई पर से सरककर हथेली पर आ गई। मेरी दृष्टि पड़ते ही वह ठहर गई। थोड़ी देर में मुझे सितार के तारों की-सी झंकार सुनाई देने लगी। मैंने सोचा कि कोई बजा रहा होगा। चारों ओर देखा। कोई नहीं। फिर अनुभव हुआ कि यह स्वर मेरी हथेली से निकल रहा है। ध्यान से देखने पर मालूम हुआ कि बूँद के दो कण हो गए हैं और वे दोनों हिल-हिलकर यह स्वर उत्पन्न कर रहे हैं मानो बोल रहे हों। 

    लेखक आश्चर्यचकित क्यों हो गया?
    • क्योंकि बूँद बहुत बड़ी थी।
    • क्योंकि बूँद सरककर उसकी हथेली पर आ गई।
    • क्योंकि बूँद अचानक हथेली से धरती पर लुढ़क गई।
    • क्योंकि बूँद सुखती जा रही थी।

    Solution

    B.

    क्योंकि बूँद सरककर उसकी हथेली पर आ गई।
    Question 31
    CBSEENHN8001087

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बेर की झाड़ी पर से मोती-सी एक बूँद मेरे हाथ पर आ पड़ी। मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा कि ओस की बूँद मेरी कलाई पर से सरककर हथेली पर आ गई। मेरी दृष्टि पड़ते ही वह ठहर गई। थोड़ी देर में मुझे सितार के तारों की-सी झंकार सुनाई देने लगी। मैंने सोचा कि कोई बजा रहा होगा। चारों ओर देखा। कोई नहीं। फिर अनुभव हुआ कि यह स्वर मेरी हथेली से निकल रहा है। ध्यान से देखने पर मालूम हुआ कि बूँद के दो कण हो गए हैं और वे दोनों हिल-हिलकर यह स्वर उत्पन्न कर रहे हैं मानो बोल रहे हों। 

    लेखक को कैसा स्वर सुनाई दिया?

    • गिटार के स्वर जैसा
    • सितार के तारों की-सी झंकार का
    • ढोलक की भाँति
    • भौंरे की गुंजार सा

    Solution

    C.

    ढोलक की भाँति
    Question 32
    CBSEENHN8001088
    Question 33
    CBSEENHN8001089

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बेर की झाड़ी पर से मोती-सी एक बूँद मेरे हाथ पर आ पड़ी। मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा कि ओस की बूँद मेरी कलाई पर से सरककर हथेली पर आ गई। मेरी दृष्टि पड़ते ही वह ठहर गई। थोड़ी देर में मुझे सितार के तारों की-सी झंकार सुनाई देने लगी। मैंने सोचा कि कोई बजा रहा होगा। चारों ओर देखा। कोई नहीं। फिर अनुभव हुआ कि यह स्वर मेरी हथेली से निकल रहा है। ध्यान से देखने पर मालूम हुआ कि बूँद के दो कण हो गए हैं और वे दोनों हिल-हिलकर यह स्वर उत्पन्न कर रहे हैं मानो बोल रहे हों। 

    बूँद के कणों को देखकर लेखक को क्या महसूस हुआ?
    • मानो कुछ बोल रहे हों
    • मानो आगे की आेर सरकते जा रहे हों
    • मानो वाष्पित होना चाहते हों
    • मानो और भागों में बँटना चाहते हों

    Solution

    A.

    मानो कुछ बोल रहे हों
    Question 35
    CBSEENHN8001091

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    जो पेड़ तुम देखते हो न ! वह ऊपर ही इतना बड़ा नहीं है, पृथ्वी में भी लगभग इतना ही बड़ा है। उसकी बड़ी जड़े, छोटी जड़ें और जड़ों के रोएँ हैं। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते हैं। मुझ जैसे असंख्य जल-कणों को वे बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।

    पेड़ के बारे में बूँद ने क्या कहा?
    • पेड़ में रहना आसान नहीं
    • पेड़ में रहकर बहुत आनंद मिलता है
    • पेड़ जितना बाहर होता है उसका अस्तित्व जमीन में भी उतना ही होता है।
    • पेड़ में रहकर अपना अस्तित्व मिटाना पड़ता है।

    Solution

    C.

    पेड़ जितना बाहर होता है उसका अस्तित्व जमीन में भी उतना ही होता है।
    Question 36
    CBSEENHN8001092

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    जो पेड़ तुम देखते हो न ! वह ऊपर ही इतना बड़ा नहीं है, पृथ्वी में भी लगभग इतना ही बड़ा है। उसकी बड़ी जड़े, छोटी जड़ें और जड़ों के रोएँ हैं। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते हैं। मुझ जैसे असंख्य जल-कणों को वे बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।

    पेड़ के रोएँ क्या करते हैं?
    • पेड़ के रोएँ बूँदों को बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं।
    • पेड़ के रोएँ बूँद का अस्तित्व मिटा देते हैं।
    • पेड़ के रोएँ बूँद को इस प्रकार दबोच लेते है कि बूँद उनके शिकंजे से निकल नहीं पाती।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    A.

