क्षितिज भाग २ Chapter 16 यतीन्द्र मिश्र - नौबतखाने में इबादत
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi क्षितिज भाग २

    यतीन्द्र मिश्र - नौबतखाने में इबादत Here is the CBSE Hindi Chapter 16 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi यतीन्द्र मिश्र - नौबतखाने में इबादत Chapter 16 NCERT Solutions for Class 10 Hindi यतीन्द्र मिश्र - नौबतखाने में इबादत Chapter 16 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN100018863

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए [1 × 5 = 5]

    किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, बाबा। आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं। खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, धत् ! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं तुम लोगों की तरह , बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज हो पाता?

    (क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों ?
    (ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया।
    (ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता

    Solution

    (क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब से कहा कि बाबा अब तो आपको बहुत प्रतिष्ठा व सम्मान मिल चुका है, फिर भी आप यह फटी हुई तहमद (लुंगी) क्यों पहनते हो? उस (शिष्या) ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि खाँ साहब इसी तहमद में ही सभी से मिलते थे और उसे यह अच्छा नहीं लगता था।

    (ख) खाँ साहब ने नम्रतापूर्वक अपनी शिष्या को समझाते हुए कहा कि मुझे ‘भारतरत्न’ शहनाई बजाने पर मिला है, न कि लुंगी पर। मैंने बनाव सिंगार पर ध्यान न देकर अपनी साधना शहनाई पर ध्यान दिया है।

    (ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव का पता चलता है कि वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रबल समर्थक थे। वे सादगी पसंद और उन्होंने अपना सारा जीवन अपनी साधना में समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों में सच्चे कलाकार’ थे।

    Question 2
    CBSEHIHN10002794

    शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?

    Solution

    मशहूर शहनाई वादक “बिस्मिल्ला खाँ” का जन्म डुमराँव गाँव में ही हुआ था। इसके अलावा शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है, जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है। रीड, नरकट से बनाई जाती है, जो डुमराँव में मुख्यत: सोन नदी के किनारे पाई जाती है। इसी कारण शहनाई की दुनिया में डुमराँव का महत्त्व है।

    Question 3
    CBSEHIHN10002795

    बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?

    Solution

    शहनाई ऐसा वाद्य है, जिसे मांगलिक अवसरों पर ही बजाया जाता है। 'उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ' शहनाई वादन के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान रखते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा जाता है।

    Question 4
    CBSEHIHN10002796

    सुषिर-वाद्यों से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?

    Solution

    सुषिर-वाद्यों से यह अभिप्राय है, कि फूँककर बजाये जाने वाले वाद्य को 'सुषिर-वाद्य' कहते हैं।
    शहनाई एक अत्यंत मधुर स्वर उत्पन्न करने वाला वाद्य है। फूँककर बजाए जाने वाले वाद्यों में कोई भी वाद्य ऐसा नहीं है, जिसके स्वर में इतनी मधुरता हो। शहनाई में समस्त राग-रागिनियों को आकर्षक सुरों में बाँधा जा सकता है। इसलिए शहनाई की तुलना में अन्य कोई सुषिर-वाद्य नहीं टिकता और शहनाई को ‘सुषिर-वाद्यों के शाह’ की उपाधि दी गयी होगी।

    Question 5
    CBSEHIHN10002797

    आशय स्पष्ट कीजिए –
    ‘फटा सुर न बख्शें। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी?

    Solution

    यहाँ बिस्मिल्ला खाँ ने सुर को कपड़े (धन-दौलत) से तुलना करते हुए, सुर को अधिक मूल्यवान बताया है। क्योंकि कपड़ा यदि एक बार फट जाए तो दुबारा सिल देने से ठीक हो सकता है। परन्तु किसी का फटा हुआ सुर कभी ठीक नहीं हो सकता है। और उनकी पहचान सुरों से ही थी, इसलिए वह यह प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उन्हें अच्छा कपड़ा अर्थात् धन-दौलत दें या न दें लेकिन अच्छा सुर अवश्य दें।

    Question 6
    CBSEHIHN10002798

    आशय स्पष्ट कीजिए –
    ‘मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ’?

    Solution

    बिस्मिल्ला खाँ पाँचों वक्त नमाज़ के बाद खुदा से सच्चा सुर पाने की प्रार्थना करते थे। वे खुदा से कहते उन्हें सच्चा सुर दे। उस सुर में इतनी ताकत हो कि उसे सुनने वालों की आँखों से सच्चे मोती की तरह आँसू निकल जाए। तभी उनके सुर की कामयाबी होगी।

    Question 7
    CBSEHIHN10002799

    काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?

    Solution

    काशी से बहुत सी परंपराएँ लुप्त हो गई है। संगीत, साहित्य और अदब की परंपराओं में धीरे-धीरे कमी आ रही है। अब काशी से धर्म की प्रतिष्ठा भी लुप्त होती जा रही है। वहाँ हिंदु और मुसलमानों में पहले जैसा भाईचारा नहीं है। पहले काशी खानपान की चीज़ों के लिए विख्यात हुआ करता था। परन्तु अब उनमें परिवर्तन आ रहा हैं। काशी की इन सभी लुप्त होती परंपराओं के कारण बिस्मिल्ला खाँ दु:खी थे।

    Question 8
    CBSEHIHN10002800

    पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि –
    बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

    Solution

    बिस्मिल्ला खाँ मिली जुली संस्कृति के प्रतीक थे। उनका धर्म मुस्लिम था। मुस्लिम धर्म के प्रति उनकी सच्ची आस्था थी, परन्तु वे हिंदु धर्म का भी सम्मान करते थे। मुहर्रम के महीने में आठवी तारीख के दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते थे व दालमंडी मे फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते थे।
    इसी तरह इनकी श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है। वे जब भी काशी से बाहर रहते थे। तब विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते थे और उसी ओर शहनाई बजाते थे। वे अक्सर कहा करते थे कि काशी छोड़कर कहाँ जाए, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ। मरते दम तक न यह शहनाई छूटेगी न काशी।

    Question 9
    CBSEHIHN10002801

    पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि –
    वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इनसान थे?

