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TextBook Solutions for Jharkhand Academic Council Class 10 Hindi क्षितिज भाग २ Chapter 16 यतीन्द्र मिश्र - नौबतखाने में इबादत

Question 1
CBSEENHN100018863

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए [1 × 5 = 5]

किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, बाबा। आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं। खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, धत् ! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं तुम लोगों की तरह , बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज हो पाता?

(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों ?
(ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया।
(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता

Solution

(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब से कहा कि बाबा अब तो आपको बहुत प्रतिष्ठा व सम्मान मिल चुका है, फिर भी आप यह फटी हुई तहमद (लुंगी) क्यों पहनते हो? उस (शिष्या) ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि खाँ साहब इसी तहमद में ही सभी से मिलते थे और उसे यह अच्छा नहीं लगता था।

(ख) खाँ साहब ने नम्रतापूर्वक अपनी शिष्या को समझाते हुए कहा कि मुझे ‘भारतरत्न’ शहनाई बजाने पर मिला है, न कि लुंगी पर। मैंने बनाव सिंगार पर ध्यान न देकर अपनी साधना शहनाई पर ध्यान दिया है।

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव का पता चलता है कि वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रबल समर्थक थे। वे सादगी पसंद और उन्होंने अपना सारा जीवन अपनी साधना में समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों में सच्चे कलाकार’ थे।

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