    पेड़ के रोएँ बूँदों को बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं।
    Question 37
    CBSEENHN8001093

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    जो पेड़ तुम देखते हो न ! वह ऊपर ही इतना बड़ा नहीं है, पृथ्वी में भी लगभग इतना ही बड़ा है। उसकी बड़ी जड़े, छोटी जड़ें और जड़ों के रोएँ हैं। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते हैं। मुझ जैसे असंख्य जल-कणों को वे बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।

    पेड़ तक पहुँचने पर बूँदों का क्या होता है?
    • उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
    • उनके सभी खनिज पदार्थ पेड़ द्वारा निकाल लिए जाते हैं।
    • वे सदा के लिए पेड़ में फँस जाती हैं।
    • पेड़ के तने के खनिज पदार्थो में विलीन हो जाती हैं।

    Solution

    B.

    उनके सभी खनिज पदार्थ पेड़ द्वारा निकाल लिए जाते हैं।
    Question 38
    CBSEENHN8001094
    Question 39
    CBSEENHN8001095

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पत्तों के नन्हें-नन्हें छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्ते पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी। परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनेवाली थी और सूर्य जो हमें उड़ने की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं, और वायुमंडल में इतने जल कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने के लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।”

    बूँद तीन दिन तक कहाँ फँसी रही?

    • धरती में
    • पड़पेड़ें 
    • पेड़ की पत्ती में
    • नल में

    Solution

    B.

    पड़पेड़ें 

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    Question 40
    CBSEENHN8001096

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पत्तों के नन्हें-नन्हें छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्ते पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी। परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनेवाली थी और सूर्य जो हमें उड़ने की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं, और वायुमंडल में इतने जल कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने के लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।”

    पते से निकलकर बूँद क्या करना चाहती थी?



    • लेखक के हाथ पर ही रहना चाहती है।
    • सूर्य के ताप से भाप बनकर उड़ना चाहती है।
    • नदी किनारे घूमना चाहती है।
    • किसी फलदार वृक्ष का अस्तित्व पाना चाहती है।

    Solution

    B.

    सूर्य के ताप से भाप बनकर उड़ना चाहती है।
    Question 41
    CBSEENHN8001097

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पत्तों के नन्हें-नन्हें छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्ते पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी। परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनेवाली थी और सूर्य जो हमें उड़ने की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं, और वायुमंडल में इतने जल कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने के लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।”

    पत्ते पर आते ही बूँद निराश क्यों हो गई?


    • क्योंकि रात का समय था, उसे वाष्प करने वाला, सूर्य वातावरण में नहीं था।
    • क्योंकि वह पुरुषों से डरती थी।
    • क्योंकि उसे कोई सहारा मिलने की उम्मीद न थी।
    • क्योंकि वह अपने मित्रों से बिछड़ गई थी।

    Solution

    A.

    क्योंकि रात का समय था, उसे वाष्प करने वाला, सूर्य वातावरण में नहीं था।
    Question 42
    CBSEENHN8001098

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पत्तों के नन्हें-नन्हें छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्ते पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी। परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनेवाली थी और सूर्य जो हमें उड़ने की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं, और वायुमंडल में इतने जल कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने के लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।”

    वह लेखक के हाथ पर क्यों कूदी?

    • क्योंकि सुबह तक सहारा पाना चाहती थी।
    • उसे लेखक ने स्वयं अपने हाथ पर लिया।
    • लेखक के हाथ पर न कूदती तो धरती पर गिरकर उसमें समा जाती।
    • पत्ते पर टिकने का सहारा न था।

    Solution

    A.

    क्योंकि सुबह तक सहारा पाना चाहती थी।
    Question 43
    CBSEENHN8001099

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पत्तों के नन्हें-नन्हें छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्ते पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी। परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनेवाली थी और सूर्य जो हमें उड़ने की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं, और वायुमंडल में इतने जल कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने के लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।”

    ‘साँसत’ शब्द का अर्थ स्पष्ट करे?
    • साँस न ले पाना
    • दुख
    • दबाव
    • भूखी-प्यासी

    Solution

    B.