    Solution

    बिस्मिल्ला खाँ एक सच्चे इंसान थे। वे धर्मों से अधिक मानवता को महत्व देते थे, हिंदु तथा मुस्लिम धर्म दोनों का ही सम्मान करते थे, भारत रत्न से सम्मानित होने पर भी उनमें घमंड नहीं था, दौलत से अधिक सुर उनके लिए ज़रुरी था।

    Question 10
    CBSEHIHN10002802

    बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया?

    Solution

    बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में कुछ ऐसे व्यक्ति और कुछ ऐसी घटनाएँ थीं, जिन्होंने उनकी संगीत साधना को प्रेरित किया-
    1. बालाजी मंदिर तक जाने का रास्ता रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता था। इस रास्ते से कभी ठुमरी, कभी टप्पे, कभी दादरा की आवाज़ें आती थी। इन्हीं गायिका बहिनों को सुनकर उनके मन में संगीत की ललक जागी।
    2. बिस्मिल्ला खाँ जब सिर्फ़ चार साल के थे, तब छुपकर अपने नाना को शहनाई बजाते हुए सुनते थे। रियाज़ के बाद जब उनके नाना उठकर चले जाते थे, तब अपनी नाना वाली शहनाई ढूँढते थे, और उन्हीं की तरह शहनाई बजाना चाहते थे।
    3. मामूजान अलीबख्श जब शहनाई बजाते-बजाते सम पर आ जाते तो बिस्मिल्ला खाँ धड़ से एक पत्थर ज़मीन में मारा करते थे। इस प्रकार उन्होंने संगीत में दाद देना सीखा।
    4. बिस्मिल्ला खाँ कुलसुम की कचौड़ी तलने की कला में भी संगीत का आरोह-अवरोह देखा करते थे।
    5. बचपन में वे बालाजी मंदिर पर रोज़ शहनाई बजाते थे। इससे शहनाई बजाने की उनकी कला दिन-प्रतिदिन निखरने लगी।

    Question 11
    CBSEHIHN10002803

    बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?

    Solution

    'बिस्मिल्ला खाँ' के व्यक्तित्व की निम्नलिखित बातें हमें प्रभावित करती हैं –
    1. भारत रत्न की उपाधि मिलने के बाद भी उनमें घमंड कभी नहीं आया।
    2. उनमें संगीत के प्रति सच्ची लगन तथा सच्चा प्रेम था।
    3. वे अपनी मातृभूमि से सच्चा प्रेम करते थे।
    4. वे एक सीधे-सादे तथा सच्चे इंसान थे।
    5. ईश्वर के प्रति उनके मन में अगाध भक्ति थी।
    6. मुस्लिम होने के बाद भी उन्होंने हिंदु धर्म का सम्मान किया तथा हिंदु-मुस्लिम एकता को कायम रखा।

    Question 12
    CBSEHIHN10002804

    मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए?

    Solution

    मुहर्रम पर्व के साथ 'बिस्मिल्ला खाँ' और शहनाई का सम्बन्ध बहुत गहरा है। मुहर्रम के महीने में शिया मुसलमान शोक मनाते थे। इसलिए पूरे दस दिनों तक उनके खानदान का कोई व्यक्ति न तो मुहर्रम के दिनों में शहनाई बजाते थे, और न ही संगीत के किसी कार्यक्रम में भाग लेते थे। आठवीं तारीख खाँ साहब के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती थी। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते और दालमंड़ी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते हुए जाते थे। इन दिनों कोई राग-रागिनी नहीं बजाई जाती थी। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती थीं।

    Question 13
    CBSEHIHN10002805

    बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए?

    Solution

    बिस्मिल्ला खाँ भारत के सर्वश्रेष्ठ शहनाई वादक थे। वे अपनी कला के प्रति पूर्णतया समर्पित थे। उन्होंने जीवनभर संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की इच्छा को अपने अंदर जिंदा रखा। वे अपने सुरों को कभी भी पूर्ण नहीं समझते थे, इसलिए खुदा के सामने वे गिड़गिड़ाकर कहते – ”मेरे मालिक एक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।” खाँ साहब ने कभी भी धन-दौलत को पाने की इच्छा नहीं की बल्कि उन्होंने संगीत को ही सर्वश्रेष्ठ माना। वे कहते थे- ”मालिक से यही दुआ है – फटा सुर न बख्शें। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।”
    इससे यह पता चलता है कि बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे।

    Question 14
    CBSEHIHN10002806
    Question 16
    CBSEHIHN10002808
    Question 17
    CBSEHIHN10002809

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    Question 19
    CBSEHIHN10002811

    निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए –
    खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा?

    Solution
    पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा। (संज्ञा आश्रित उपवाक्य)
    Question 20
    CBSEHIHN10002812
    Question 21
    CBSEHIHN10002813

    निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए-
    काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है?

    Solution
    काशी में संगीत का आयोजन होता है, जो कि एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
    Question 22
    CBSEHIHN10002814
    Question 23
    CBSEHIHN10002815

    निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए-
    काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा?

    Solution
    यह जो काशी का नायाब हीरा है, वह हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

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