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यतीन्द्र मिश्र - नौबतखाने में इबादत

Question
CBSEHIHN10002797

आशय स्पष्ट कीजिए –
‘फटा सुर न बख्शें। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी?

Solution

यहाँ बिस्मिल्ला खाँ ने सुर को कपड़े (धन-दौलत) से तुलना करते हुए, सुर को अधिक मूल्यवान बताया है। क्योंकि कपड़ा यदि एक बार फट जाए तो दुबारा सिल देने से ठीक हो सकता है। परन्तु किसी का फटा हुआ सुर कभी ठीक नहीं हो सकता है। और उनकी पहचान सुरों से ही थी, इसलिए वह यह प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उन्हें अच्छा कपड़ा अर्थात् धन-दौलत दें या न दें लेकिन अच्छा सुर अवश्य दें।

Some More Questions From यतीन्द्र मिश्र - नौबतखाने में इबादत Chapter

पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि –
वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इनसान थे?

बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया?

बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?

मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए?

बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए?

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए –
यह ज़रुर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं?

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए –
रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है?

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए -
रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यत: सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है?

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए –
उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा?

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए –
हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है?