    दुख
    Question 44
    CBSEENHN8001100

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मेरे पुरखे बड़ी प्रसन्नता से सूर्य के धरातल पर नाचते रहते थे। एक दिन की बात है कि दूर एक प्रचंड प्रकाश-पिंड दिखाई पड़ा। उनकी आँखें चौंधियाने लगीं। यह पिंड बड़ी तेजी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था। ज्यों-ज्यों पास आता जाता था उसका आकार बढ़ता जाता था। यह सूर्य से लाखों गुना बड़ा था। उसकी महान आकर्षण-शक्ति से हमास सूर्य काँप उठा। ऐसा ज्ञात हुआ कि उस ग्रहराज से टकराकर हमारा सूर्य चूर्ण हो जाएगा। वैसा न हुआ। वह सूर्य से सहस्रों मील दूर से ही घूम चला, परंतु उसकी भीषण आकर्षण-शक्ति के कारण सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला। सूर्य से टूटा हुआ भाग इतना भारी खिंचाव सँभाल न सका और कई टुकड़ों में टूट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है। यह प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी।

    बूँद के पुरखे कौन थे?

    • हाइड्रोजन जल

    • हद्रजन व ओषजन 
    • समुंद्र का जल 
    • नदियों का जल

    Solution

    B.

    हद्रजन व ओषजन 
    Question 45
    CBSEENHN8001101

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मेरे पुरखे बड़ी प्रसन्नता से सूर्य के धरातल पर नाचते रहते थे। एक दिन की बात है कि दूर एक प्रचंड प्रकाश-पिंड दिखाई पड़ा। उनकी आँखें चौंधियाने लगीं। यह पिंड बड़ी तेजी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था। ज्यों-ज्यों पास आता जाता था उसका आकार बढ़ता जाता था। यह सूर्य से लाखों गुना बड़ा था। उसकी महान आकर्षण-शक्ति से हमास सूर्य काँप उठा। ऐसा ज्ञात हुआ कि उस ग्रहराज से टकराकर हमारा सूर्य चूर्ण हो जाएगा। वैसा न हुआ। वह सूर्य से सहस्रों मील दूर से ही घूम चला, परंतु उसकी भीषण आकर्षण-शक्ति के कारण सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला। सूर्य से टूटा हुआ भाग इतना भारी खिंचाव सँभाल न सका और कई टुकड़ों में टूट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है। यह प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी।

    वे कहाँ रहते थे?
    • सूर्य के धरातल पर
    • नदियों के किनारे
    • समुंद्र की सतह पर
    • धरती के धरातल पर

    Solution

    A.

    सूर्य के धरातल पर
    Question 46
    CBSEENHN8001102

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मेरे पुरखे बड़ी प्रसन्नता से सूर्य के धरातल पर नाचते रहते थे। एक दिन की बात है कि दूर एक प्रचंड प्रकाश-पिंड दिखाई पड़ा। उनकी आँखें चौंधियाने लगीं। यह पिंड बड़ी तेजी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था। ज्यों-ज्यों पास आता जाता था उसका आकार बढ़ता जाता था। यह सूर्य से लाखों गुना बड़ा था। उसकी महान आकर्षण-शक्ति से हमास सूर्य काँप उठा। ऐसा ज्ञात हुआ कि उस ग्रहराज से टकराकर हमारा सूर्य चूर्ण हो जाएगा। वैसा न हुआ। वह सूर्य से सहस्रों मील दूर से ही घूम चला, परंतु उसकी भीषण आकर्षण-शक्ति के कारण सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला। सूर्य से टूटा हुआ भाग इतना भारी खिंचाव सँभाल न सका और कई टुकड़ों में टूट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है। यह प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी।

    प्रचंड प्रकाश पिंड क्या हुआ?
    • सूर्य दो भागों में बँट गया। 
    • सूर्य का एक बड़ा भाग टूट गया।
    • सूर्य का ताप कम हो गया।
    • सूर्य की शक्ति जाती रही।

    Solution

    B.

    सूर्य का एक बड़ा भाग टूट गया।
    Question 47
    CBSEENHN8001103

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मेरे पुरखे बड़ी प्रसन्नता से सूर्य के धरातल पर नाचते रहते थे। एक दिन की बात है कि दूर एक प्रचंड प्रकाश-पिंड दिखाई पड़ा। उनकी आँखें चौंधियाने लगीं। यह पिंड बड़ी तेजी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था। ज्यों-ज्यों पास आता जाता था उसका आकार बढ़ता जाता था। यह सूर्य से लाखों गुना बड़ा था। उसकी महान आकर्षण-शक्ति से हमास सूर्य काँप उठा। ऐसा ज्ञात हुआ कि उस ग्रहराज से टकराकर हमारा सूर्य चूर्ण हो जाएगा। वैसा न हुआ। वह सूर्य से सहस्रों मील दूर से ही घूम चला, परंतु उसकी भीषण आकर्षण-शक्ति के कारण सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला। सूर्य से टूटा हुआ भाग इतना भारी खिंचाव सँभाल न सका और कई टुकड़ों में टूट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है। यह प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी।

    सूर्य के टूटे भाग का क्या हुआ?
    • पूरा भाग धरती पर गिरा।
    • भारी खिंचाव संभाल न पाने के कारण कई टुकड़ों में बँट गया।
    • भारी खिंचाव संभाल न पाने के कारण दो भागो में बँट गया।
    • इनमे से कोई नहीं।

    Solution

    B.

    भारी खिंचाव संभाल न पाने के कारण कई टुकड़ों में बँट गया।
    Question 48
    CBSEENHN8001104

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मेरे पुरखे बड़ी प्रसन्नता से सूर्य के धरातल पर नाचते रहते थे। एक दिन की बात है कि दूर एक प्रचंड प्रकाश-पिंड दिखाई पड़ा। उनकी आँखें चौंधियाने लगीं। यह पिंड बड़ी तेजी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था। ज्यों-ज्यों पास आता जाता था उसका आकार बढ़ता जाता था। यह सूर्य से लाखों गुना बड़ा था। उसकी महान आकर्षण-शक्ति से हमास सूर्य काँप उठा। ऐसा ज्ञात हुआ कि उस ग्रहराज से टकराकर हमारा सूर्य चूर्ण हो जाएगा। वैसा न हुआ। वह सूर्य से सहस्रों मील दूर से ही घूम चला, परंतु उसकी भीषण आकर्षण-शक्ति के कारण सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला। सूर्य से टूटा हुआ भाग इतना भारी खिंचाव सँभाल न सका और कई टुकड़ों में टूट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है। यह प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी।

    धरती पहले आग का बड़ा गोला थी, क्यों?
    • क्योंकि वह सूर्य का एक भाग थी।
    • क्योंकि सूर्य का पूस ताप धरती पर पड़ता था।
    • क्योंकि धरती पर नदियाँ व समुद्र नहीं थे।
    • क्योंकि धरती पर वर्षा नहीं होती थी।

    Solution

    A.

    क्योंकि वह सूर्य का एक भाग थी।
    Question 49
    CBSEENHN8001105

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हमारा ग्रह ठंडा होता चला गया और मुझे याद है कि अरबों वर्ष पहले मैं हद्रजन और ओषजन के रासायनिक क्रिया के कारण उत्पन्न हुई हूँ। उन्होंने आपस मे मिलकर अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व गँवा दिया है और मुझे उत्पन्न किया है । मैं उन दिनों भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमती फिरती थी। उसके बाद न जाने क्या हुआ? जब मुझे होश आया तो मैंने अपने को ठोस बर्फ़ के रूप में पाया। मेरा शरीर पहले भाप-रूप में था वह अब अत्यंत छोटा हो गया था। वह पहले से कोई सतरहवाँ भाग रह गया था। मैंने देखा मेरे चारों ओर मेरे असंख्य साथी बर्फ बने पड़े थे। जहाँ तक दृष्टि जाती थी बर्फ़ के अतिरिक्त कुछ दिखाई न पड़ता था। जिस समय हमारे ऊपर सूर्य की किरणें पड़ती थीं तो सौंदर्य बिखर पड़ता था। 

    बूँद की उत्पत्ति किससे हुई?

    • समु़ंद्र तल से
    • हद्रजन व ओषजन की रासायनिक क्रिया से
    • वर्षा के जल से
    • सूर्य के एक भाग से

    Solution

    B.

    हद्रजन व ओषजन की रासायनिक क्रिया से
    Question 50
    CBSEENHN8001106

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हमारा ग्रह ठंडा होता चला गया और मुझे याद है कि अरबों वर्ष पहले मैं हद्रजन और ओषजन के रासायनिक क्रिया के कारण उत्पन्न हुई हूँ। उन्होंने आपस मे मिलकर अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व गँवा दिया है और मुझे उत्पन्न किया है । मैं उन दिनों भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमती फिरती थी। उसके बाद न जाने क्या हुआ? जब मुझे होश आया तो मैंने अपने को ठोस बर्फ़ के रूप में पाया। मेरा शरीर पहले भाप-रूप में था वह अब अत्यंत छोटा हो गया था। वह पहले से कोई सतरहवाँ भाग रह गया था। मैंने देखा मेरे चारों ओर मेरे असंख्य साथी बर्फ बने पड़े थे। जहाँ तक दृष्टि जाती थी बर्फ़ के अतिरिक्त कुछ दिखाई न पड़ता था। जिस समय हमारे ऊपर सूर्य की किरणें पड़ती थीं तो सौंदर्य बिखर पड़ता था। 

    पहले बूँद किस रूप में धरती पर घूमती थी?
    • बादल के रूप में
    • भाप के रूप में
    • जल की तरंगों के रूप में
    • वातावरण में नमी के रूप में

    Solution

    B.

    भाप के रूप में
    Question 51
    CBSEENHN8001107

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हमारा ग्रह ठंडा होता चला गया और मुझे याद है कि अरबों वर्ष पहले मैं हद्रजन और ओषजन के रासायनिक क्रिया के कारण उत्पन्न हुई हूँ। उन्होंने आपस मे मिलकर अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व गँवा दिया है और मुझे उत्पन्न किया है । मैं उन दिनों भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमती फिरती थी। उसके बाद न जाने क्या हुआ? जब मुझे होश आया तो मैंने अपने को ठोस बर्फ़ के रूप में पाया। मेरा शरीर पहले भाप-रूप में था वह अब अत्यंत छोटा हो गया था। वह पहले से कोई सतरहवाँ भाग रह गया था। मैंने देखा मेरे चारों ओर मेरे असंख्य साथी बर्फ बने पड़े थे। जहाँ तक दृष्टि जाती थी बर्फ़ के अतिरिक्त कुछ दिखाई न पड़ता था। जिस समय हमारे ऊपर सूर्य की किरणें पड़ती थीं तो सौंदर्य बिखर पड़ता था। 

    बूँद का बदला रूप कैसा था?
    • ठोस रूप यानी बर्फ का रूप
    • जल का रूप
    • गाठे पदार्थ का रूप
    • एक रसायन का रूप

    Solution

    A.

    ठोस रूप यानी बर्फ का रूप
    Question 52
    CBSEENHN8001108

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हमारा ग्रह ठंडा होता चला गया और मुझे याद है कि अरबों वर्ष पहले मैं हद्रजन और ओषजन के रासायनिक क्रिया के कारण उत्पन्न हुई हूँ। उन्होंने आपस मे मिलकर अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व गँवा दिया है और मुझे उत्पन्न किया है । मैं उन दिनों भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमती फिरती थी। उसके बाद न जाने क्या हुआ? जब मुझे होश आया तो मैंने अपने को ठोस बर्फ़ के रूप में पाया। मेरा शरीर पहले भाप-रूप में था वह अब अत्यंत छोटा हो गया था। वह पहले से कोई सतरहवाँ भाग रह गया था। मैंने देखा मेरे चारों ओर मेरे असंख्य साथी बर्फ बने पड़े थे। जहाँ तक दृष्टि जाती थी बर्फ़ के अतिरिक्त कुछ दिखाई न पड़ता था। जिस समय हमारे ऊपर सूर्य की किरणें पड़ती थीं तो सौंदर्य बिखर पड़ता था। 

    बर्फ कणों पर सूर्य किरणों का क्या प्रभाव पड़ता है?
    • वे अपना अस्तित्व खो देते हैं।
    • वे फिर से भाप बन जाते हैं।
    • वे अपना रूप संकुचित कर लेते हैं।
    • वे अपना स्वरूप बड़ा कर देते हैं।

    Solution

    B.

    वे फिर से भाप बन जाते हैं।
    Question 53
    CBSEENHN8001109

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हमारा ग्रह ठंडा होता चला गया और मुझे याद है कि अरबों वर्ष पहले मैं हद्रजन और ओषजन के रासायनिक क्रिया के कारण उत्पन्न हुई हूँ। उन्होंने आपस मे मिलकर अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व गँवा दिया है और मुझे उत्पन्न किया है । मैं उन दिनों भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमती फिरती थी। उसके बाद न जाने क्या हुआ? जब मुझे होश आया तो मैंने अपने को ठोस बर्फ़ के रूप में पाया। मेरा शरीर पहले भाप-रूप में था वह अब अत्यंत छोटा हो गया था। वह पहले से कोई सतरहवाँ भाग रह गया था। मैंने देखा मेरे चारों ओर मेरे असंख्य साथी बर्फ बने पड़े थे। जहाँ तक दृष्टि जाती थी बर्फ़ के अतिरिक्त कुछ दिखाई न पड़ता था। जिस समय हमारे ऊपर सूर्य की किरणें पड़ती थीं तो सौंदर्य बिखर पड़ता था। 

    भाप से ठोस बनने पर बूँद के अस्तित्व में क्या अतंर आया?
    • वह अपने भाग से सतरहवें भाग में आ गई। 
    • वह बहुत फैल गई।
    • उसका भाग बीस गुणा बढ़ गया।
    • उसका भाग दस गुणा कम हो गया।

    Solution

    A.

    वह अपने भाग से सतरहवें भाग में आ गई। 
    Question 54
    CBSEENHN8001110

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं और गहराई की खोज में किनारों से दूर गई तो मैंने एक ऐसी वस्तु देखी कि मैं चौंक पड़ी। अब तक समुद्र में अँधेरा था, सूर्य का प्रकाश कुछ ही भीतर तक पहुँच पाता था और बल लगाकर देखने के कारण मेरे नेत्र दुखने लगे थे। मैं सोच रही थी कि यहाँ पर जीवों को कैसे दिखाई पड़ता होगा कि सामने ऐसा जीव दिखाई पड़ा मानो कोई लालटेन लिए घूम रहा हो। यह एक अत्यंत सुंदर मछली थी। इसके शरीर से एक प्रकार की चमक निकलती थी जो इसे मार्ग दिखलाती थी। इसका प्रकाश देखकर कितनी छोटी-छोटी अनजान मछलियाँ इसके पास आ जाती थीं और यह जब भूखी होती थी तो पेट भर उनका भोजन करती थी।

    बूँद समुद्र मैं क्या देखकर चौक गई?
    • एक बहुत बड़ी मछली देखकर 
    • चमक प्रदान करने वाली मछली देखकर
    • छोटी-छोटी मछलियों के झुंड देखकर 
    • मछलियों द्वारा मछलियाँ खाते देखकर।

    Solution

    B.

    चमक प्रदान करने वाली मछली देखकर
    Question 55
    CBSEENHN8001111

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं और गहराई की खोज में किनारों से दूर गई तो मैंने एक ऐसी वस्तु देखी कि मैं चौंक पड़ी। अब तक समुद्र में अँधेरा था, सूर्य का प्रकाश कुछ ही भीतर तक पहुँच पाता था और बल लगाकर देखने के कारण मेरे नेत्र दुखने लगे थे। मैं सोच रही थी कि यहाँ पर जीवों को कैसे दिखाई पड़ता होगा कि सामने ऐसा जीव दिखाई पड़ा मानो कोई लालटेन लिए घूम रहा हो। यह एक अत्यंत सुंदर मछली थी। इसके शरीर से एक प्रकार की चमक निकलती थी जो इसे मार्ग दिखलाती थी। इसका प्रकाश देखकर कितनी छोटी-छोटी अनजान मछलियाँ इसके पास आ जाती थीं और यह जब भूखी होती थी तो पेट भर उनका भोजन करती थी।

    बूँद के नेत्र क्यों दुख रहे थे?
    • तेज रोशनी के कारण
    • अंधेरे में रास्ता खोजते-खोजते व वस्तुओं का निरीक्षण करते-करते
    • पानी की अधिक गहराई होने के कारण
    • आँख दुखने के कारण

    Solution

    B.

    अंधेरे में रास्ता खोजते-खोजते व वस्तुओं का निरीक्षण करते-करते
    Question 56
    CBSEENHN8001112

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं और गहराई की खोज में किनारों से दूर गई तो मैंने एक ऐसी वस्तु देखी कि मैं चौंक पड़ी। अब तक समुद्र में अँधेरा था, सूर्य का प्रकाश कुछ ही भीतर तक पहुँच पाता था और बल लगाकर देखने के कारण मेरे नेत्र दुखने लगे थे। मैं सोच रही थी कि यहाँ पर जीवों को कैसे दिखाई पड़ता होगा कि सामने ऐसा जीव दिखाई पड़ा मानो कोई लालटेन लिए घूम रहा हो। यह एक अत्यंत सुंदर मछली थी। इसके शरीर से एक प्रकार की चमक निकलती थी जो इसे मार्ग दिखलाती थी। इसका प्रकाश देखकर कितनी छोटी-छोटी अनजान मछलियाँ इसके पास आ जाती थीं और यह जब भूखी होती थी तो पेट भर उनका भोजन करती थी।

    मछली की क्या विशेषता थी?

    • मछली की अपनी चमक जो उसे मार्ग दिखाती थी।
    • मछली का स्वरूप बहुत बड़ा था।
    • मछली सभी मछलियों का मार्गदर्शन कुशलता से करती थी।
    • मछली पानी के बिना भी रह सकती थी।

    Solution

    A.

    मछली की अपनी चमक जो उसे मार्ग दिखाती थी।
    Question 57
    CBSEENHN8001113

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं और गहराई की खोज में किनारों से दूर गई तो मैंने एक ऐसी वस्तु देखी कि मैं चौंक पड़ी। अब तक समुंद्र में अँधेरा था, सूर्य का प्रकाश कुछ ही भीतर तक पहुँच पाता था और बल लगाकर देखने के कारण मेरे नेत्र दुखने लगे थे। मैं सोच रही थी कि यहाँ पर जीवों को कैसे दिखाई पड़ता होगा कि सामने ऐसा जीव दिखाई पड़ा मानो कोई लालटेन लिए घूम रहा हो। यह एक अत्यंत सुंदर मछली थी। इसके शरीर से एक प्रकार की चमक निकलती थी जो इसे मार्ग दिखलाती थी। इसका प्रकाश देखकर कितनी छोटी-छोटी अनजान मछलियाँ इसके पास आ जाती थीं और यह जब भूखी होती थी तो पेट भर उनका भोजन करती थी।

    मछली अपनी भूख कैसे मिटाती थी?
    • समुंद्र के छोटे-छोटे प्राणी खाकर
    • मछली की चमक से प्रभावित होकर कई छोटी-छोटी मछलियाँ उसके पास आ जातीं जिन्हें वह अपना भोजन बनाती।
    • समुंद्र तल में लगी घास खाकर
    • मोती, शंख आदि खाकर।

    Solution

    B.

    मछली की चमक से प्रभावित होकर कई छोटी-छोटी मछलियाँ उसके पास आ जातीं जिन्हें वह अपना भोजन बनाती।
    Question 58
    CBSEENHN8001114

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं और गहराई की खोज में किनारों से दूर गई तो मैंने एक ऐसी वस्तु देखी कि मैं चौंक पड़ी। अब तक समुंद्र में अँधेरा था, सूर्य का प्रकाश कुछ ही भीतर तक पहुँच पाता था और बल लगाकर देखने के कारण मेरे नेत्र दुखने लगे थे। मैं सोच रही थी कि यहाँ पर जीवों को कैसे दिखाई पड़ता होगा कि सामने ऐसा जीव दिखाई पड़ा मानो कोई लालटेन लिए घूम रहा हो। यह एक अत्यंत सुंदर मछली थी। इसके शरीर से एक प्रकार की चमक निकलती थी जो इसे मार्ग दिखलाती थी। इसका प्रकाश देखकर कितनी छोटी-छोटी अनजान मछलियाँ इसके पास आ जाती थीं और यह जब भूखी होती थी तो पेट भर उनका भोजन करती थी।

    बूँद कहाँ घूम रही थी?
    • समुंद्र में
    • नदी में
    • नल में
    • पेड़ में

    Solution

    A.

    समुंद्र में
    Question 59
    CBSEENHN8001115

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं अपने दूसरे भाइयों के पीछे-पीछे चट्टान में घुस गई। कई वर्षों में कई मील मोटी चट्टान में घुसकर हम पृथ्वी के भीतर एक खोखले स्थान में निकले और एक स्थान पर इकट्ठा होकर हम लोगों ने सोचा कि क्या करना चाहिए। कुछ की सम्मति में वहीं पड़ा रहना ठीक था। परंतु हममें कुछ उत्साही युवा भी थे। वे एक स्वर में बोले - हम खोज करेंगे, पृथ्वी के हृदय में घूम-घूम कर देखेंगे कि भीतर क्या छिपा हुआ है।

    बूँद चट्टान में क्यों घुसी?

    • संमुद्र से बाहर आने के लिए
    • संमुद्र की गहराई मापने हेतु
    • अपना अस्तित्व चट्टान में मिलाने के लिए
    • नया रूप धारण करने के लिए

    Solution

    A.

    संमुद्र से बाहर आने के लिए
    Question 60
    CBSEENHN8001116

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं अपने दूसरे भाइयों के पीछे-पीछे चट्टान में घुस गई। कई वर्षों में कई मील मोटी चट्टान में घुसकर हम पृथ्वी के भीतर एक खोखले स्थान में निकले और एक स्थान पर इकट्ठा होकर हम लोगों ने सोचा कि क्या करना चाहिए। कुछ की सम्मति में वहीं पड़ा रहना ठीक था। परंतु हममें कुछ उत्साही युवा भी थे। वे एक स्वर में बोले - हम खोज करेंगे, पृथ्वी के हृदय में घूम-घूम कर देखेंगे कि भीतर क्या छिपा हुआ है।

    बूँद व उसके साथी कहाँ पहुँच गए?
    • पृथ्वी की सतह पर
    • पृथ्वी के खोखले स्थान पर
    • पृथ्वी के भीतर ज्वालामुखी बनने वाले भाग के पास
    • पृथ्वी की अत्यधिक गहराई में

    Solution

    B.

    पृथ्वी के खोखले स्थान पर
    Question 61
    CBSEENHN8001117

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं अपने दूसरे भाइयों के पीछे-पीछे चट्टान में घुस गई। कई वर्षों में कई मील मोटी चट्टान में घुसकर हम पृथ्वी के भीतर एक खोखले स्थान में निकले और एक स्थान पर इकट्ठा होकर हम लोगों ने सोचा कि क्या करना चाहिए। कुछ की सम्मति में वहीं पड़ा रहना ठीक था। परंतु हममें कुछ उत्साही युवा भी थे। वे एक स्वर में बोले - हम खोज करेंगे, पृथ्वी के हृदय में घूम-घूम कर देखेंगे कि भीतर क्या छिपा हुआ है।

    उत्साही युवा बूँदों ने क्या सोचा?
    • खोखले स्थान पर टिक जाने की सोची
    • धरती से बाहर निकलने की सोची
    • खोखले स्थान पर न रहकर आगे बढ़ने की सोची
    • निरंतर आगे बढ़ने की सोची

    Solution

    C.

    खोखले स्थान पर न रहकर आगे बढ़ने की सोची
    Question 62
    CBSEENHN8001118

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं अपने दूसरे भाइयों के पीछे-पीछे चट्टान में घुस गई। कई वर्षों में कई मील मोटी चट्टान में घुसकर हम पृथ्वी के भीतर एक खोखले स्थान में निकले और एक स्थान पर इकट्ठा होकर हम लोगों ने सोचा कि क्या करना चाहिए। कुछ की सम्मति में वहीं पड़ा रहना ठीक था। परंतु हममें कुछ उत्साही युवा भी थे। वे एक स्वर में बोले - हम खोज करेंगे, पृथ्वी के हृदय में घूम-घूम कर देखेंगे कि भीतर क्या छिपा हुआ है।

    युवा बूँदों ने क्या निर्णय लिया?
    • आकाश की ओर बढ़ेंगे
    • धरती में घूम-घूम कर देखेंगे कि उसमें क्या है?
    • नई-नई मछलियों की खोज करेंगे।
    • किसी प्रकार यहाँ से निकलेंगे।

    Solution

    B.

    धरती में घूम-घूम कर देखेंगे कि उसमें क्या है?
    Question 63
    CBSEENHN8001119

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मैं अपने दूसरे भाइयों के पीछे-पीछे चट्टान में घुस गई। कई वर्षों में कई मील मोटी चट्टान में घुसकर हम पृथ्वी के भीतर एक खोखले स्थान में निकले और एक स्थान पर इकट्ठा होकर हम लोगों ने सोचा कि क्या करना चाहिए। कुछ की सम्मति में वहीं पड़ा रहना ठीक था। परंतु हममें कुछ उत्साही युवा भी थे। वे एक स्वर में बोले - हम खोज करेंगे, पृथ्वी के हृदय में घूम-घूम कर देखेंगे कि भीतर क्या छिपा हुआ है।

    युवा वर्ग ही आगे क्यों बढ़ा?
    • युवा वर्ग में नया जोश व उत्साह होता हैं।
    • आगे बढ़ने की चाह होती हैं।
    • चुनौतियों का सामना करने की हिम्मत होती हैं।
    • दिए गए सभी।

    Solution

    D.

    दिए गए सभी।
    Question 64
    CBSEENHN8001120

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हम लोग अब एक ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ पृथ्वी का गर्भ रह-रहकर हिल रहा था। एक बड़े ज़ोर का धड़ाका हुआ। हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए। हम ऊँचे आकाश में उड़ चले। इस दुर्घटना से हम चौंक पड़े थे। पीछे देखने से ज्ञात हुआ कि पृथ्वी फट गई है और उसमें धुआँ, रेत, पिघली धातुएँ तथा लपटें निकल रही ईं। यह दृश्य बड़ा ही शानदार था और इसे देखने की हमें बार-बार इच्छा होने लगी।

    पृथ्वी का गर्भ क्यों हिल रहा था?

    • भूचाल के कारण
    • क्योंकि गरमी के कारण ज्वालामुखी फटने वाला था
    • पृथ्वी की सतह में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण 
    • पृथ्वी में हलचल होने के कारण

    Solution

    B.

    क्योंकि गरमी के कारण ज्वालामुखी फटने वाला था
    Question 66
    CBSEENHN8001122

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हम लोग अब एक ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ पृथ्वी का गर्भ रह-रहकर हिल रहा था। एक बड़े ज़ोर का धड़ाका हुआ। हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए। हम ऊँचे आकाश में उड़ चले। इस दुर्घटना से हम चौंक पड़े थे। पीछे देखने से ज्ञात हुआ कि पृथ्वी फट गई है और उसमें धुआँ, रेत, पिघली धातुएँ तथा लपटें निकल रही ईं। यह दृश्य बड़ा ही शानदार था और इसे देखने की हमें बार-बार इच्छा होने लगी।

    पृथ्वी के भीतर से क्या-क्या निकला?
    • धुआँ, रेत, मिट्टी व लपटें 
    • धुआँ, रेत, लौह धातुएँ व लपटें
    • धुआँ, रेत, पिंंघली धातुएँ व लपटें
    • धुआँ, रेत, पानी व पिंघली धातुएँ

    Solution

    C.

    धुआँ, रेत, पिंंघली धातुएँ व लपटें
    Question 68
    CBSEENHN8001124

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हम लोग अब एक ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ पृथ्वी का गर्भ रह-रहकर हिल रहा था। एक बड़े ज़ोर का धड़ाका हुआ। हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए। हम ऊँचे आकाश में उड़ चले। इस दुर्घटना से हम चौंक पड़े थे। पीछे देखने से ज्ञात हुआ कि पृथ्वी फट गई है और उसमें धुआँ, रेत, पिघली धातुएँ तथा लपटें निकल रही ईं। यह दृश्य बड़ा ही शानदार था और इसे देखने की हमें बार-बार इच्छा होने लगी।

    ‘हम लोग’ शब्द किनके लिए प्रयुक्त है?
    • बूँद के लिए
    • अनेक बूँदों के लिए
    • बूँद व उसके भाई बाँधवों के लिए
    • बूँद व उसके साथ की धूल-मिट्टी के लिए

    Solution

    C.

    बूँद व उसके भाई बाँधवों के लिए

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